मुस्लिम विधि में तलाक पुरुष का अधिकार है।
|नीलोफर ने दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
क्या किसी मुसलमान शिया लड़की का पति उसकी मर्ज़ी के बिना या यह बहाना बना कर कि उस की पत्नी अपने मायके में रहना चाहती है, तलाक़ दे सकता है? मेरी पति सरकारी एम्प्लायी हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती क्या? मेरी 2 साल की बेटी भी है, उन्हों ने मुझ से पुलिस स्टेशन में प्लैन पेपर पर लिख कर दिया कि मैं अपनी मर्जी से तलाक़ चाहती हूँ। पर उन्हों ने अभी तक तलाक़ के पेपर ना दे कर मौलाना से मेसेज करवा दिया था कि तलाक़ के लिए आप के पापा तैयार हैं क्या? मैं ने मौलाना से पहले मौखिक व मैसेज से कहा था कि मुझे तलाक नहीं चाहिए। वह मुझे दहेज के लिए तंग करता था इसलिए मैं गर्भावस्था में अपने घर आ गई थी।
समाधान-
आप के पति बिना किसी आधार के भी तलाक दे सकते हैं। मुस्लिम विधि में तलाक देना पति का अधिकार है। लेकिन उन्हें तलाक के पहले एक बार दोनों के बीच समझाइश की कार्यवाही की जानी चाहिए। अन्यथा तलाक न्यायालय द्वारा अवैध घोषित किया जा सकता है। यदि वे दहेज के लिए तंग करते हैं और आप के साथ उन का व्यवहार ठीक नहीं है तो आप इस के लिए कार्यवाही कर सकती हैं।
यदि उन्हों ने आप को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है तो आप धारा 498ए के अन्तर्गत कार्यवाही कर सकती हैं। इस के अलावा आप धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता व महिलाओं का घरेलू हिंसा से संरक्षण के कानून के अन्तर्गत अपने व अपनी बेटी के भरण पोषण की राशि प्राप्त करने के लिए भी आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं.
यदि आप के पति तलाक देते भी हैं तो उन्हें तत्काल आप की न चुकाई गई मेहर तो चुकानी ही होगी। तलाक के उपरान्त जब तक आप दूसरा विवाह नहीं कर लेती हैं तब तक भरण पोषण का खर्च देना होगा। बेटी के भरण पोषण का खर्च भी उन्हें तब तक देना होगा जब तक कि उस का विवाह नहीं हो जाता है।