बहनों की संतानों के मध्य हुआ हिन्दू विवाह अवैध है।
|समस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से कृष्णा ने पूछा है-
मेरे एक संबंधी ने अपनी मौसी के बेटे के साथ घर से भागकर विवाह (शायद आर्य समाज मंदिर या किसी धार्मिक संस्था कि मदद से) किया है। क्या यह विवाह वैध है? क्या इसके विरोध मे कानून उन के माता पिता की कोई मदद कर सकता है?
समाधान-
हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार यह विवाह सपिंडों के बीच विवाह है। इस के अलावा दो भाई-बहन, दो भाइयों या दो बहनों की संतानों के बीच विवाह भी प्रतिबंधित श्रेणी में आने के कारण अवैध है। इस तरह का विवाह आम तौर पर आर्यसमाज वाले नहीं करते हैं। वे वही विवाह संपन्न कराते हैं जो कि कानून के अनुसार वैध होता है। यदि उन्हों ने विवाह कराया है तो निश्चित रूप से इस तरह की सूचना उन से छुपाई गई होगी कि उन दोनों के बीच कोई प्रतिबंधित संबंध है।
इस तरह के विवाह को केवल विवाहित युगल में से किसी एक द्वारा दूसरे के विरुद्ध आवेदन दे कर न्यायालय से शून्य घोषित कराया जा सकता है। इस तरह के विवाह को विवाहित युगल के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति शून्य घोषित नहीं करा सकता। इस मामले में विवाहित युवक युवती के किसी भी संबंधी को यहाँ तक कि माता-पिता को भी कोई राहत या सहायता प्राप्त नहीं हो सकती। आप ने यह भी नहीं बताया है कि आप के संबंधी के माता-पिता किस तरह की राहत या मदद चाहते हैं।
यदि किसी व्यक्ति की शादी करीब 13 वर्ष पहले हुयी थी और शादी के करीब 1 साल के भीतर उसकी पत्नी उसके साथ रही और उस दौरान हॉस्पिटल में हुई डिलीवरी में उसने एक बच्चे को जन्म दिया जो कि मृत था।
पिछले करीब 12 वर्षों से उस व्यक्ति की पत्नी पीहर में ही रह रही हैै। उसकी पत्नी के अपने सगे ताऊ के लडके के साथ करीब 9 साल तक अवैध शारीरिक सम्बंध रहे और वह लडका एक सरकारी अध्यापक है लेकिन वह इस प्रकार के व्यभिचार के मामलों में सदैव संलिप्त रहा है और उसके अनेक कुंवारी लडकियों के साथ भी अवैध सम्बंध रहे है।
उस लडके के कहने पर ही पत्नी ने उसके पति को कई बार तांत्रिक एवं अन्य घातक क्रियाओं से जान से मारने के प्रयास भी किये और पति के घरवालों को समाज से बहिष्कृत करने की धमकियां दी गयी। लेकिन बाद में ध्यान पडा कि उस पत्नी के अपने सगे ताऊ के लडके साथ अवैध सम्बंध है जो कि हिन्दू है और उसने उस समयावधि के दौरान पत्नी को ऐसी अवैध गर्भनिरोधक गोलियां खिला दी जिससे वह पूर्णतया बांझ हो चुकी है और उसकी प्रथम डिलीवरी के बाद आज तक कोई बच्चा उत्पन्न नहीं हुआ और उसके पति का वैवाहिक जीवन पूर्णतया नरकमय हो गया है।
लेकिन इस बीच कुछ संदेह होने पर उसकी पत्नी पत्नी ने ताऊ के लडके साथ सम्बंध बनाने कम कर दिये लेकिन पिछले करीब 3 सालों से मेरी पत्नी के अपने से छोटे सगे भाई के साथ अवैध रूप से शारीरिक सम्बंध है लेकिन समस्या यह है कि इसका खुलासा कैसे किया जाये। क्या ऐसा पीडित पति अपनी पत्नी एवं उसके भाईयों के खिलाफ आईपीसी की धारा 497 के तहत मामला दर्ज करवा सकता है। क्या ऐसा अपराध जमानती है अथवा गैर जमानती? क्या ऐसे मामले में तलाक के साथ साथ ससुरालवालों पर उसके द्वारा वैवाहिक जीवन को बर्बाद करने हेतु षडयंत्र रचने एवं जुर्माना वसूलने का दावा लगाया जा सकता है। यदि हां तो इस हेतु सबूत के तौर पर मान्य दस्तावेज/सबूत क्या पेश करने होंगे। क्या ऐसी कोई मेडिकल जांच उपलब्ध है जिससे इस प्रकार का खुलासा किया जा सके?
क्या ऐसे पति द्वारा न्यायालय के समक्ष वाद दायर करवाने से उसकी पत्नी के पीहर वालों के घर पुलिसवाले छापा मारकर उसकी पत्नी को गिरफ्तार करने के साथ ही पत्नी का मेडिकल मुआयना करवाकर सबूत जुटा सकती है और इस हेतु पीडित पति न्यायालय में वाद दायर कर सकता है। अथवा नहीं?
क्या न्यायालय इस प्रकार के मामले में पुलिस को मुल्जिमों को रिमाण्ड पर लेकर पुलिस को सबूत जुटाने के लिए कह सकता है। क्या इस दौरान शादी के इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी पति की पत्नी या उसके पीहर वाले पीडित पति के ऊपर कोई झूठा दावा लगा सकते है। हालांकि उसकी पत्नी अनपढ है और वह व्यभिचार के मामलों में संलिप्त होने एवं इसका खुलासा हो जाने के डर से न्यायालय या पुलिस की शरण में तो नहीं जा सकती है?
गुरुदेव दिनेशराय द्विवेदी जी,यदि विवाहित युगल में से किसी एक द्वारा दूसरे के विरुद्ध आवेदन दे कर न्यायालय से शून्य ही घोषित करवाना होता तो वो “विवाह” ही क्यों करते ? वैसे इस (समस्या) में किसी भी एक पक्ष के अभिवावक को विवाह को “शून्य” करवाने के लिए अधिकार होना/मिलना चाहिए या जज को सारी परस्थितियाँ समझ इस विवाह पर कोई आदेश देना चाहिए.
रमेश कुमार जैन उर्फ निर्भीक का पिछला आलेख है:–.स्व. श्री जगदीश राय जैन की पुण्य स्मृति में रक्तदान शिविर
ज्ञान वर्धक जानकारी
राजेंद्र सिंह / अजमेर / राजस्थान