संविदा के अवसान से कर्मकार की सेवा समाप्ति, जो छँटनी नहीं है
|छँटनी की परिभाषा में हम ने पाया था कि नियोजक द्वारा किसी भी कर्मकार की सेवा समाप्ति चाहे वह किसी भी कारण से क्यों न की गई हो छँटनी है। किसी भी कर्मकार को छँटनी किए जाने के लिए नियोजक को क्या क्या करना आज्ञात्मक है यह औद्योगिक विवाद अधिनियम के अध्याय 5-क तथा अध्याय 5-ख में निर्देशित किया गया है। लेकिन धारा 2 (ओओ) में छँटनी के अपवाद प्रदर्शित किये गये हैं। इन में से तीन की हम पहले चर्चा कर चुके हैं। चौथा अपवाद उपधारा 2 (ओओ) (बीबी) निम्न प्रकार है —
[(bb) Termination of the service of the workman as a result of the non-renewal of the contract of employment between the employer and the workman concerned on its expiry or of such contract being terminated under a stipulation in that behalf contained therein;
अर्थात् –
(खख) किसी कर्मकार की सेवा संविदा का अवसान हो जाने पर नियोजक और कर्मकार के मध्य सेवा संविदा का नवीनीकरण न होने के फलस्वरुप या संविदा में अंकित किसी शर्त के अतर्गत सेवा संविदा की समाप्ति से हुई सेवा समाप्ति;
इस अपवाद के दो भाग हैं,
1. जब सेवा संविदा में संविदा की अवधि निश्चित कर दी गई हो तो उस अवधि के समाप्त हो जाने से सेवा संविदा का अवसान हो जाने पर सेवा संविदा का नवीनीकरण न किया गया हो तब होने वाली कर्मकार की सेवा समाप्ति; तथा
2. सेवा संविदा में अंकित किसी शर्त के कारण सेवा संविदा का अवसान हो जाने से हुई सेवा समाप्ति, को भी छँटनी की परिभाषा के बाहर रखा गया है।
मूल अधिनियम में यह अपवाद नहीं था। इसे 1984 में औद्योगिक विवाद अधिनियम में हुए 49वे संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया। इस संशोधन ने संपूर्ण औद्योगिक नियोजन के स्वरूप को ही बदल डाला। अब नया नियोजन देने के समय नियोजक अक्सर यह शर्त रखने लगे कि उस की नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए की जा रही है। यदि उस अवधि के उपरान्त नियोजक कर्मकार की सेवा संविदा का नवीनीकरण नहीं करता है तो कर्मकार की सेवा समाप्त हो जाती है जिसे छँटनी नहीं माना और नियोजक को किसी तरह की आज्ञापक प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता समाप्त हो गई। इस प्रावधान का सर्वाधिक लाभ स्वयं सरकारों ने उठाया। वे निश्चित अवधि के लिए ही सेवा संविदा करने लगे और एक नए प्रकार का कर्मकार अस्तित्व आ गया जिसे आज कल संविदाकर्मी कहा जाता है।
इसी तरह नियुक्ति पत्र, प्रमाणित या संस्थान पर प्रभावी मॉडल स्थाई आदेशों या सेवा नियमों में किसी शर्त के होने पर उस शर्त के अनुसार संविदा का अवसान हो जाने से होने वाली सेवा समाप्ति को भी छँटनी की परिभाषा के बाहर कर दिया गया और इस तरह की सेवा समाप्ति के लिेए भी छँटनी के लिए निर्धारित आज्ञापक प्रक्रिया के अपनाने की आवश्यकता नहीं रही।