मुस्लिम स्त्री क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकती है।
|समस्या-
मोहम्मद असलम ने मया बाजार, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी बहन जिसका नाम काल्पनिक जोया की शादी 3 साल पहले अहमदाबाद निवासी फिरोज के साथ हुई थी, मेरी बहन की भी दूसरी शादी है और फिरोज की भी यह दूसरी शादी है, दोनों की एक-एक तलाक हो चुका है। पिछले 3 सालों से लगातार मेरी बहन के पति का व्यवहार क्रूरतम से क्रूरतम रहा है, उसका पति और उसके पूरे परिवार वाले उसको प्रतिदिन प्रताड़ित करते हैं, उन लोगों के मारपीट से तंग हो कर मेरी बहन अब उस घर में रहना नहीं चाहती और अपने पति से तलाक चाहती है। मेरा घर फैजाबाद उत्तर प्रदेश में है मेरी बहन के हस्बैंड का घर अहमदाबाद जिला गुजरात में है। अगर हम कानूनी रुप से तलाक लेना चाहें और मेरी बहन का हस्बैंड तलाकनामे पर साइन ना करें और वह जाकर दूसरी औरत के साथ शादी कर ले तो इस पोजीशन में मेरी बहन क्या कर सकती है? क्योंकि मुस्लिम में पुरुष तो शादी कर सकता है, और मेरी बहन को जब तक तलाकनामा नहीं मिलेगा तब तक यह तीसरी शादी कर नहीं सकती ऐसी स्थिति में मेरी बहन के लिए क्या कानून है?
समाधान-
मुस्लिम समाज में यह अज्ञान है कि मुस्लिम महिला को विवाह विच्छेद कराने का अधिकार नहीं है। यह एक तरह का भ्रम है जो जानबूझ कर फैलाया जाता है। मुस्लिम महिलाओं को भी तलाक लेने का हक है और वे कुछ निश्चित आधारों पर तलाक की डिक्री पारित करने के लिए दीवानी न्यायालय (जहाँ पारिवारिक न्यायालय हैं वहाँ पारिवारिक न्यायालय) के समक्ष विवाह विच्छेद कराने के लिए दावा प्रस्तुत कर सकती हैं और न्यायालय विवाह विच्छेद की डिक्री पारित कर सकता है।
दी डिसोल्यूशन ऑव मुस्लिम मैरिज एक्ट, 1939 की धारा 2 में उन आधारों का वर्णन किया गया है जिन पर एक मुस्लिम महिला अपने विवाह विच्छेद की डिक्री पारित कर सकती है। इन आधारों में एक आधार क्रूरतापूर्ण व्यवहार का भी है। आपकी बहिन के साथ क्रूर से क्रूरतम व्यवहार हुआ है तो वे इस आधार पर खुद विवाह विच्छेद की डिक्री पारित करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। इस वाद में न्यायालय का क्षेत्राधिकार दो तथ्यों से तय होगा पहला यह कि जहाँ प्रतिवादी रहता है, दूसरा वहाँ जहाँ वाद कारण पूरी तरह व आंशिक रूप से उत्पन्न हुआ है। तो इस मामले में वाद कारण भी अहमदाबाद में ही उत्पन्न हुआ है। दोनों ही आधारो पर यह वाद अहमदाबाद में दाखिल करना पड़ेगा। लेकिन वाद दाखिल करने के उपरान्त सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा कर वाद को फैजाबाद स्थानान्तरित कराने का प्रयत्न किया जा सकता है।