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मुस्लिम तलाक को अदालत में किस तरह से साबित किया जाए?


फीरोज अहमद साहब ने अपने एक प्रश्न में पूछा था–

 ‘मुस्लिम तलाक को अदालत में किस तरह से साबित किया जाए? ‘

उत्तर-

फीरोज़ अहमद जी,

क मुस्लिम तलाक़ को अदालत में साबित करने के लिए सब से पहले आवश्यक है कि तलाक नियम  पूर्वक दिया गया हो। मुस्लिम तलाक के लिए पत्नी को तीन बार तलाक कहना आवश्यक है। तीसरी बार तलाक कहा जाने पर तलाक पूर्ण हो जाता है। इस कारण तीनों बार तलाक कहने की घटना के गवाहों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाए तो तलाक साबित हो जाता है। तलाक कहने की यह प्रक्रिया लिखित भी हो सकती है। 
ब भी तलाक विवाद का विषय बन कर अदालत के सामने आता है तब उसे साबित करने की जिम्मेदारी उस पक्ष की होती है जो पक्ष यह कहता है कि तलाक हो चुका है। उस पक्ष को चाहिए कि वह अपने बयान अदालत के समक्ष दे साथ ही उन गवाहों के बयान अदालत के सामने कराए जिन के सामने उस ने तीन बार तलाक कहा है। यदि तीन बार तलाक कहने का काम एक साथ ही हुआ है तो एक ही वक्त के गवाहों के बयान कराना पर्याप्त होगा। यदि यह काम तीन बार अलग  अलग वक्त में हुआ है तो तीनों बार के गवाहों  के बयान अदालत में कराने होंगे। यदि तलाक की कोई दस्तावेजी साक्ष्य है तो उस दस्तावेज को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करना होगा और उस दस्तावेज के गवाहों के न्ययालय के समक्ष बयान कराने होंगे।
स तरह अदालत के सामने यह तथ्य साबित करना होगा कि मुस्लिम पति ने तीन बार तलाक पत्नी को कहा है। अब अदालत में गवाहों से निश्चित रूप से जिरह भी होगी। उस के उपरांत अदालत उस के समक्ष लाए गए दस्तावेजों और मौखिक बयानों के आधार पर यह तय करेगी कि तलाक हुआ है अथवा नहीं हुआ है।
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