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मृतक के कर्ज की वसूली

समस्या-

मेरे एक मित्र के भाई ने एक बैंक से ऋण प्राप्त कर के कार क्रय की थी।  दो वर्ष पूर्व अविवाहित भाई का निधन हो चुका है। मित्र कार का कर्ज लौटाने की स्थिति में नहीं है, जब कि  कार उस के कब्जे में ही है। ऐसी स्थिति में बैंक मित्र के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई कर सकता है?

-रामकुमार सिंह, बांदा, उत्तरप्रदेश

समाधान-

ब भी कोई भी बैंक किसी भी व्यक्ति को ऋण प्रदान करता है तो वह उस ऋण को हर स्थिति में वसूल करने के लिए कुछ न कुछ उपाय अवश्य अपनाता है। आप के मित्र के भाई को कार के लिए ऋण देते समय भी बैंक ने ऋण की वसूली की सुरक्षा के लिए कुछ न कुछ उपाय अवश्य किए होंगे।

बैंक ने इस सम्बन्ध में एकाधिक उपाय किए हो सकते हैं। उस ने किसी न किसी व्यक्ति की गारंटी अवश्य ही ली होगी। अर्थात कोई न कोई उक्त ऋण में गारंटर रहा होगा। बैंक उक्त गारंटर के विरुद्ध मुकदमा कर के अपने ऋण व ब्याज की राशि वसूल कर सकता है।

जो कार बैंक से ऋण ले कर खरीदी गई है उस कार को भी बैंक ने गिरवी रखा (हायपोथिकेट किया) हो सकता है। यदि ऐसा है तो बैक कार को अपने कब्जे में ले कर उस की नीलामी कर सकता है।

किसी व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त उस व्यक्ति के उत्तराधिकारियों को  उस व्यक्ति की संपत्ति प्राप्त होती है उस के साथ ही उत्तराधिकारियो का दायित्व यह भी होता है कि वे मृतक के कर्जे का भी भुगतान करें। यदि कोई मृत व्यक्ति कोई संपत्ति न भी छोड़ गया हो तब भी उत्तराधिकारियों का दायित्व होता है कि वे मृतक के कर्जे का भुगतान करें। इस तरह बैंक आप के मित्र के भाई के उत्तराधिकारियों पर कर्ज की वसूली का दीवानी वाद दायर कर के अपने कर्ज की वसूली कर सकता है। यदि आप का मित्र अपने भाई का एक मात्र उत्तराधिकारी है तो उस पर यह कर्ज चुकाने का दायित्व है। बैंक आप के मित्र के विरुद्ध दीवानी वाद दायर कर के अपने कर्ज की वसूली कर सकता है।