विवाह विच्छेद का निर्णय करना जल्दबाजी होगी …
|समस्या-
सुल्तानपुर, उत्तर से घनश्याम पाण्डेय ने पूछा है-
मेरा विवाह सन मई 2011 में हुआ, जैसा कि हमारे यहाँ प्रचलन है लड़की गौने बाद ही अपने ससुराल जाती है, इसीलिए दिसंबर 2011 में लड़की हमारे घर आई। आने के 10 दिन ही बाद वह कहने लगी कि उसके पिता शादी के बाद भी कहीं दूसरी जगह शादी करने वाले थे। इस बात को लेकर हमारे और उनके परिवार के सम्बन्ध बिगड़ गए। लड़की जब दूसरी बार जब हमारे घर आई, तब वह कहने लगी कि उसे तलाक चाहिए। उसकी मर्ज़ी से शादी नहीं हुई, जबरदस्ती शादी हुई है। इस बात को मेरे माता-पिता बार टाल देते, बचपना मानते। लेकिन बार-बार मेरी पत्नी कहने लगी कि मैं इस घर में नहीं रहूंगी। मेरी माँ उसे पसंद नहीं है। अगर वह नहीं रहेंगी, तभी वह रहेगी। कभी वह कहती है कि मुझसे नफरत करती है। इन सब बातों से मेरे घर में क्लेश मचा हुआ है। उसके पिता कहते है कि मुझे फैसला चाहिए। अपनी लड़की से कहते है कि अपना ससुराल छोड़ दो। हमारे पूरे परिवार का एक मात्र मकसद रह गया कि वह लड़की हमारे घर रहे। लेकिन वह मात्र २ दिन भी नहीं रहना चाहती, झगडा करने लगती है कि वह अपने घर जायेगी। उनके परिवार से किसी तरह का भी सहयोग नहीं मिलता। बल्कि बार -बार शादी तोड़ देने की बात कही जाती है। इस तरह घर में अशांति मची रहती है। इससे मेरी मानसिक हालत बिगड़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में क्या तलाक लेना उचित रहेगा या और कोई उम्मीद बची हुई है?
समाधान-
शादी में लड़की की राय नहीं लेने के यही नतीजे होते हैं। विवाह के पहले कम से कम लड़की को उन लोगों से परिचित जरूर होना चाहिए जिन के साथ उसे रहना है। उसे विवाह से पहले पता होना चाहिए कि उस से क्या क्या अपेक्षाएँ उस के नए परिवार में की जाएंगी। लेकिन यह सब नहीं होता है। नतीजा ये है कि आपकी जैसी घटनाएँ बड़ी संख्या में घट रही हैं। मुझे लगता है कि आज के माहौल के हिसाब से आप की व परिवार की अपेक्षाएँ भी कुछ अधिक हैं। आप की पत्नी के परिवार वाले जिस तरह से बात कर रहे हैं वह तो फिर भी ठीक है कि वे फैसला करना चाहते हैं। अन्यथा आज कल तो तुरन्त मुकदमेबाजी आरंभ हो जाती है।
मुझे लगता है कि इस मामले में आप की गलती है कि आप ने पत्नी के इस कथन पर कि उस के पिता उस का विवाह दूसरे लड़के से करना चाहते थे उस के मायके वालों से बात की और बात बढ़ गई। आप की पत्नी अभी अधिक समझदार नहीं है और विवाहित जीवन के अर्थ भी नहीं समझती है। इस का कारण बच्चों में शिक्षा और यौन शिक्षा की कमी भी है। अभी आप को साथ रहने की संभावनाएँ तलाशनी चाहिए। आप को जानना चाहिए कि उसे परिवार के किस किस सदस्य से क्या क्या अपेक्षाएँ हैं। फिर उस हिसाब से उसे परिवार के योग्य बनाने का प्रयत्न किया जा सकता है। यदि संभव हो तो अच्छे काउन्सलर्स की सहायता भी ली जानी चाहिए। आप यदि इस मामले को इस तरह से हल करने का प्रयत्न करें कि आप की पत्नी और उस के मायके वाले कम शिक्षित हैं तो उन्हें सारी ऊँच नीच समझा कर ही मामले को हल किया जा सकता है। विवाह विच्छेद का निर्णय करना अभी जल्दबाजी होगी।
फिर भी यदि आप की पत्नी और उस के माता-पिता यदि फैसला ही करना चाहें तो आपस में बैठ कर यही बात करें कि विवाह विच्छेद की शर्तें क्या होंगी? यदि शर्तें आपस में बैठ कर तय हो जाएँ। तो पति-पत्नी और दोनों परिवारों के बीच एक इकरारनामा निष्पादित कर के नोटेरी से तस्दीक करवा लिया जाए और उस के आधार पर सहमति से विवाह विच्छेद के लिए आवेदन कर दिया जाए। 6-7 माह में विवाह विच्छेद हो सकता है। इसे पति-पत्नी और दोनों के परिवार वाले एक दूसरे से स्वतंत्र हो कर नया जीवन आरंभ कर सकते हैं। अन्यथा फिजूल की मुकदमेबाजी में समय और पैसा बहुत नष्ट होगा और मानसिक तनाव व शारीरिक परेशानियाँ भी होंगी।