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शासकीय कर्मचारी पत्रकार या बीमा अभिकर्ता नहीं हो सकता।

समस्या-

जंजगीर चम्पा, छत्तीसगढ़ से विनायक ने पूछा है-

1- मैं एक शासकीय प्राइमरी स्कूल टीचर हूँ।  क्या मैं पत्रकार का लाइसेंस ले सकता हूँ?  क्या सरकारी कर्मचारी बीमा /पत्रकारिता या अन्य किसी प्रकार का लाइसेंस ले सकता है?  कृपया इसके बारे में विस्तार से बताएं।

2- कुछ दिनों पहले मैंने छात्रों को विकास खंड शिक्षा अधिकारी से बगैर अनुमति के पिकनिक पर ले गया था। इस गुनाह पर मुझे पर किस -किस का दंड दिया जा सकता है?  इसके बचाव के लिए मै क्या कर सकता हूँ?

समाधान-1

Primary Teacherशासकीय कर्मचारी कोई भी ऐसा काम बिना अनुमति के नहीं कर सकता जिस से वह किसी अन्य के अधीन रह कर कोई आय अर्जित करता हो।  इस कारण से एक शासकीय कर्मचारी हो कर आप न तो बीमा अभिकर्ता हो सकते हैं और न ही पत्रकारिता कर सकते हैं। आप शौकिया पत्रकारिता भी नहीं कर सकते।

बीमा अभिकर्ता होने के लिए लायसेंस की आवश्यकता होती है। लेकिन पत्रकारिता के लिए किसी लायसेंस की आवश्यकता नहीं होती। पत्रकारिता या तो किसी समाचार पत्र की नौकरी के रूप में होती है जो आप शासकीय कर्मचारी होने के कारण नहीं कर सकते। एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में भी कार्य किया जा सकता है। लेकिन यह आचरण नियमों के विरुद्ध होने के कारण आप नहीं कर सकते।

समाधान-2

प एक प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक हैं। यदि आप स्वयं प्रधानाध्यापक हैं तो स्वयं यह तय कर सकते हैं कि विद्यार्थियों को कब पिकनिक के लिए ले जाना है, यदि आप प्रधानाध्यापक नहीं हैं तो प्रधानाध्यापक की अनुमति से ऐसा कर सकते हैं, जब तक कि किसी नियम या परिपत्र द्वारा बिना विकास खंड शिक्षा अधिकारी की पूर्व अनुमति के ऐसा करने पर रोक न लगाई गई हो।

दि कोई ऐसा नियम या आदेश है कि आप बिना विकास खंड शिक्षा अधिकारी की अनुमति के विद्यार्थियों को पिकनिक या विद्यालय से बाहर न ले जाएंगे तो फिर निश्चित ही आप का यह कृत्य एक दुराचरण है जिस के लिए आप को आरोपित किया जा सकता है और अनुशासनिक कार्यवाही की जा सकती है।

लेकिन मेरी राय में न तो नियमों में और न ही ऐसा कोई परिपत्र ऐसा हो सकता है कि एक अध्यापक अपने विद्यार्थियों को पिकनिक पर न ले जा सकता हो। इस कारण से आप निश्चिंत हो सकते हैं। हाँ, यदि इस मामले में आप को कोई कारण बताओ नोटिस या आरोप पत्र मिलता है तो आप पहले यह छानबीन कर लें कि क्या ऐसा कोई नियम या परिपत्र है। उस के बाद ही सोच समझ कर उस कारण बताओ नोटिस या  आरोप पत्र का उत्तर दें।

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