वसीयत के आधार पर मकान का हिस्सा कैसे अपने नाम कराएँ?
|समस्या-
अविनाश जैन ने इंदौर मध्य प्रदेश से पूछा है-
मेरे दादाजी ने अपनी वसीयत में एक मकान के चार हिस्से अपने चारों बेटों को दिए उसमें से एक हिस्सा मेरे पिताजी का भी है। मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया है और हम मेरे पिताजी वाले हिस्से में उसी मकान में रहते हैं। अब उस मकान का एक और हिस्सा मेरे चाचा से हम लेना चाहते हैं। तो ऐसे में हमें नाम ट्रांसफर के लिया क्या करना होगा? और उसमें कितने रूपए लगेंगे?
समाधान-
आपके दादाजी ने अपने चारों पुत्रों के नाम वसीयत कर दी। दादाजी के देहान्त के साथ ही उनकी वसीयत प्रभावी हो गयी। इससे सभी चारों पुत्रों को उनके हिस्से का स्वामित्व प्राप्त हो गया। इस कारण यहाँ ट्रान्सफर/ स्थानान्तरण का कोई मामला नहीं है।
वसीयत में यदि दादाजी ने हिस्से निर्धारित कर दिये हैं कि मकान का कौन सा हिस्सा किस के पास रहेगा तो यह भी दुविधा नहीं है कि किस पुत्र को कौन सा हिस्सा प्राप्त होगा। यदि वसीयत में यह निश्चित न हो कि किस पुत्र को कौन सा हिस्सा मिलेगा और केवल यही अंकित हो कि सभी चारों भाई बराबर हिस्सा प्राप्त करेंगे तो यह दुविधा हो सकती है। उसके लिए भी स्थानान्तरण की आवश्यकता नहीं है। चारों भाई या उनके उत्तराधिकारी आपस में मिल कर चारों के हिस्से आपसी सहमति से तय कर सकते हैं और अपने अपने हिस्से पर काबिज हो सकते हैं।
जब चारों भाई अपने अपने हिस्से पार काबिज हो जाएँ, उसके दो चार माह बाद चारों भाई इस आपसी सहमति के आधार पर एक मेमोरेण्डम ऑफ पार्टीशन लिख सकते हैं। जिस में यह लिखा जाएगा कि पिता की वसीयत के आधार पर प्रत्येक भाई अपने अपने फलाँ हिस्से पर काबिज है जिसका यह मेमोरेण्डम लिखा जा सकता है। यह मेमोरेण्डम ऑफ पार्टीशन नोटेरी से तस्दीक कराया जा सकता है। इस पर किसी प्रकार की स्टाम्प ड्यूटी की जरूरत नहीं होगी। यदि मध्यप्रदेश राज्य में इस पर भी कोई स्टाम्प ड्यूटी हो तो उसकी जानकारी किसी रजिस्ट्री कराने वाले स्थानीय वकील से या डीड रायटर से प्राप्त की जा सकती है।.
लेकिन यदि आपसी सहमति के आधार पर अपने अपने हिस्से पर काबिज होने के पहले या उसके साथ ही पार्टीशन डीड / बँटवारा नामा लिख लिया गया तो उसे पंजीकृत कराना और एक बड़ी स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क देना जरूरी होगा।
मेमोरेण्डम ऑफ पार्टीशन के आधार पर नगर पालिका/ पंचायत में आवेदन दे कर उनके रिकार्ड में म्यूटेशन (दाखिल खारिज/ नामान्तरण) कराया जा सकता है।
सबसे बेहतर यह होगा कि आप दीवानी मामलों के किसी अच्छे स्थानीय वकील से मिलें और उसकी मदद से यह काम कराएँ।