वसीयत के आधार पर पूरे मकान के कब्जे का दावा करना चाहिए
|-समस्या
मेरे 77 वर्ष के पिता के नाम एक मकान का वसीयतनामा है जो उन के पिता ने उन के अवयस्क रहने के दौरान खरीदा था। वर्तमान राजस्व रिकार्ड में यह मकान मेरे पिता के स्वर्गीय पिता के नाम और नगरपालिका में मेरे चाचा के नाम दर्ज है। नगर पालिका रिकार्ड में उक्त मकान 10 वर्ष पहले मेरे पिता के नाम से दर्ज था क्यों कि वयस्क होने के बाद उन के पिता ने दर्ज करवा दिया था किन्तु चाचा ने रेकार्ड में हेराफेरी करवा कर नगर पालिका में अपना नाम दर्ज करवा लिाय और टैक्स भी अपने नाम से भरने लगे। यह बाद नगर पालिका का रेकार्ड देखने पर पता चली है। अभी कुछ समय पहले उन्हों ने उक्त मकान तोड़ दिया। हमारे उज्र करने पर चाचा पूर्व तय अनुसार इस का आधा हिस्सा देने की बात पर मुकर गए और उन्हों ने मकान बनवा लिया। हमें यह मकान कैसे मिल सकता है?
-अनिल नामदेव, छतरपुर, मध्यप्रदेश
समाधान-
आपने जो विवरण दिया है उस में यह कहा है कि राजस्व रिकार्ड में उक्त मकान आप के पिता के स्वर्गीय पिता अर्थात दादा के नाम दर्ज है। राजस्व रिकार्ड से आप का तात्पर्य क्या है यह समझ नहीं आया। जब भी कोई संपत्ति खरीदी जाती है तो उस का विक्रय पत्र उप पंजीयक के कार्यालय में दर्ज होता है। अक्सर उपपंजीयक का कार्य तहसीलदार या नायब तहसीलदार को दे दिया जाता है, जो राजस्व विभाग के अधिकारी हैं। शायद आप इसी कारण कह रहे हैं कि राजस्व रिकार्ड में मकान आप के दादा के नाम दर्ज है। उप पंजीयक के यहाँ पंजीकृत विक्रय पत्र/बैनामा किसी भी स्थाई संपत्ति के स्वामित्व का मूल प्रमाण है। इस से यह साबित किया जा सकता है कि उक्त मकान आप के दादा की स्वअर्जित सम्पत्ति थी।
आप के दादा के देहान्त के उपरान्त आप के पिता को नगर पालिका में आवेदन कर के वसीयत के आधार पर उक्त मकान का नामान्तरण अपने नाम करवाना चाहिए था। लेकिन आप के पिता ने ऐसा नहीं करवाया। फिर भी वसीयत के आधार पर आप के पिता उस संपत्ति के स्वामी हैं। नगरपालिका में जो रिकार्ड दर्ज किया जाता है वह कभी भी किसी मकान के लिए स्वामित्व का सबूत नहीं है। उसे चुनौती दी जा सकती है।
आप ने यह कहा है कि पूर्व तयशुदा के अनुसार चाचा ने मकान का आधा हिस्सा आप को न दे कर पूरे प्लाट पर अपना मकान बनवा लिया है। इस से यह प्रतीत होता है कि आप के पिता ने वसीयत को अधिक तरजीह न देकर यह माना कि पिता की संपत्ति दोनों भाइयों में आधी आधी बंटनी चाहिए। इस तरह आप के पिता आधी संपत्ति अपने भाई को स्वतः ही देने को तैयार थे। आप के पिता ने आधी संपत्ति छोड़ी किन्तु उस का नतीजा यह हुआ कि आप के चाचा ने पूरी संपत्ति कब्जा ली। जब चाचा ने उस मकान को तुड़वाया और नया बनवाने लगे तभी आप के पिता को उपपंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत (राजस्व रेकार्ड में दर्ज) विक्रय पत्र तथा वसीयत के आधार पर दीवानी न्यायालय में जा कर उन्हें उस भूखंड पर मकान बनाने से रोकना चाहिए था। लेकिन अब उन्हों ने मकान बना लिया है। इस से यह साबित है कि मकान आप के पिता का होते हुए भी उस पर कब्जा आप के चाचा का है।
वर्तमान स्थिति के अनुसार आप के पिता को अपने स्वामित्व के मकान पर जिसे आप के चाचा ने कब्जा लिया है कब्जा प्राप्त करना है। इस के लिए आप के पिता को आप के चाचा के विरुद्ध मकान का कब्जा प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करना पड़ेगा। उस के द्वारा ही आप के पिता को उस मकान का कब्जा प्राप्त करना होगा। यदि आप समझते हों कि वसीयत के आधार पर आप के पिता का स्वामित्व सिद्ध करने में कठिनाई आ सकती है। क्यों कि वसीयत को साबित करने के लिए उन दो गवाहों में से कम से कम एक का जिन्हों ने वसीयत को तस्दीक किया है बयान न्यायालय में कराना होगा। वसीयत पुरानी होने के कारण हो सकता है वे गवाह जीवित ही नहीं रहे हों। तब आप को ऐसे गवाह का बयान कराना होगा जो आप के पिता और वसीयत को तस्दीक करने वाले दोनों गवाहों के हस्ताक्षरों को पहचनता हो।
यदि वसीयत प्रमाणित न की जा सकती हो तो उत्तराधिकार के आधार पर आप के पिता उस मकान के आधे हिस्से के हकदार हैं और वे आधे हिस्से के बँटवारे का दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि वे पूरे मकान के कब्जे के लिए वाद प्रस्तुत करते हैं तो पूरे मकान की वर्तमान कीमत के आधार पर या आधे हिस्से के बँटवारे के लिए वाद प्रस्तुत करते हैं तो उन्हें मकान की वर्तमान आधी कीमत पर न्यायशुल्क अदा करनी होगी। मेरी सलाह है कि उन्हें वसीयत के आधार पर पूरे मकान का कब्जा प्राप्त करने के लिए वाद प्रस्तुत करना चाहिए तथा विकल्प में बँटवारे के आधार पर आधे हिस्से के कब्जे के लिए भी राहत मांगनी चाहिए। इस मामले में आप सभी दस्तावेजों के साथ अपने नगर के किसी वरिष्ठ दीवानी मामलों के वकील से मिलें और उस से सलाह कर के दावा करवाएँ।
एक पेचीदा सवाल का बहुत सुलझा हुआ ज़वाब दिया है आपने . इस उपयोगी जानकारी के लिए आभार .