मुकदमे और धमकी के आधार पर नापसंदगी का विवाह करना उचित नहीं है
|अब आप को चाहिए कि सब से पहले तो आप अपने विरुद्ध रिश्ता तोड़ने के मुकदमे और जेल जाने के भय को अपने मन से बिलकुल निकाल दें। यदि आप इस भय के कारण रिश्ता बने रहने देना चाहते हैं और विवाह हो जाता है तो यह बात आप के ससुराल वालों को हमेशा ही याद रहेगी कि आप ने यह विवाह इस भय के अंतर्गत किया है। वे आप दोनों के जीवन पर पल-पल निगाह रखेंगे और जरा सी भी बात होते ही पुनः दहेज प्रताड़ना या क्रूरता के लिए मुकदमा करने और जेल पहुँचाने की धमकी देते रहेंगे। इस तरह आप को अपनी पत्नी के साथ पूरा जीवन भय के साये में निकालना पड़ सकता है और लगातार भय के साये में रहने के परिणाम आपके जीवन के लिए बहुत बुरे हो सकते हैं।
सब से पहले तो आप को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि इन परिस्थितियों में क्या आप उस लड़की के साथ पूरे जीवनभर सफल और प्रेमपूर्वक दाम्पत्य जीवन बिता सकते हैं? विचार करने के उपरांत यदि आप समझते हैं कि आप उस लड़की के साथ पूरे जीवनभर सफल और प्रेमपूर्वक दाम्पत्य जीवन नहीं बिता सकते तो फिर उस लड़की के साथ विवाह नहीं करने के अपने निर्णय पर दृढ़ रहिए और अपने परिवार वालों से कह दीज
िए कि आप किसी स्थिति में यह विवाह नहीं करेंगे, चाहे आप को आजीवन अविवाहित रहना पड़ जाए।
लड़की के परिवार वालों ने सगाई तोड़ने का मुकदमा करने और दहेज के लिए विवाह से इन्कार करने के अपराध में जेल पहुँचा देने की जो धमकी दी है अर्थात वे दंडित कराने का भय दिखा कर विवाह कराना चाहते हैं, वह स्वयं में ही भारतीय दंड संहिता की धारा 383 में परिभाषित उद्दापन (Extortion) का अपराध है तथा धारा 384 के अंतर्गत तीन वर्ष तक के कारावास या अर्थदंड या दोनों से दण्डनीय है। साथी ही यह संज्ञेय और अजमानतीय अपराध भी है। यदि आप पुलिस में इस अपराध की रिपोर्ट करते हैं और इस बात की साक्ष्य पुलिस को प्रदान करते हैं कि आप के साथ उद्दापन का अपराध किया गया है तो पुलिस उद्दापन के अभियुक्तों को गिरफ्तार कर के न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकती है। इस के लिए आप किसी विश्वसनीय स्थानीय अधिवक्ता से सलाह कर सकते हैं।
यदि आप पुलिस को रिपोर्ट देते हैं और उस की एक सत्य प्रति अपने पास रखते हैं तो उस लड़की के रिश्तेदारों द्वारा मुकदमा करने का प्रयास करने के समय यह आप अपने बचाव में भी उपयोग कर सकते हैं। मेरी राय में जो परिस्थिति उत्पन्न हो गई है उस में इस विवाह को न करना ही दोनों पक्षों के लिए श्रेयस्कर और सुखदायी होगा। आप लोग आपस में समझ कर इस बात को समाप्त कर सकते हैं और समाप्त होती नहीं दिखाई देती है तो आप उद्दापन की कार्यवाही आरंभ कर सकते हैं।
बढ़िया सलाह दी है आपने|
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