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लक्षणों से लगता है कि मालिक उद्योग को बन्द करने की तैयारी कर रहे हैं।

rp_industry-300x157.jpgसमस्या-

टीकमसिंह ने चौपासनी स्कूल, जोधपुर से राजस्थान राज्य की समस्या भेजी है कि-

मैं “मेक शॉट ब्लास्टिंग इक्विपमेंट प्राईवेट लिमिटेड” में काम करता हूँ। यह 30 साल पुरानी प्राइवेट लिमिटेड़ कंपनी है यहाँ पर PF, ESI की सुविधा भी है। यहाँ पर 200 से 250 वर्कर्स हैं जो परमानेंट कर्मचारी हैं। मैं भी उन में से एक हूँ। पहले हमे इनसेंटिव मिलता था जो इन लोगो ने बंद कर दिया और दिपावली का बोनस भी 10,000 से ज्यादा सेलेरी वालों को यह कहते हुए नहीं देते कि यह सरकार का नियम है। जब कि पहले 20% देते थे। इस के अलावा ड्रेस, जुते, साबुन आदि की सुविधा भी बंद कर दी गई और पिछले साल जुलाई 2014 से महिने की सैलेरी भी समय पर नहीं मिल रही है। इस से पहले सैलेरी 07 तारिख से पहले मिल जाती थी। फिर 07 से 08, 10, 12, 14, 16, 18 और अब 20 से 25 तारिख को मिलती है। ओवर टाईम भी यहा पर रोज 3, 4 घंटे होता है उस का भुगतान पहले ड़बल किया जाता था अब सिंगल देते हैं, वो भी 1, 1 1/2 महिना चढ़ा कर। कंपनी साफ सफाई का भी ध्यान नहीं रखती। बाथरूम व पीने के पानी की जगह इतनी गंदगी है कि नाक पर रूमाल लगा कर जाना पड़ता है। इस के बारे में जीएम, मैनेजर, व कंपनी मालिक से भी बात कर चुके हैं लेकिन समस्याओ का कोई समाधान नहीं हुआ। यहाँ पर फैब्रिकेशन का काम है बड़ी बड़ी मशीनें बनती हैं। हमारा काम बहुत ही मेहनत का है। मेन्टीनेंस का काम भी समय पर नहीं करवाते। बिजली के तार भी जगह जगह से खुले पड़े हैं। 4-5 साल तक भी मेनटीनेंस की परवाह नहीं करते। कृपया हमें मार्ग बताएँ। क्या सैलेरी समय पर मिलने का कोई नियम नहीं है।

समाधान-

प की समस्या भारत के लाखों मजदूरों की समस्या है। सब चीज के नियम बने हुए हैं। वेतन 7 तारीख तक मिल जाना चाहिए। यदि नहीं मिलता है तो यह कानून का उल्लंघन है इसे देखने की जिम्मेदारी श्रम विभाग की है। ओवर टाइम भी दुगना ही मिलना चाहिए और माह के वेतन के साथ मिलना चाहिए। ड्रेस, जुते, साबुन आदि की सुविधाएँ बन्द नहीं की जानी चाहिए थी। यह कानून के अनुसार गलत है। साफ सफाई व सुरक्षा आदि का ध्यान रखने के लिए फैक्ट्रीज एण्ड बॉयलर इंस्पेक्टर को कार्यवाही करनी चाहिए। बोनस भी पहले देते थे तो यह परंपरा बन चुकी थी इसे भी बंद नहीं किया जा सकता था।

लेकिन इन सब समस्याओं के लिए कोई अच्छी यूनियन ही लड़ सकती है। इस के लिए आप की फैक्ट्री के मजदूरों की यूनियन कार्यवाही कर सकती है। यदि यूनियन नहीं है तो मजदूरों की यूनियन बनानी चाहिए और इन सब सुविधाओं के लिए लड़ना चाहिए।

कानून से मिलने वाली सुविधाओं के लिए पहले श्रम विभाग काम करता था। लेकिन आज कल उस ने इन सब चीजों पर ध्यान देना और उद्योगपतियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल करना बंद कर दिया है। अब कोई उन के यहाँ शिकायत करता है तो वे कहते हैं आप मुकदमा कर दें। राजस्थान में मुकदमों के निर्णय की गति इतनी कमजोर है कि बरसों लग जाते हैं। अनेक श्रम संबंधी अदालतों में अधिकारी ही नहीं हैं। एक एक अधिकारी दो तीन अदालतें सम्भाल रहा है। सरकार इन अधिकारियों की संख्या बढ़ाना नहीं चाहती। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने ही मजदूरों को सुविधाएँ कम होने पर कार्यवाही करना बंद कर दिया था। अब मौजूदा सरकार तो इस से बहुत आगे है। उन्हों ने तो उद्योग बंदी करण के लिए सरकार की अनुमति लेने के कानून को और अधिक लचीला बना दिया है।

प के उद्योग के लक्षणों को देख कर लगता है कि उद्योग में मुनाफा घटा है जिस के कारण अब आप के उद्योग के मालिक इस उद्योग को चलाना नहीं चाहते। वे कोई न कोई बहाना बना कर कुछ सालों में इस उद्योग को बंद कर अपनी पूंजी इस उद्योग से निकाल कर कहीं और लगाना चाहते हैं। उन्हों ने उद्योग से पूंजी को निकालना आरंभ कर दिया है। इसी क्रम में उन्हों ने मजदूरों की सुविधाएँ कम कर दी हैं। वे चाहते हैं कि श्रमिक परेशान हो कर आमने सामने की लड़ाई लड़ें, हड़ताल वगैरह करें तो उन्हें उद्योग में तालाबंदी करने, श्रमिकों को कुचलने और बाद में उद्योग को बन्द करने के लिए अच्छा बहाना मिल जाए। श्रमिकों को इन लक्षणों को समझना चाहिए। जिन्हें इस समय किसी और उद्योग में अच्छी नौकरी मिल सकती हो उन्हें उस के लिए प्रयत्न आरंभ कर देना चाहिए और जैसे ही मिले इस नौकरी को छोड़ कर नई नौकरी पर चले जाना चाहिए। जिस तरह की हालत है उस तरह की हालत में यदि फैक्ट्री बंद की गयी और श्रमिकों की छंटनी की गई तो श्रमिकों को उन के मुआवजे, ग्रेच्यूटी व अन्य लाभों के लिए भी कई वर्ष तक लटकाए रखा जा सकता है।

फिलहाल आप को यही सलाह दी जा सकती है कि जोधपुर बड़ा औद्योगिक केन्द्र है और वहाँ बड़े मजदूर संगठन भी हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी बड़े मजदूर संगठन से सलाह कर अपने यहाँ मजदूरों की यूनियन बनाएँ और यूनियन के माध्यम से इन छीन ली गई सुविधाओं के लिए कार्यवाही करें।

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