समझें, भारतीय कॉपीराइट कानून में 'कॉपीराइट' क्या है?
|- पिछले अंक में हमने कॉपीराइट का उल्लेख करते हुए देखा था कि कॉपीराइट का उल्लंघन करना बहुत हानिकारक हो सकता है, यहाँ तक कि भारी जुर्माना और सजा का भी सामना करना पड़ सकता है। जिस से एक कृतिकार का जीवन बहुत ही विपरीत रूप से प्रभावित हो सकता है।
- 25 फरवरी, 2008 के अंक में मैं ने एक संक्षिप्त प्रयत्न किया था कि कॉपीराइट क्या है? इसे समझा जाए। लेकिन बाद में वह प्रयत्न अपर्याप्त प्रतीत हुआ। अनेक पाठकों ने उस अंक को संग्रहीत करने की सूचना भी मुझे दी। इस पर मैंने इसे और गंभीरता के साथ प्रस्तुत करने का निर्णय लिया। इस कारण से पिछले अंक का अंतिम भाग को हटा कर दुबारा प्रस्तुत करना उचित समझा। जिन पाठकों ने पिछला अंक संग्रहीत किया है उसे हटा कर पिछले अंक को दुबारा संग्रहीत कर लें।
- कॉपीराइट कानून को हिन्दी में प्रस्तुत करने का मेरा यत्न है लेकिन फिर भी इस का अंग्रेजी संस्करण ही कानून द्वारा मान्य है। इस कारण से मैं ने “इंण्डियन कॉपीराइट एक्ट” का मूल अंग्रेजी पाठ “तीसरा खंबा पुस्तकालय” में संग्रह कर प्रकाशित कर दिया है जिसे आप यहाँ क्लिक कर के पढ. सकते हैं और प्रतिलिपि बना कर अपने कंप्यूटर पर संग्रह भी कर सकते हैं। मेरा निवेदन तो यह है कि प्रत्येक कृतिकार को यह कार्य तुरंत कर लेना चाहिए।
कॉपीराइट का अर्थ-
कॉपीराइट का अर्थ किसी कृति अथवा उस के किसी महत्वपूर्ण अंश के सम्बन्ध में भारतीय कॉपीराइट कानून के प्रावधानों की परिधि में, इस कानून के अधिकार से किसी कार्य को करने, या उसे करने के लिए अधिकृत करने का एक-मात्र अधिकार है। यही कारण है कि भारत में कॉपीराइट को समझने के लिए इस कानून को समझना आवश्यक हो जाता है।
भारतीय कॉपीराइट कानून की धारा-14 के अनुसार किसी भी कृति के सम्बन्ध में कॉपीराइट का अर्थ निम्न प्रकार हैं-
(क) कंप्यूटर प्रोग्राम के रुप के अतिरिक्त साहित्यिक (Literary), नाटकीय (Dramatic) या संगीतीय (Musical)कृतियों के सम्बन्ध में इन में से किसी भी–
i- कृति को किसी भी तात्विक रुप में पुनः प्रस्तुत करना जिस में कृति को इलेक्ट्रॉनिक विधि से किसी माध्यम में संग्रहीत करना सम्मिलित है,
ii- कृति की प्रतियाँ जनता में वितरित करना जिन में पहले से वितरित प्रतियाँ सम्मिलित नहीं हैं;
iii- कृति का सार्वजनिक प्रदर्शन या उसे जनता में संप्रेषित करना;
iv- किसी कृति के संबन्ध में सिनेमा फिल्म बनाना या उस का ध्वन्यांकन करना;
v-किसी कृति का अनुवाद करना;
vi- कृति का रुपान्तरण (अनुकूलन) करना;
vii- कृति के अनुवाद या रुपान्तरण (अनुकूलन) के सम्बन्ध में उक्त बिन्दु संख्या i से vi तक में वर्णित कोई भी कार्य करना सम्मिलित है।
(ख) किसी कम्प्यूटर प्रोग्राम के सम्बन्ध में कोई भी वह काम करना (i) जो ऊपर बिन्दु (ख) में वर्णित है;
(ii) कम्प्यूटर प्रोग्राम की प्रतिलिपि को बेचना या व्यावसायिक रुप से किराए पर देना या बेचने या व्यावसायिक रुप से किराए पर देने के लिए प्रस्ताव करना,किन्तु व्यावसायिक रुप से किराए पर देना उन कम्प्यूटर प्रोग्रामों पर लागू नहीं होगा जहाँ प्रोग्राम को किराए पर देना आवश्यक उद्देश्य नहीं है।
(ग) कलात्मक कृतियों के सम्बन्ध में कापीराइट का अर्थ इन में से किसी भी कृति को –
i- कृति को किसी भी तात्विक रुप में पुनः प्रस्तुत करना जिस में द्विआयामी कृतियों का त्रिआयामी तथा त्रिआयामी कृतियों का द्विआयामी रुप में चित्रांकन सम्मिलित है;
ii- कृति को जन-संचारित करना;
iii- कृति की प्रतियाँ जनता में वितरित करना जिन में पहले से वितरित प्रतियाँ सम्मिलित नहीं हैं;
iv-कृति को किसी फिल्म में शामिल करना;
v- कृति का रुपान्तरण (अनुकूलन) करना;
vi- कृति के रुपान्तरण (अनुकूलन) के सम्बन्ध में उक्त बिन्दु संख्या i से iv तक में वर्णित कोई भी कार्य करना सम्मिलित है।
(घ) किसी सिनेमेटोग्राफ फिल्म के सम्बन्ध में–
i- उस फिल्म की प्रतिलिपि बनाना जिस में किसी भी ऐसी आकृति का छायाचित्र भी सम्मिलित है जो फिल्म का भाग है;
ii-फिल्म की किसी प्रतिलिपि को बेचना या किराए पर देना, या बेचने या किराए पर देने का प्रस्ताव करना, चाहे वह प्रतिलिपि पूर्व में किसी अवसर पर बेची या किराए पर दी गई हो;
iii- फिल्म को सार्वजनिक रुप से प्रदर्शित करना।
(ङ) ध्वन्यांकन (sound recording) के सम्बन्ध में,
(i) इस का उपयोग करते हुए अन्य ध्वन्याकंन करना;
(ii) ध्वन्यांकन को बेचना या किराए पर देना, या बेचने या किराए पर देने का प्रस्ताव करना, चाहे ध्वन्याकंन की वह प्रतिलिपि पूर्व में किसी अवसर पर बेची या किराए पर दी गई हो;
(iii) ध्वन्यांकन का सार्वजनिक प्रदर्शन करना;
स्पष्टीकरण- उक्त सभी मामलों में किसी प्रतिलिपि के एक बार बिक जाने पर उस प्रतिलिपि को प्रचलन में माना जाएगा।
विशेष- पाठकों को इसे समझने का प्रयत्न करने पर जो भी शंकाएं हों उन्हें मुझे टिप्पणी रुप में प्रेषित करेंगे तो कॉपीराइट कानून के प्रस्तुत किए गए भाग की व्याख्या प्रस्तुत करने में मुझे सहायता प्राप्त होगी। अग्रिम धन्यवाद।
सर यदि किसी बात का मतलब दो पुस्तकों में एक जैसा हो परन्तु दोनों को बिल्कुल अलग अंदाज में लिखा गया हो तो क्या यह कॅापिराइट का उल्लंघन है? कृपया मुझे ई-मेल पर जानकारी देने का कष्ट करें।
महोदय,
मैं मौलिक लेख,कविता आदि लिखता हूँ और ग्राफिक्स भी बनाता हूँ,जिसका प्रकाशन फेसबुक और मेरे ब्लौग पर करता हूँ.क्या मैं बिना पंजीकरण करवाए अपनी मौलिक रचनाओं\ग्राफिक्स पर कोपीराईट का का चिन्ह लगा सकता हूँ,और ”कोपीराईट” लिख सकता हूँ? कृपया मुझे मेल से जानकारी देंगे तो आभारी रहूंगा.
सादर.
अशोक पुनमिया.
ashok punamiya का पिछला आलेख है:–.!! खुली आँखें-बंद दिमाग !!
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बढ़िया , कीमती जानकारी । कम से कम इन्हें समझने के लिए मैं किसी कानून की किताब को कभी नहीं पढ़ता। शुक्रिया
दिनेश जी अच्छी जान कारी के ल्रिये आप का बहुत बहुत धन्यवाद
अज्ञात जी, दुनिया के सारे कॉपीराइट के कानून, कॉपीराइटेड सामग्री का उचित प्रयोग करने की अनुमति देते हैं। इसके बारे में मैंने मुजरिम उन्मुक्त, हाजिर हों चिट्ठी में लिखा है। इसी अधिकार से एग्रेगेटर भी आपकी चिट्ठी का कुछ भाग दिखा देते हैं। इसमें कोई गलती नहीं है। इसका यह भी अर्थ है कि आप किसी भी एग्रेगेटर को, जिस तरह से वे आपकी चिट्ठी का कुछ भाग दिखा रहे हैं, कानूनी तौर करने से मना नहीं कर सकते हैं।
भट्ट जी,मेरे विचार से, दिनेश जी की यह बात ठीक है कि कॉपीराइट को पंजीकृत कराना जरूरी नहीं है। सार्वजनिक हो जाने का मतलब नहीं है कि आपका कॉपीराइट समाप्त हो गया है। यह तो आपके कॉपीराइट का सबूत है पर जब आप कभी अखबार के लिये या पत्रिका के लिये लिखते हैं तो यह आपके तथा अखबार या पत्रिका के बीच संविदा के ऊपर निर्भर करता है कि कॉपीराईट किसके पास रहेगा। अक्सर यह, संविदा के कारण, अखबार या पत्रिका के पास रहता है। कृपया अपने और अखबार के बीच हुऐ संविदा को भी देखें कि यह किसके पास रहेगा।
कीर्तिश जी! आप को चिंता करने का कोई कारण है ही नहीं जैसे ही आप का कार्टून बन कर पूर्ण होता है, उस का कॉपीराइट आप के पास होता है। आप को कानून ने यह अधिकार दे रखा है। उस का पंजीकरण कराने की आप को आवश्यकता नहीं है। फिर भी चाहें तो उसे पंजीकृत कराया जा सकता है। पंजीकरण का असर इतना मात्र होगा कि यह पंजीकरण आप के कार्टून पर कॉपीराइट का सबूत होगा और उसे चुनौती देने वाले पर इस तथ्य को साबित करने का भार होगा कि आप की कृति में आप का कॉपीराइट नहीं है। आप पर यह साबित करने का भार नहीं होगा कि आप का उस कृति में कॉपीराइट है। वैसे भी कार्टून का प्रथम प्रकाशन इस बात का मजबूत सबूत है कि उस में आप का कॉपीराइट है। इसलिए आप को पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।
बहुत काम की जानकारी होती है दिनेश जी आपके ब्लॉग पर. धन्यवाद. में भी बहुत दिनों से इसके बरे में सोच रहा था कि में अपने कार्टूनों का कॉपीराईट केसे ले सकता हूँ. मेरे साथ समस्या यह है कि मैं हर रोज़ नया कार्टून बनता हूँ और बनते ही वह अख़बार में छपकर सार्वजनिक हो जाता है. तो ऐसा कोई उपाय है कि बनने से पहले ही मेरे कार्टूनों का कॉपी राइट मेरे पास हो? हो सकता है मेरा सवाल बेवकूफी भरा हो लेकिन फिर भी मेरी समस्या का कोई हल सुझाएँ
सर फिर ये एग्रीगेटर बिना पूछे कैसे ब्लॉग दिखा देते हैं? क्या यह भी…?