संविदा पर नियुक्त कर्मकारों के कुछ सवाल
|तीसरा खंबा की कानूनी सलाह सेवा से अनेक सवाल संविदा नियोजन के बारे में और ऐसे नियोजन में दो वर्ष काम कर लेने पर स्थाई किए जाने के बारे में पूछे गए हैं। एक पाठक मुकेश मेहरा ने पूछा है कि उन का नरेगा योजना में चयन समिति द्वारा विधि पूर्वक चयन किया जा कर एक वर्ष के लिए अनुबंध करते हुए अनुबंध पर पर नियुक्ति दी गई थी अब उन्हें काम करते हुए दो वर्ष से अधिक समय हो चुका है और क्या वे नियमित होने के हकदार हैं और इस के लिए उन्हें क्या करना होगा।
इसी तरह एक अन्य पाठक महेन्द्र सिंह ने पूछा है कि जब उन की दिनांक 06/07/2008 को डाटा आपरेटर पद पर संविदा पर नियुक्ति हुई तब पद योग्यता ग्रेजुएट तथा 8000 डिप्रेशन कम्प्युटर गति निर्धारित थी दिनांक 08/10/2009 के शासन सचिव के आदेशानुसार अब योग्यता ग्रेजुएट मय ओ लेवल कम्प्युटर कोर्स या पीजीडीसीए कर दी गई है उन की योग्यता ग्रेजुएट व एक वर्ष का डाटा आपरेटर अनुभव है क्या वे इस पद पर बने रह सकते हैं?
ये सभी लोग ऐसे नियोजनों में हैं जो औद्योगिक विवाद अधिनियम में परिभाषित उद्योग की श्रेणी में आते हैं, फलतः ये नियोजन औद्योगिक विवाद अधिनियम-1947 से शासित होते हैं। 1984 में औद्योगिक विवाद अधिनियम में किए गए संशोधनों में छंटनी शब्द की परिभाषा को भी संशोधित कर दिया गया था। उस में कुछ सेवा समाप्तियों को छंटनी शब्द की परिभाषा से बाहर कर दिया था। धारा- 2 (ओओ) (बीबी) में अंकित किया गया था कि कर्मकार की सेवा समाप्ति यदि नियोजक और कर्मकार के मध्य हुई नियोजन संविदा की समाप्ति पर हो जाए अथवा उस संविदा में अंकित किसी शर्ते के कारण हो जाए तो ऐसी सेवा समाप्ति को छंटनी नहीं माना जाएगा।
इस संशोधन के पूर्व स्थिति यह थी कि संविदा की अवधि की समाप्ति पर या संविदा में अंकित किसी शर्त के अनुरूप सेवा समाप्त होने पर भी यदि किसी कर्मकार ने एक वर्ष की लगातार सेवा अथवा सेवा समाप्ति के पूर्व के एक वर्ष में 240 दिन वास्तविक काम कर लिया हो तो ऐसी सेवा समाप्ति को छंटनी माना जाता था। चूंकि छंटनी के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाया जाना आवश्यक था। उस प्रक्रिया में चूक होने पर छंटनी अवैध हो जाती थी और कर्मकार को न्यायालय पुनः सेवा में लेने और बीच की अवधि का पूरा या आंशिक वेतन अदा करने का आदेश देता था। इस संशोधन के होने के उपरांत स्थिति बदल गई और सरकारी और गैर सरकारी नियोजनों में संविदा नियुक्तियों की बाढ़ आ गई।
अब संविदा पर नियोजन दिए जाने लगे। संविदाएँ एक-एक माह से ले कर एक-दो वर्ष तक की होने लगीं। यहाँ तक कि यह होने लगा कि एक बार संविदा पर नियोजन देने के उपरांत उस संविदा को बार बार संशोधित कर अवधि बढ़ाई जाने लगी। अच्छे कर्मकार इस आशा में कि कभी तो उन की सेवाओं को नियमित किया जाएगा। संविदा नियोजनों पर लगातार कई वर्षों तक काम करने लगे। यहाँ तक कि वे अपने अफसरों की व्यक्तिगत सेवाएँ भी इस कारण से करने लगे कि उस की सिफारिश से ही वे स्थाई हो जाएंगे। जब कि कानूनी स्थिति यह है कि संविदा पर नियोजित किसी भी व्यक्ति की सेवाएं संविदा की अवधि समाप्त होने स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं अथवा सेवा संविदा में स्थित किसी शर्त के कारण समाप्त हो जाती हैं। ऐसी सेवा समाप्तियाँ वैध हैं और उन्हें न्यायालय के समक्ष चुनौती दे कर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
जहाँ तक इन कर्मकारों को स्थाई किए जाने का प्रश्न है। ऐसा कोई भी कानून या नियम नहीं है कि इन्हें स्थाई किया ही जाए। यह पूरी तरह से सरकार या नियोजक पर निर्भऱ करता है कि ऐसे कर्मकारों को नियमित किया जाए अथवा नहीं। वे अपने कानूनी अधिकार के रूप में स्थाईकरण की मांग नहीं कर सकते। इसी तरह यदि पिछले वर्षो में कर्मकारों के चयन के लिए कम योग्यता थी और अब योग्यता का आधार अधिक योग्यता कर दिया गया है तो पूर्व में नियोजित कर्मकार की संविदा समाप्त होने पर आवश्यक नहीं कि उस संविदा का नवीनीकरण किया ही जाए। बल्कि यदि नवीनीकरण कर भी दिया गया तो वह तब तक नियम विरुद्ध होगा जब तक कि योग्यता का स्तर बढ़ाने के नियम में यह नहीं लिखा हो कि जो कर्मकार पूर्व में निर्धारित योग्यता के आधार पर चयन कर नियुक्त कर लिए गए हैं उन की संविदा के नवीनीकरण पर यह नियम लागू नहीं होगा। इस तरह कम योग्यता के स्तर के आधार पर नियुक्त संविदा कर्मकार को अपना नियोजन खोना ही पड़ेगा।
अब संविदा पर नियोजन दिए जाने लगे। संविदाएँ एक-एक माह से ले कर एक-दो वर्ष तक की होने लगीं। यहाँ तक कि यह होने लगा कि एक बार संविदा पर नियोजन देने के उपरांत उस संविदा को बार बार संशोधित कर अवधि बढ़ाई जाने लगी। अच्छे कर्मकार इस आशा में कि कभी तो उन की सेवाओं को नियमित किया जाएगा। संविदा नियोजनों पर लगातार कई वर्षों तक काम करने लगे। यहाँ तक कि वे अपने अफसरों की व्यक्तिगत सेवाएँ भी इस कारण से करने लगे कि उस की सिफारिश से ही वे स्थाई हो जाएंगे। जब कि कानूनी स्थिति यह है कि संविदा पर नियोजित किसी भी व्यक्ति की सेवाएं संविदा की अवधि समाप्त होने स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं अथवा सेवा संविदा में स्थित किसी शर्त के कारण समाप्त हो जाती हैं। ऐसी सेवा समाप्तियाँ वैध हैं और उन्हें न्यायालय के समक्ष चुनौती दे कर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।
जहाँ तक इन कर्मकारों को स्थाई किए जाने का प्रश्न है। ऐसा कोई भी कानून या नियम नहीं है कि इन्हें स्थाई किया ही जाए। यह पूरी तरह से सरकार या नियोजक पर निर्भऱ करता है कि ऐसे कर्मकारों को नियमित किया जाए अथवा नहीं। वे अपने कानूनी अधिकार के रूप में स्थाईकरण की मांग नहीं कर सकते। इसी तरह यदि पिछले वर्षो में कर्मकारों के चयन के लिए कम योग्यता थी और अब योग्यता का आधार अधिक योग्यता कर दिया गया है तो पूर्व में नियोजित कर्मकार की संविदा समाप्त होने पर आवश्यक नहीं कि उस संविदा का नवीनीकरण किया ही जाए। बल्कि यदि नवीनीकरण कर भी दिया गया तो वह तब तक नियम विरुद्ध होगा जब तक कि योग्यता का स्तर बढ़ाने के नियम में यह नहीं लिखा हो कि जो कर्मकार पूर्व में निर्धारित योग्यता के आधार पर चयन कर नियुक्त कर लिए गए हैं उन की संविदा के नवीनीकरण पर यह नियम लागू नहीं होगा। इस तरह कम योग्यता के स्तर के आधार पर नियुक्त संविदा कर्मकार को अपना नियोजन खोना ही पड़ेगा।
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8 Comments
सविधा २००७ अधिनियम में संसोधन होना चाहिए सरकार ने आम जनता के लिए कई योजनाएं चलाई हे उसी तरह सविधा कर्मचारी के लिए भी ऐसी कोई योजना चलायी जाये जिससे उन्हें भविस्य में कोई चिंता न हो के वे २ वर्ष बाद निकल दिए जायेंगे और जिस तरह सतवा वेतनमान शासकीय कर्मचारियों को मिलेगा उसमे सविधा कर्मचारियों का भी वेतन बढ़ाया जाये कई जगह तो सविधा कर्मचारियों का वेतन ६००० ही हे जो आज के समय में उनके लिए पर्याप्त नहीं हे
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महानरेगा सविदा कर्मचारीयो मे हर सविदा कर्मचारी के एक वर्ष बाद इन्क्रीमेन्ट मिल रहा है लेकिन महानरेगा सविदा कर्मचारी कम्प्युटर सहायक को एक वर्ष बाद इन्क्रीमेन्ट नही मिल रहा है आपसे निवेदन है कि पंचायत समिति स्तर पर लेटर भेज कर सूचित करे ताकि हमे भी इन्क्रीमेन्टी दिया जावे
जब नरेगा सूरू हुई तक कम्प्युटर सहायक को 4500 रू प्रति माह दिये जाते है फिर राज्य सरकार के नियम के अनुसार 2 वर्ष बाद 2010 मे तनखा बढाई गई और 6000 रू प्रति माह वेतन किया गया लेकिन इन्क्रीमेन्ट बिलकुल नही दिया जा रहा है लेकिन अन्य पद जैसे लेखा सहायक, रोजगार सहायक, डाटाऐन्टी ऑपरेटर आदि को इन्क्रीमेन्ट दीया जा रहा है यह राज्य सरकार हमारे साथ सैतेला व्यवहार कर रही है
अगर कम्प्युटर सहायक को इन्क्रीमेन्ट नही देना चाहती तो इस पर को डाटा ऐन्टी ऑपरेटर बनाया जावे ताकि इस पर को इन्क्रीमेन्ट दिया जा रहा है या फिर इसी पर कम्प्युटर सहायक के लिए इन्क्रीमेन्ट दिलावे का श्रम करावे क्रांगेस सरकार के 4 वर्ष पुरे हऐ लेकिन हम बैरोजगार की जिवनी गुजार रहे है यह सरकार से हम भी आशा करते है कि हमे भी कुछ दे और स्थाई नौकरी की आशा मे हम भी बैठे है
महानरेगा में पंचायत समिति स्तर पर डाटा ऐन्टी ऑपरेटर व कम्प्युटर सहायक मय मशीन एक साथ अनुबन्ध पर लगे थे व वेतन अलग अलग प्रकार का था कार्य आफिस का एक सममान था
सरकार ने करोडो खर्च करके भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र खोले है वहा पर आफिस जो हर समय खुला रहे इसलिये सरकार को इन डाटा ऐन्टी ऑपरेटर व कम्प्युटर सहायक मय मशीन व एक रोजगार सहायक को स्थाई करना चाहिऐ
जय पंचायत
जय कांग्रेस
धन्यवाद
नरेगा संध सवीधा कामिक
महानरेगा में पंचायत समिति स्तर पर डाटा ऐन्टी ऑपरेटर व कम्प्युटर सहायक मय मशीन एक साथ अनुबन्ध पर लगे थे व वेतन अलग अलग प्रकार का था कार्य आफिस का एक सममान था
सरकार ने करोडो खर्च करके भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र खोले है वहा पर आफिस जो हर समय खुला रहे इसलिये सरकार को इन डाटा ऐन्टी ऑपरेटर व कम्प्युटर सहायक मय मशीन व एक रोजगार सहायक को स्थाई करना चाहिऐ
जय पंचायत
जय कांग्रेस
सुंदर जानकारी
महत्वपूर्ण जानकारी द्विवेदी साहब , चाहे ठीक कहूँ या फिर गलत लेकिन क्योंकि ऐसी समस्या से कई बार मुझे भी दो चार होना पड़ता है, इसलिए ज्ञानवर्धन के लिए शुक्रिया " आपके लेख का सार आपकी इन पकितियों में मौजूद है " जहाँ तक इन कर्मकारों को स्थाई किए जाने का प्रश्न है। ऐसा कोई भी कानून या नियम नहीं है कि इन्हें स्थाई किया ही जाए। यह पूरी तरह से सरकार या नियोजक पर निर्भऱ करता है कि ऐसे कर्मकारों को नियमित किया जाए अथवा नहीं।"
काफी जानकारी मिली.