मौखिक वसीयत को साबित करना लगभग असंभव है।
|जयपुर राजस्थान से जगदीश ने पूछा है-
मेरी माँ ने अपने पिता (मेरे नाना) से उनके मकान का आधा हिस्सा खरीदा। मेरी माँ ने इसकी मौखिक वसीयत मेरे नाम कर दी। जिसको मेरे सभी भाइयों ने तथा पिता ने भी मानने से मना कर दिया है। मेरी माता का निधन हो चुका है, अब इस संपाति में मेरे पिता हम तीन भाई तथा एक बहिन हैं। हमारा सभी का इस संपात्ति में कितना कितना हिस्सा बनता है? क्या मैं उस मौखिक वसीयत के आधार पर कुछ दावा कर सकता हूँ? जब कि मेरे परिवार (भाई भाभी पिता) के अलावा उसका कोई गवाह नहीं है।
समाधान-
आप की समस्या मौखिक वसीयत है। वसीयत मौखिक, लिखित, पंजीकृत या अपंजीकृत कैसी भी क्यों न हो, यदि वह वसीयतकर्ता के देहान्त के उपरान्त किसी व्यक्ति द्वारा विवादित की जाती है तो उस वसीयत का प्रमाणीकरण आवश्यक है।
वसीयत के लिए यह आवश्यक है कि उसे स्वैच्छा से किया गया हो। वसीयत करने के कम से कम दो गवाह हों। लिखित वसीयत में वसीयत कागज पर अंकित होती है जिस पर खुद वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर या अंगूठा निशानी होता है और कम से कम दो गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं। इस तरह यदि लिखित वसीयत का कोई गवाह पलटना भी चाहे तो आसान नहीं होता। लेकिन मौखिक वसीयत में तो यह सब अत्यन्त कठिन ही नहीं लगभग असंभव है।
आप का कहना है कि मौखिक वसीयत के गवाह सिर्फ पिता, भाई व भाभी हैं। वसीयत उन तीनों के हितों के विरुद्ध है। इस कारण उन का मौखिक वसीयत से इन्कार कर देना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में आप अपनी माँ की मौखिक वसीयत को साबित नहीं कर सकेंगे।
जहाँ तक उक्त संपत्ति में उत्तराधिकारियों के हिस्से का प्रश्न है तो इस में तीन भाई, एक बहिन व पिता उत्तराधिकारी हैं वैसी स्थिति में कुल पाँच हिस्सेदार हैँ और प्रत्येक हिस्सेदार के हिस्से में संपत्ति का पाँचवाँ 1/5 हिस्सा आएगा, आप को संपत्ति का 1/5 हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार है।
# Supreme Court : पिता की मृत्यु 2005 से पहले होने पर पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार नहीं November 2, २०१५ in Breaking, Slider, आप के अधिकार
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अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो चुकी है तो ऎसी स्थिति में बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार नहीं मिल सकता। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005 को लेकर व्याख्या करते हुए कहा।
अदालत ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005 के संशोधित प्रावधान के एक सामाजिक विधान होने के बावजूद पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहाकि बेटी को संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी तभी मिलेगी जब पिता नौ सितंबर 2005 को जीवित हो। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि 20 दिसंबर 2004 से पहले हो चुके संपत्ति बंटवारों पर यह कानून लागू नहीं होगा फिर चाहे इसमें बेटी को हिस्सा मिला हो ना न मिला हो। कानून की धारा 6(5) में साफ लिखा है कि पूर्व में हो चुके ऎसे बंटवारे नए कानून से अप्रभावित रहेंगे लेकिन इसके बाद हुए बंटवारे पर नया कानून लागू होगा।
http://www.jaihindtimes.com/supreme-court-father-died-before-2005-on-equal-rights-in-ancestral-property/
फैसला: पैतृक संपत्ति किसी को भी दान में नहीं दी जा सकती
नई दिल्ली, श्याम सुमन First Published:04-05-2015 11:35:13 PMLast Updated:04-05-2015 11:35:13 PM
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पैतृक संपत्ति किसी को दान नहीं दी जा सकती। इसे सिर्फ बच्चों और पत्नी में ही बांटा जा सकता है। कोर्ट ने एक मामले में संपत्ति स्वामी के नाम से की गई वसीयत को फर्जी बताते हुए इसके धारक का दावा भी खारिज कर दिया।
जस्टिस अमिताभ व कुरियन जोसेफ की पीठ ने शुक्रवार को एक वसीयतधारी के दावे पर सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। कोर्ट के अनुसार, वसीयतधारक ने दावा किया कि उसका संपत्ति के मालिक से प्रेम-आत्मीयता का रिश्ता था। वहीं उनकी ओर से सारे सामाजिक और आर्थिक कार्य देखता था। इसके लिए संपत्ति मालिक ने उसके नाम पर एक पावर ऑफ अटॉर्नी जारी की थी।
संपत्ति धारक की अपने बच्चों और रिश्तेदारों से अनबन थी। ऐसे में वही उनकी देखरेख करता था। हालांकि कोर्ट ने वसीयत धारक द्वारा पेश की गई वसीयत को झूठा करार दिया। कोर्ट के अनुसार, उसमें किए गए हस्ताक्षर, समय और गवाह भी उचित नहीं थे। यहां तक कि वसीयत भी कानून के अनुसार नहीं बनाई गई थी।
http://www.livehindustan.com/news/todaynews/article1-Supreme-Court-ancestral-property-children-wife-479050.html
पैतृक सम्पत्ति में सभी का समान अधिकारः दीपक यादव
September 27, 2014
पुवायां। अपर जिला जज दीपक यादव ने कहा कि पैतृक सम्पत्ति में सभी का समान अधिकार होता है। ऐसे में कोई भी परिवार के दूसरे सदस्य का अहित नही कर सकता। सभी बारिसानों को बराबर अधिकार देना ही न्याय संगत है। श्री यादव पंचायत राज इंटर कालेज में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में बोल रहे थे।
बडागांव के पंचायत राज इण्टर कालेज में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में अपर जिला जज के अलावा सिविल जज विष्णु चंद्र वैश्य, अपर सिविल जज दीपक यादव, न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकुर गर्ग, तहसीलदार पुवायां रजनीश चंद्र शर्मा ने शिविर में मौजूद लोगों को जानकारी दी। अपर सिविल जज दीपक यादव ने गांव के माहौल को बताते हुए कहा कि पैतृक सम्पत्ति में सभी वारिसानों का बराबर का अधिकार होता है। जिससें कोई भी पिता किसी एक हिस्सेदार को छोंड कर पैतृक सम्पत्ति को इधर उधर नही कर सकता और न ही पैतृक सम्पत्ति पर प्रभावी कोई ऐसी बसीयत कर सकता है। जिसमें किसी एक हिस्सेदार का अनहित हो। न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकुर गर्ग ने बाल किशोर न्यायिक कानून की जानकारी देते हुए कहा कि अगर कोई किशोर किसी कारण में बिना चाहे अपराध करता है तो उसके साथ रियायत बरतते हुए उसे पुलिस वर्दी पहन कर गिरफतार नही करेगी साथ ही न्यायालय भी दण्ड देते समय उसके अपराध के अनुसार रियायती दण्ड देगा। शिविर में गांव बद्रीपुर हदीरा के प्राथमिक स्कूल के छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमडी शुक्ला तथा संचालन ब्रजेश मिश्रा ने किया। इस दौरान एबीएसए सुरेश पाल, नवीन कुमार, रंजन राय, उमाकान्त तिवारी, लालाराम कश्यप, अजय पटेल, अनिल वर्मा, रामनरेश गुप्ता समेत गांव के तमाम लोग व महिलाए मौजूद रही।
http://www.liveshahjahanpur.com/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%83-%E0%A4%AA%E0%A5%88%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF/
मेरा नाम राजीव है, मुज़फ्फरनगर का रहने वाला हुँ, मैंने २९.०४.२०१६ को ड्राइविंग लइसेंस के लिए अप्लाई किया था | जो के मैंने खुद अप्लाई किया था | लेकिन वह पर दलाल मुज़से पैसे मांग रहे थे | मैंने उनको पैसे देने के लिए मना कर दिया और अपना लाइसेंस खुद हे अप्लाई किया | लेकिन जब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मेरा पेपर हुआ, तो वो दलाल मेरे पीछे वाही गया और बोला अब देखा हुँ के तू कैसे लाइसेंस बनवाता है, उस दिन उससे मेरे बहस भी हुई, लेकिन जब वो उस एग्जाम रूम मैं गया, examner ने भी उसको कुछ नहीं बोला, उसने मुज़हे १० क्वेश्चन दिए थे उसमे से मेरे ७-८ क्वेश्चन बिलकुल ठीक थे | लेकिन उसने मुज़हे एग्जाम मैं फ़ैल कर दिया | देने को तो मैं उसको पैसे दे देता ३००-४०० रुपया मैं बात बन जाती, लेकिन मैं किसी दलाल को पैसा देना नहीं देता | मैं इसके लिए कहा पर कार्रवाही कर सकता हुँ | क्योकि वहां पर वे लोग सभी दलाल से मिले हुए है | इस भ्रस्टाचार को ख़त्म करने के लिए मुज़हे कुछ सुजाहव दीजिये |