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विक्रय-पत्र के पंजीयन हेतु विशिष्ट अनुपालन का वाद संस्थित करें।

समस्या-

मेरी माता और पिता के बीच मे 125 का केस चल रहा है।  सन् 2011 में मेरे पिता द्वारा एक 100 रुपए के स्टांप पेपर पर मकान को मुझे तथा मेरी माँ को रुपए 2 लाख में बेचने का इकरारनामा कर दिया था। बेचान की राशि प्राप्त कर लेने का भी उल्लेख इकरारनामे में है। मकान पर कब्जा पहले से हमारा चला आ रहा था। रजिस्ट्री जब कहेंगे करा दूंगा लिखा है लेकिन अभी तक नहीं कराई है। मकान में हम अभी भी रह रहे हैं, कब्जा हमारा है।  20 साल से पिता द्वारा मकान बेचने की धमकी दी जा रही है। इस इस स्थिति में इकरारनामा की कानूनी स्थिति क्या है? हम क्या कर सकते हैं।

– आशीष राठौर, प्रतापगढ़, राजस्थान

समाधान-

आप के पिता उस मकान को आप को बेच चुके हैं। लेकिन अचल संपत्ति का कोई भी बेचान तब तक पूर्ण नहीं होता है जब तक कि उस के विक्रय पत्र का पंजीयन न हो जाए। इस कारण आप और आप की माँ इस बेचे हुए मकान के विक्रय पत्र का पंजीयन कराने के लिए आप के पिता को लीगल नोटिस दे सकते हैं कि वे इस इकरारनामे के अनुसार मकान के विक्रय पत्र का पंजीयन निर्धारित अवधि (1 माह या अधिक कुछ भी हो सकती है) में कराएँ। नोटिस प्राप्ति के बाद वे विक्रय पत्र का पंजीयन नहीं कराएँ तो आप न्यायालय में इस के लिए संविदा के विशिष्ट अनुपालन का दीवानी वाद संस्थित कर सकते हैं। इस वाद के साथ ही एक अस्थायी निषेधाज्ञा का आवेदन भी न्यायालय को दे सकते हैं कि इस वाद के लंबित रहने तक आप के पिता को अस्थायी निषेधाज्ञा से पाबंद किया जाए कि वह इस मकान के स्वत्व को किसी भी प्रकार से अन्यत्र हस्तांतरित नहीं करें।

इस वाद में एक समस्या यह आ  सकती है कि विक्रय के लिए किए गए इकरारनामे पर 100 रुपए की स्टाम्प ड्यूटी कम है, जिस के कारण इकरारनामे को साक्ष्य में नहीं पढ़ा जा सकता है। वैसी स्थिति में दावा पेश करने के उपरान्त कम स्टाम्प ड्यूटी वाले इकरारनामे को न्यायालय को आवेदन दे कर उचित स्टाम्प ड्यूटी हेतु स्टाम्प विभाग को भेजा जा सकता है और अतिरिक्त स्टाम्प ड्यूटी तथा पेनल्टी अदा करके उसे साक्ष्य में लिए जाने योग्य बनाया जा सकता है।

उक्त मकान का कब्जा आप के पास पहले से है। इकरारनामें में बेचान की धनराशि प्राप्त करना पिता ने स्वीकार किया है। इस तरह इकरारनामे का आंशिक निष्पादन हो चुका है। संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 53-ए के अनुसार अब आप व आप की माता जी से इस मकान का कब्जा किसी भी तरह से किसी के भी द्वारा वापस नहीं लिया जा सकता है। जब भी आप को लगे कि आप से मकान का कब्जा लिया जा सकता है आप न्यायालय में इसी आधार पर  भी वाद संस्थित कर स्थायी व अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन जब तक पिता आप के नाम मकान के विक्रय पत्र का पंजीयन नहीं कराते हैं तब तक वे ही मकान के विधिक स्वामी बने रहेंगे। इस कारण बेहतर है कि आप उन्हें लीगल नोटिस दे कर संविदा के विशिष्ट अनुपालन का वाद ही संस्थित करें। इस काम के लिए अपने क्षेत्र के बेहतरीन दीवानी वकील की ही मदद लें। क्योंकि यह मुकदमा पेचीदा होगा।

 

 

 

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