समन की तामील समाचार पत्र में प्रकाशन से संभव नहीं है।
अंकित ने जयपुर, मानसरोवर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
यदि धारा 138 के अपराध में अभियुक्त से सम्मन तामील करानी हो और उस अभियुक्त का कही पता नही चल पा रहा हो तो क्या अंखबार में उस व्यक्ति के नाम से सम्मन तामील करवाई जा सकती है या नहीं।
समाधान-
धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अपराधिक परिवाद से उत्पन्न प्रकरण में या किसी भी अपराधिक प्रकरण में समन रजिस्टर्ड डाक से अथवा अखबार में प्रकाशन के माध्यम से तामील नहीं कराया जा सकता। अपराधिक प्रकरणों में अभियुक्त की उपस्थिति व्यक्तिगत रूप से आवश्यक होती है इस कारण उसे व्यक्तिगत रूप से तामील कराया जाना आवश्यक है।
यदि समन एक बार तामील हो भी गया और अभियुक्त पेशी पर उपस्थित नहीं हुआ तो जमानती या गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करना होगा उस की तामील भी व्यक्तिगत रूप से ही करानी पड़ेगी। धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम का मामला एक अपराधिक मामला है, रुपया वसूली की कार्यवाही नहीं है। इस का उद्देश्य चैक अनादरण के बाद मांग पर धनराशि न देने के अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दंडित करना है। इस प्रकार के प्रकरणों में न्यायालय परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में चैक की राशि से दुगनी राशि तक दिलवा सकती है। पर यह जरूरी नहीं न्यायालय यह भी कर सकता है कि परिवादी को कोई राहत नहीं दिलाए।
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