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विवाह योग्य आयु होने से दो वर्ष तक बाल विवाह अकृत कराने को आवेदन कर सकते हैं।

समस्या-

सुनीता शर्मा ने जमुई, बिहार से समस्या भेजी है कि-

अगर नाबालिग लड़की की शादी बालिग लड़के से हो जाती है और वो लड़की इस रिश्ते से खुश नहीं है तो क्या ये शादी विवाह है। क्या मैं अपनी मर्जी से यह रिश्ता तोड़ सकती हूँ या मुझे कोर्ट जाना पड़ेगा।

समाधान-

कोई भी हिन्दू विवाह स्वयं में अवैध नहीं होता। जब तक कि न्यायालय से उसे अकृत घोषित कराने अथवा विवाह विच्छेद (तलाक) की डिक्री प्राप्त नहीं कर ली जाती है। इस कारण आप की यह धारणा पूरी तरह से मिथ्या है कि आप अपनी मर्जी से यह रिश्ता तोड़ सकती हैं। आप को इस रिश्ते को समाप्त कराने के लिए अदालत से निर्णय व डिक्री प्राप्त करनी होगी।

आप इस विवाह से छुटकारा चाहती हैं। आप विवाह योग्य उम्र के होने के दो वर्ष की अवधि में अपने जिले के पारिवारिक न्यायालय और पारिवारिक न्यायालय न हो तो जिला न्यायालय के समक्ष अपने बाल विवाह को अकृत घोषित करने के लिए आवेदन दे सकती हैं। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की परिभाषा के अनुसार आप 18 वर्ष की आयु पूर्ण हो जाने पर वयस्क होंगी या हो चुकी होंगी। आप 18 वर्ष की हो जाने के उपरान्त दो वर्ष की अवधि में अपने विवाह को अकृत घोषित कराने के लिए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। लेकिन यह काम आप को जितना जल्दी हो लेना चाहिए। यदि आप 18 वर्ष की उम्र प्राप्त कर चुकी हैं तो बिना किसी देरी के स्वयं अपने बाल विवाह को अकृत कराने के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।

दि आप की आयु 20 से अधिक की हो चुकी है तो फिर आप बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत यह राहत प्राप्त नहीं कर सकतीं। फिर आप को अन्य आधारों पर अपने पति से तलाक लेने के सिवा कोई अन्य मार्ग नहीं है।