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विवाह के दो माह बाद ही पत्नी ने साथ रहने से इन्कार कर दिया है

 सचिन पराडकर ने पूछा है –
मेरी शादी को सिर्फ तीन महिने हुए हैं। (विवाह तिथि 11.03.2011) मेरी पत्नी बार बार मायके जाती है पर अबी कुछ दिनों से मायके में है। 14.05.2011 को अचानक मेरे पास महिला थाना से नोटिस आया, काउंसलिंग के लिए बुलाया गया। वहाँ मेरी पत्नी ने मेरे औऱ मेरे परिवार के साथ बिना किसी कारण के रहने से मना कर दिया। मैं एक विकलांग हुआ मुझे चलने में 10 प्रतिशत तकलीफ होती है। मुझे क्या करना चाहिए? 
 उत्तर –
सचिन जी,
ब से पहले तो आप को अपने मन से अपनी विकलांगता का बोझा उतार फेंकना चाहिए। यदि आपने विवाह के पहले अपनी पत्नी और उस के माता-पिता-भाई आदि में से किसी को भी यह बता दिया था कि आप किस तरह के विकलांग हैं, तो इस बात का बोझा अपने मन पर रखने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप ने यह नहीं बताया था तो फिर दोष आप का है। फिर भी ऐसा नहीं कि पत्नी आप के साथ रहने से इन्कार कर दे।  यदि इस विकलांगता का आप की पत्नी को बाद में पता लगा है तो निश्चित रूप से उसे बहुत सदमा हुआ होगा। जितनी आप की विकलांगता से न हुआ होगा उस से अधिक अपने माता-पिता पर हुआ होगा। इसलिए कि उन्हों ने जानकारी होने पर भी इस के बारे में उसे न बताया, या फिर उन्हों ने इस के बारे में जानकारी नहीं की। यदि इस प्रकार का सदमा आप की पत्नी को है तो उसे उस से निकलने में समय लगेगा। आप की पत्नी अभी आप के साथ न रहने का कारण भले ही बता नहीं रही है, लेकिन कुछ तो कारण है ही और उस का पता कर के ही समस्या का हल तलाश किया जा सकता है।
काउंसलिंग के लिए बुलाए जाने की तारीख को आप का विवाह हुए तीन नहीं, सिर्फ दो माह हुए हैं। इस छोटी सी अवधि में पत्नी का बार-बार मायके जाना समझ नहीं आता। कोई भी स्त्री विवाह के पहले एक परिवार में रहती थी और विवाह के बाद अचानक उस का सब कुछ बदल जाता है। उसे नए परिवार को आत्मसात करना होता है। पहले तो विवाह के समय आई दुलहिन को विदा कर देने के बाद वह साल-छह महिने तक ससुराल आती ही नहीं थी। इस बीच पति-पत्नी के बीच चिट्ठी पत्री चलती रहती थी। इस से एक  दूसरे को समझने और आपसी प्रेम को परवान चढ़ने का समय मिलता था। दोनों के बीच की यह दूरी दोनों को एक दूसरे के नजदीक लाने में अहम् भूमिका अदा करती थी। लेकिन लगता है अब लोगों के पास इस के लिए समय नहीं है। पहली विदाई के तुरंत बाद स्त्री को एक दिन भी मायके में नहीं रहने दिया जाता है। 
न सारी परिस्थितियों में मेरी राय है कि महिला थाना जिस काउंसलिंग की व्यवस्था कर रहा है, उस कांउसलिंग में अवश्य जाइए और कोशिश कीजिए कि आप की पत्नी आप के साथ रहने को तैयार हो जाए। उसे आप स्वयं मनाने का प्रयत्न कीजिए। उस के और अपने माता-पिता के बीच बातचीत से इस समस्या का हल निकालने का प्रयत्न कीजिए। मुझे लगता है कि आप स्वयं किसी तरह से टेलीफोन या पत्रों के माध्य

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