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राजस्थान और मध्यप्रदेश में सद्भाविक/स्थानीय निवासी प्रमाण पत्रों के लिए प्रक्रिया

राकेश ने पूछा है-

एक परिवार के सभी सदस्यों का नाम दो राज्यो, राजस्थान और मध्य प्रदेश की मतदाता सूचियों मे मौजूद है। उस पर क्या कार्यवाही हो सकती है। परिवार जन्म से राजस्थान का है लेकिन  15 साल से मध्य प्रदेश में रह रहा है वह किस राज्य का मूल निवासी माना जायेगा।

उत्तर-

राकेश के प्रश्न में मूल-निवासी प्रमाण पत्र शब्द प्रयोग किया गया है। वस्तुतः इस तरह का कोई प्रमाण पत्र दोनों ही प्रदेशों द्वारा जारी नहीं किया जाता है। दोनों प्रदेशों में जो प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं वे वास्तव में निवास प्रमाण पत्र ही होते हैं। राजस्थान में इन प्रमाण पत्रों को जारी करने वाले अधिकारी इन्हें मूल-निवासी प्रमाण पत्र के नाम से ही जारी करते हैं और मध्य प्रदेश में इसे स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र के नाम से जारी किया जाता है। जहाँ राजस्थान में जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्रों के लिए आवेदक को इस बात के दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत करने पड़ते हैं कि वह लगातार विगत दस वर्षों से राज्य में निवास कर रहा है। वहीं मध्यप्रदेश में विगत पन्द्रह वर्षों का निवास होना आवश्यक किया गया है।

ध्य प्रदेश में सरकार ने इस के लिए जो मानदंड स्थापित किए हैं वे निम्न प्रकार हैं-

प्राधिकृत अधिकारी

स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए म.प्र. शासन ने तहसीलदार / अतिरिक्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार को उनके प्रभार क्षेत्र में स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र जारी किए जाने के लिए अधिकृत किया है।

स्थानीय निवासी का मापदण्ड

स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र चाहने वाले व्यक्ति को शासन द्वारा तयशुदा मापदण्डों की पूर्ति करने पर ही प्रमाण पत्र दिया जा सकेगा। तयशुदा मापदण्डों में से किसी एक की पूर्ति पर व्यक्ति को निवासी प्रमाण पत्र दिया जाना सुनिश्चित किया गया है।

निर्धारित मापदण्ड
  • आवेदक मध्यप्रदेश में पैदा हुआ हो और जिसने राज्य की किसी शिक्षा संस्था में लगातार कम से कम तीन साल तक शिक्षा प्राप्त की हो। मूक, बधिर, अंध और अशिक्षित के मामलों में शिक्षा का प्रावधान लागू नहीं होगा।
  • आवेदक कम से कम 15 साल से मध्यप्रदेश में रह रहा हो और मध्यप्रदेश में अचल संपत्ति धारित करता हो / उद्योग / व्यवसाय करता हो।
  • आवेदक राज्य शासन का सेवारत या सेवा निवृत्त शासकीय सेवक हो।
  • आवेदक मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत स्थापित संस्था / निगम / मण्डल / आयोग का सेवारत / सेवा निवृत्त कर्मचारी हो।
  • आवेदक केन्द्र शासन का मध्यप्रदेश की सीमा में 10 वर्ष से सेवारत शासकीय सेवक हो।
  • आवेदक अखिल भारतीय सेवाओं के मध्यप्रदेश राज्य को आवंटित अधिकारी हो।
  • आवेदक मध्यप्रदेश में संवैधानिक अथवा विधिक पद पर महामहिम राष्ट्रपति / महामहिम राज्यपाल द्वारा नियुक्त हो।
स्थानीय निवासी प्रमाणपत्र की प्रभावशीलता
  • विधिवत रूप से जारी मध्यप्रदेश का स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र स्थाई होगा।
  • मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी की पत्नी एवं उसके अवयस्क पुत्र /पुत्री (पति के जीवित न होने / तालाक हो जाने पर पत्नी को स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र जारी होने की स्थिति में उनके अवयस्क पुत्र / पुत्री) स्वत: ही मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी होंगे। मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी की पत्नी एवं अवयस्क बच्चों के लिए पृथक से स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
  • मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी व्यक्ति (माता-पिता)के पुत्र / पुत्री के व्यस्क होने पर उनके माता / पिता के स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र की मूल प्रति सत्यप्रति का सत्यापन कर पुत्र / पुत्री के वयस्क होने पर उनके पक्ष में मध्यप्रदेश का स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा।
प्रमाण पत्र जारी किए जाने की प्रक्रिया
  • मध्यप्रदेश का स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आवेदक निर्धारित प्रपत्र एक में अपना आवेदन शपथ पत्र के साथ प्राधिकृत अधिकारी के कार्यालय में जमा कराकर रसीद प्राप्त करेगा।
  • शपथ पत्र में आवेदक को वर्तमान निवास बताना पड़ेगा। इसका पूर्ण विवरण अंकित करना होगा। शपथ पत्र में आवेदक को अपनी पत्नी का नाम और आयु (लगभग) तथा अपने सभी बच्चों के नाम और आयु (लगभग) अंकित करना होगी।
  • आवेदक द्वारा इस परिपत्र की कण्डिका-2 में वर्णित मापदण्डों में से किसी एक अथवा अधिक जिनकी भी वह पूर्ति करता हो, का विवरण विस्तार से अंकित किया जाएगा। यदि आवेदक मध्यप्रदेश में पैदा हुआ है तो स्थान का पूर्ण विवरण एवं वर्ष अंकित किया जाएगा। आवेदक ने जिस शिक्षण संस्था में शिक्षा प्राप्त की हो उस शिक्षण संस्था का पूर्ण विवरण, पता तथा किस वर्ष से किस वर्ष तक किस कक्षा की शिक्षा प्राप्त की उसका विवरण अंकित किया जाएगा। यदि आवेदक राज्य शासन / राज्य शासन के सार्वजनिक उपक्रम/मण्डल/आयोग/केन्द्र शासन/ अखिल भारतीय सेवा का शासकीय सेवक हो या किसी संवैधानिक अथवा विधिक पद को धारित करता हो तो उसका पूर्ण विवरण दिया जायगा जिसमें पदनाम/कार्यालय का नाम/ विभाग का नाम आदि अंकित करना होगा। आवेदक द्वारा धारित अचल संपत्ति का भी पूर्ण विवरण अंकित किया जाएगा। आवेदक यदि किसी प्रकार का उद्योग चलाता हो या व्यवसाय में करता हो तो उसका भी पूर्ण विवरण देना होगा।
जारी करने की समय सीमा
  • आवेदन के साथ संलग्न स्पष्ट एवं स्वयंपूर्ण शपथ पत्र प्रस्तुत होने पर बिना किसी अन्य प्रकार की जांच किए केवल शपथ पत्र के आधार पर स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र सामान्यत: उसी दिन प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रपत्र तीन में जारी किया जाएगा। स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र जारी करने की अधिकतम समय सीमा सात कार्य दिवस होगी।

स्थानीय निवासी आवेदन पत्र का प्रारूप

सी प्रकार राजस्थान में सद्भाविक निवासी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए मानदंड निम्न प्रकार हैं-

योग्यता

राजस्थान में यह प्रमाण पत्र केवल उन्हीं व्यक्तियों को जारी किया जा सकता है जो विगत 10 वर्षों या अधिक अवधि से राजस्थान में निवास कर रहे हैं। महिला आवेदक यदि राजस्थान के बाहर की है लेकिन उस का विवाह ऐसे व्यक्ति के साथ हुआ है जिसे उक्त आधार पर निवास प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है तो वह भी इस तरह का प्रमाण पत्र जारी कराने की अधिकारी होगी। यदि राजस्थान की  निवासी महिला का विवाह राजस्थान के बाहर के निवासी के साथ हुआ है तो वह राजस्थान का सद्भाविक निवासी प्रमाण पत्र जारी कराने के लिेए अयोग्य मानी जाएगी। अवयस्क बालक-बालिकाओं के सद्भाविक निवासी प्रमाण पत्र उन के माता-पिता के प्रमाण पत्रों के आधार पर जारी किए जाएंगे।

प्रक्रिया

आवेदक को सद्भाविक प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा। प्रमाण पत्र सक्षम राजस्व अधिकारी (उपखंड अधिकारी, सहायक कलेक्टर और कार्यपालक दंडनायक [विशेष मामलों में] उन के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत जारी किया जाएगा।

आवश्यक दस्तावेज
  1. आवेदक का शपथ पत्र।
  2. राशन कार्ड की छाया प्रति।
  3. मतदाता पहचान पत्र या मतदाता सूची की छाया प्रति।
  4. अध्ययन के स्थान की जानकारी के लिए शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की छाया प्रतियाँ।
  5. जन्म प्रमाण पत्र की छाया प्रति।
  6. कोई अन्य दस्तावेज जो संपत्ति से संबंधित हो या किराए की रसीदें।
  7. दो जिम्मेदार अधिकारियों के प्रमाण पत्र
  8. ग्रामीण क्षेत्र के लिए पटवारी की रिपोर्ट अनिवार्य है।

कानूनी सलाहदोनों राज्यों में निवासी प्रमाण पत्र बनाए जाने की उक्त प्रक्रिया से यह समझा जा सकता है कि ये मूल निवासी प्रमाण पत्र न हो कर केवल सद्भाविक निवासी प्रमाण पत्र हैं। यह भी स्पष्ट है कि केवल मतदाता सूची के आधार पर निवासी प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा सकता। उस के लिए अन्य दस्तावेजी प्रमाणों की भी  आवश्यकता होती है।  जिस परिवार के बारे में प्रश्न पूछा गया है, वह 15 वर्ष से मध्य प्रदेश में निवास कर रहा है इस कारण से वह मध्य प्रदेश का स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र जारी कराने का अधिकारी है। यदि वह राजस्थान में ऐसा प्रमाण पत्र बनवाने का प्रयत्न करता है तो वह मिथ्या होगा इस के साथ ही उसे कुछ मिथ्या प्रमाणों का सहारा भी लेना पड़ेगा जो अपराध होगा और जिस के लिए उसे दंडित किया जा सकता है।

ध्य प्रदेश की मतदाता सूची में तो इस परिवार का नाम सही अंकित है लेकिन राजस्थान की मतदाता सूची में उस का नाम त्रुटि से अंकित है। यह त्रुटि मतदाता सूची बनाने वालों की है।  इस केलिए इस  परिवार के किसी सदस्य को दंडित नहीं किया जा सकता।  लेकिन इस त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची के आधार पर कोई काम इस परिवार के किसी सदस्य द्वारा किया  जाता है तो वह भी अपराध होगा, जिस के लिए उस के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जा कर उसे दंडित किया जा सकता है।