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बहनों की संतानों के मध्य हुआ हिन्दू विवाह अवैध है।

marriage disputesसमस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से कृष्णा ने पूछा है-

मेरे एक संबंधी ने अपनी मौसी के बेटे के साथ घर से भागकर विवाह (शायद आर्य समाज मंदिर या किसी धार्मिक संस्‍था कि मदद से) किया है। क्‍या यह विवाह वैध है? क्‍या इसके विरोध मे कानून उन के माता पिता की कोई मदद कर सकता है?

समाधान-

हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार यह विवाह सपिंडों के बीच विवाह है। इस के अलावा दो भाई-बहन, दो भाइयों या दो बहनों की संतानों के बीच विवाह भी प्रतिबंधित श्रेणी में आने के कारण अवैध है। इस तरह का विवाह आम तौर पर आर्यसमाज वाले नहीं करते हैं। वे वही विवाह संपन्न कराते हैं जो कि कानून के अनुसार वैध होता है। यदि उन्हों ने विवाह कराया है तो निश्चित रूप से इस तरह की सूचना उन से छुपाई गई होगी कि उन दोनों के बीच कोई प्रतिबंधित संबंध है।

स तरह के विवाह को केवल विवाहित युगल में से किसी एक द्वारा दूसरे के विरुद्ध आवेदन दे कर न्यायालय से शून्य घोषित कराया जा सकता है। इस तरह के विवाह को विवाहित युगल के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति शून्य घोषित नहीं करा सकता। इस मामले में विवाहित युवक युवती के किसी भी संबंधी को यहाँ तक कि माता-पिता को भी कोई राहत या सहायता प्राप्त नहीं हो सकती। आप ने यह भी नहीं बताया है कि आप के संबंधी के माता-पिता किस तरह की राहत या मदद चाहते हैं।

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