सहमति से विवाह विच्छेद का मार्ग बनाएँ।
|समस्या-
अनुराग ने बरेली, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
मैं मूलतः बरेली जिले का रहने वाला हूँ व अपने ही कार्यक्षेत्र (प्राइवेट) से सम्बंधित एक सजातीय वर्ग की लड़की से मेरी मुलाकात 2006 में हुई। मैं उसे प्रेम करने लगा क्यों कि कुछ समय बाद उसने अपने अतीत के बारे में मुझे लगभग काफी कुछ बता दिया जो कि आम लड़कियां कम ही बताती हैं। उसके एक वर्ष के उपरांत दोनों ही पक्षों की पारिवारिक सहमति से मेरा विवाह 21 अप्रैल 2007 को लखनऊ में संपन्न हुआ। मेरी पत्नी अपने माँ-बाप कि इकलौती संतान है तथा शादी के कुछ महीनों के बाद हम दोनों अपने कार्य क्षेत्र दिल्ली में आकर रहने लगे। शादी के एक वर्ष बाद हम दोनों को पारिवारिक व आर्थिक स्थितियों के कारण दिल्ली से बरेली आना पड़ा। यहाँ पर मेरी पत्नी की मेरी माँ से कहा-सुनी हो जाने के कारण वो 2008 में लखनऊ जाने लगी। वह एक बार दिल्ली में भी ऐसा कर चुकी थी और मैं उसके गुस्से व स्वछंद विचारों को जान चुका था और ये भी जानता था को वो दिल की बुरी नहीं है ऊपर से वो गर्भवती भी थी। इस कारण मुझे भी उसके साथ जाना पड़ा। उस समय मेरे घर पर मेरे दो छोटे भाई मेरी माँ के साथ रहते थे व मेरी माँ एक सरकारी टीचर थी। मेरे पिता का देहांत काफी पहले हो चुका था। लखनऊ जाने के बाद मेरे दो पुत्र हुए जिन की उम्र आज क्रमशः 5.5 व 4 वर्ष है। मेरी सास का देहांत 2009 में हार्टअटैक से हो चुका है व ससुर जी अक्टूबर 2014 में अपनी सरकारी नौकरी से रिटायर होने वाले हैं और एक किराये के मकान में रहते हैं। मेरी समस्या जनवरी 2012 से शुरू हुई जब मेरे एक मित्र की शादी थी और वो अपने भाई के साथ कुछ दिन खरीददारी के लिए मेरे घर पर रुका। उस समय मै एक टूरिंग जॉब करता था। वापस आने पर एक बार फिर से वो लोग खरीदारी के लिए लखनऊ आये। उस समय मुझे मेरी पत्नी के व्यवहार में परिवर्तन महसूस हुआ जिसे मेरी पत्नी ने ज्यादा थकान को वजह बताया। पर चंद दिनों के बाद मेरी जानकारी में कई चीजे आयीं जैसे असमय फोन पर बात करना, बातों को छिपाना व झूठ बोल देना जिसके लिए मैंने उसको काफी दिनों तक उसे समझाया कि उसे मुझसे ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अपने उस मित्र की शादी में मैं अपनी पत्नी व बच्चो के साथ फरवरी 2012 में बरेली गया तथा इस समय के दौरान मुझे इस बात का पूर्ण अहसास होगया कि मेरी पत्नी मेरे दोस्त के भाई को पसंद करने लगी है। वहां पर एक रात किसी कारणवश उसके ऊपर मैंने शराब के नशे में हाथ उठा दिया और उस गलती का अहसास मुझे आज तक है। उसके बाद से मेरी पत्नी ने शादी से वापस आने के बाद मेरे सामने ही उस लड़के से फोन पर बातें करना चाहे वो दिन हो अथवा रात, मैं सामने रहूँ या घर पर ना रहूं, करने लगी। दो अलग-२ बार मार्च व अगस्त में उस लड़के को मेरे कई बार मना करने के बाबजूद बरेली से लखनऊ बुलाया और वो मेरे ही घर पर रुका। इस समय तक मेरे ससुर जी अथवा किसी भी दूसरे सदस्य को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पर इन बातों के बाद एक दिन जब मैं और अधिक बर्दास्त नहीं कर सका तो मैंने इन बातों का खुलासा अपने ससुर जी को पत्नी के सामने कर दिया। और जो साक्ष्य थे उनको बताया व दिखाया भी। पर मेरी पत्नी ने उन सभी बातों को अपने पिता के सामने नकार दिया और मेरे लिए कहा कि मैं उसको परेशान करता हूँ व उस पर शक करता हूँ। ससुर जी ने यहाँ अपनी बेटी को सही माना और मुझसे कहा कि मैं उनकी बेटी पर गलत इल्जाम लगा रहा हूँ। इन बातों से परेशान हो कर मैं लखनऊ से बरेली अपने घर पर सितम्बर 2012 में वापस आगया और फोन से अपनी पत्नी के संपर्क में रहा। मैंने इस दौरान अपनी पत्नी को वो बातें बोली जो उसने मुझसे शादी से पहले अपने बारे में कही थी। जिस पर आपस में काफी झगडा हो गया तथा अक्तूबर 2012 में मै वापस गया और अपनी पत्नी से व ससुर जी से अपनी गलतियों की माफ़ी भी मांगी। पर पत्नी ने ससुर जी से ये बोल दिया कि अगर में उस घर में रुका तो वो घर से बच्चो को लेकर चली जाएगी। तब ससुर जी ने मुझे अपने एक दोस्त के पास कुछ दिन रुकवाया (लगभग 1 हफ्ता)। उसके बाद मैं उनके कहने पर ससुर जी के बड़े भाई के पास 1 महीना रहा और अपनी पुरानी जॉब को करने लगा। इस दौरान अपने बीच में अपने बच्चो से मिलता रहा। पर मेरी पत्नी का ससुर जी की इस बात पर गुस्सा बढ़ गया। और एक दिन ससुर जी ने अपने भाई से कहा कि वो मुझे अब अपने घर पर ना रखे। इस पर उनके बड़े भाई ने मुझे समझाया और मुझे प्रेरित किया कि मैं अपने घर जाऊँ और अपने आप को आत्मनिर्भर बनाऊँ और कुछ समय अपनी पत्नी को दूँ। समय के साथ शायद मेरी पत्नी इन बातो को भुला दे जो कि मुझे भी सही लगी। मैं जनवरी 2013 में बरेली वापस आ गया उस लड़के व उसके परिवार से सारे सम्बन्ध समाप्त कर लिये। कुछ समय के बाद अपना कारोबार शुरू किया। इसके बाद मेरी पत्नी से बातचीत कम हो गयी क्योकि फोन पर जब भी उससे बात करता तो बातचीत एक झगडे का रूप ले लेती। जून 2013 में मैं एक बार फिर से अपनी पत्नी को मनाने गया वहां एक दिन रुका भी पर मेरी कोशिशें बेकार होती गयी। वो मेरी माँ और भाई को उल्टा सीधा कहने लगी और मेरे उपर इल्जाम लगाये कि मैं उसे बार बार फोन करके परेशान करता हूँ और उसके चरित्र के बारे में ख़राब बोलता हूँ। जब कि वो ऐसा कुछ नहीं करती है मेरे इस तरह बोलने के कारण अब वो किसी दोस्त या रिश्तेदार से कोई मतलब नहीं रखती है, एक प्राइवेट स्कूल में अपनी जॉब करती है और खाली समय में कांट्रेक्ट बेस काम करती है। वह मेरे साथ नहीं रहना चाहती है। मेरे ससुर जी ने मुझसे यह बोला कि मै मासिक रूप से 10000 रू बच्चो की परवरिश हेतु उनको दूँ। जिससे शायद मेरी पत्नी का भी दिल बदल जाये। अपने बच्चों से मैं उन की परमीशन के बाद मिल सकता हूँ या फोन पर बात कर सकता हूँ। पर मैंने ये कहकर उनकी बात नहीं मानी कि मैं अपने परिवार को अपने साथ रख कर अपनी आर्थिक स्थिति के हिसाब से देखभाल करना चाहता हूँ। जिस पर वो राजी नहीं हुए और कई महीने निकल जाने के बावजूद तक ऐसी ही स्थिति बनी रही। बच्चों के लिए भी अगर कुछ करना हो या बात करनी हो तो उन दोनों की परमिशन लेनी होती थी। जनवरी 2014 में जब ससुर जी के बड़े भाई द्वारा कोई बात नहीं बनी तो तो ससुर जी के बड़े भाई ने पत्नी की एक चाची जी को मध्यस्थ बनाया और चाची जी ने मुझे अपनी माँ के साथ आने को बोला। वहां अपनी माँ के साथ जाने पर मेरी पत्नी ने सभी के सामने कई तरह के झूठे इल्जाम लगाये व पुलिस, कानून की धमकी दी कि वो चाहे तो मेरे परिवार को जेल भी करा सकती है। ससुर जी ने कहा कि अभी 2 साल का समय है, मेरे पास अपने रिश्तो को सुधारने के लिए। 2 साल के बाद जब बच्चे बड़े हो जाएंगे तो तय होगा कि हम दोनों लोग साथ में रह सकते है या नहीं। मेरी पत्नी का कहना था कि वो अपने आप को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और मैं चाहूँ तो बच्चो से लखनऊ आकर मिल सकता हूँ। पर उन्हें अपने साथ अकेले कहीं भी नहीं ले जा सकता हूँ और वो बरेली आकर नहीं रहना चाहती है, ना ही तलाक देना चाहती है। उसकी चाची जी ने कहा कि मै कुछ महीने यहाँ आता जाता रहूँ जिससे स्थिति में परिवर्तन हो और उनका प्रयास रहेगा कि वो मेरी पत्नी को साथ रहने को मना सके। कुछ समय उनकी बात को मानकर मेरी माँ व मैं वापस आ गये और अपनी ओर से मैंने सार्थक पहल करनी चाही और मै वहां पर गया भी 1-2 दिन के लिए इस उम्मीद से कि शायद मेरी पत्नी मुझसे अलग रहने की डेढ़ साल पुरानी जिद्द को छोड़ दे। पर इस दौरान मेरे प्रति पत्नी ने अपना कोई रवैया नहीं बदला। जैसे मेरे सामने फोन को साइलेंट करना या फिर उसको बंद कर देना। मुझे वहाँ उन दिनों में कुछ फोटोग्राफ मिले जो कि मेरे ही घर (जहाँ पर मेरी पत्नी इस समय रहती है) के हैं। जो उसके स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर के अर्धनग्न अवस्था में अकेले के है और उस समय के जब मैं वहां पर नहीं था। क्योकि पुराने वाले मकान को बदल कर मेरे ससुर जी पिछले लगभग 1 साल से दूसरे घर में रहते हैं और मै ये भी नहीं जानता हूँ कि मेरे ससुर जी को इन बातों पता है भी या नहीं।
इस बात को अभी तक किसी को नहीं बताया है क्योकि मै पुराने इतिहास को दोहराकर अपने बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहता हूँ। मेरी पत्नी अभी भी अपनी आर्थिक स्थिति व आत्मनिर्भरता का हवाला देते हुए 2 साल तक साथ में रहने को तैयार नहीं हो रही है। जब कि मैं अपने परिवार की बेहतर तरीके से देखभाल कर सकता हूँ। ये भी जानता हूँ कि अपनी पत्नी अथवा बच्चों को तब तक नहीं ला सकता हूँ जब तक कि पत्नी खुद ना चाहे। वो इस बारे में कुछ नहीं सोच रही है अब जब कि ससुर अपनी जॉब पर जाते हैं और पत्नी अपनी जॉब पर, दोनों बच्चे सुबह क्रच में जाते हैं (बड़ा बेटा वहीँ से अपने स्कूल जाता है वैन द्वारा) और शाम को पत्नी या ससुर अपनी जॉब से आने के बाद बच्चो को क्रच से लेकर आते हैं। आप मुझे ये सलाह दें कि मुझे क्या उपय़ुक्त कार्यवाही करनी चाहिए जिससे मै अपने परिवार के भविष्य को संभाल सकूँ? मैं अपने कारोबार को छोड़ कर लखनऊ जा कर नहीं रहना चाहता हूँ क्यों कि मुझे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को स्त्रियों के बाहर काम करने या आने जाने अथवा बात करने पर कोई आपति नहीं है। पर वो अमर्यादित न हो। अभी तक मैंने कोई भी कानूनी कार्यवाही नहीं की है और दूसरे पक्ष के बारे में मैं नहीं जानता हूँ कि उन्होंने ऐसा कुछ किया है अथवा नहीं। मैं केवल यही चाहता हूँ कि मेरा परिवार मेरे साथ रहे। अगर मेरी पत्नी मेरे साथ बरेली नहीं रहती है तो ऐसी स्थिति में मैं उससे तलाक लेना चाहूँगा।
समाधान-
मित्र, हो सकता है आप बुरा मान जाएँ। पर सचाई तो सचाई है। आप ने अपनी पत्नी को केवल चाहा, उस से प्रेम नहीं किया। आप चाहत भी इतनी थी कि वह आप की वफादार भारतीय पत्नी बनी रहे। लगता है आप प्रेम का अर्थ अभी तक जानते ही नहीं। आप की पत्नी ने जब जरा सी स्वतंत्रता लेनी चाही तो आप के मन में संदेह पनपने लगा। तब आप को अपनी पत्नी की मामूली व्यवहारिक बातें भी आप को बेवफाई लगने लगी। आप को लगा कि आप की पत्नी किसी और को चाहने लगी है। आप को गुस्सा भी आया और आप ने पत्नी पर हाथ उठा दिया। आप के लिहाज से आप की इतनी सी हरकत पत्नी के लिए तो बहुत बड़ी थी। उस ने आप को त्याग दिया। आप की पत्नी समझती थी कि आप उसे प्यार करते हैं, उसे सम्मान देते हैं। लेकिन उस की निगाह में आप वही भारतीय परंपरागत पति निकले।
आप जिन सबूतों की बात कर रहे हैं, वे कोई सबूत नहीं हैं, उन से आप की पत्नी की बेवफाई साबित नहीं होती है। आप के मन में अभी भी सन्देह का कीड़ा विराजमान है। आप के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया है। जो तगड़ा सदमा आप ने अपनी पत्नी को दिया है, वह उस से बाहर नहीं निकल पाई है। वह अब आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहती है। उस के जीवन में आप का कोई स्थान नहीं है। यहाँ तक कि वह उस के साथ जो आप का नाम जुड़ा है उसे छोड़ना भी नहीं चाहती। जब कि आप को फिर पत्नी की जरूरत है। आप एक पत्नी चाहते हैं। वह नहीं तो उस से छुटकारा प्राप्त कर के कोई और।
पत्नी आप से सिर्फ अपने बच्चों का खर्च चाहती है। आज के जमाने में दो बच्चों का खर्च 10000 रुपया प्रतिमाह अधिक नहीं है। निश्चित रूप से उसे इस से अधिक खर्च करने पड़ेंगे। उस की यह मांग वाजिब है।
यदि आप की पत्नी नहीं चाहती है तो आप उसे अपने साथ रहने को बाध्य नहीं कर सकते। यह बात आप खुद अच्छी तरह जानते हैं। मेरे विचार में आप को अपनी पत्नी को प्रतिमाह खर्च देना चाहिए। यदि 10000 रुपए दे सकने की स्थिति में न हों तो कम दीजिए पर दीजिए। आप की पत्नी तपस्या पर उतर आई है। जब कि जो गलतियाँ आप ने की हैं उन में तपस्या आप को करनी चाहिए।
आप विवाह विच्छेद चाहते हैं, फिलहाल उस का आप के साथ रहने से मना करना ही एक मात्र विवाह विच्छेद का आधार हो सकता है। लेकिन अलग रहने की उस की वजह अभी तो वाजिब लगती है। आप यदि कोई कार्यवाही करेंगे तो हो सकता है वह भी कानूनी कार्यवाही करे। उस के पास उस के ठोस कारण भी हैं। उस परिस्थिति में आप को परेशानी हो सकती है। कुछ दिन पुलिस और न्यायिक हिरासत में भी काटने पड़ सकते हैं।
मेरी राय में फिलहाल आप के पास कोई रास्ता नहीं है। आप चुपचाप बच्चों का खर्च देते रहें। समय समय पर बच्चों से मिलते रहें। उन्हें एक पिता का स्नेह देते रहें। बच्चों में आप के प्रति स्नेह पनपने लगे तो हो सकता है कि आप की पत्नी भी अपने बच्चों के पिता के प्रति नरम पड़े और आप का मसला हल हो जाए। मुकदमेबाजी से तो कुछ भी आप को हासिल नहीं होगा।
एक काम और कर सकते हैं, आप अपने ससुर से बात कर सकते हैं कि जब उन की पुत्री आप के प्रति इतनी कठोर हो गई है तो उसे आप से विवाह विच्छेद की कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहिए। वह बच्चों के लिए जितना हो सके एक मुश्त भरण पोषण राशि प्राप्त कर ले और विवाह विच्छेद की डिक्री पारित करवा ले। यह काम दोनों की सहमति से हो जाए तो ही अच्छा है। अन्य कोई मार्ग आप के पास नहीं है। बच्चों की अभिरक्षा आप को कानूनी रूप से भी नहीं मिल सकेगी।
मेरी बहन जिसने एक व्यक्ति के ऊपर बहुत भरोसा कर के उससे प्रेम विवाह किया था। लेकिन मेरी बहन के पति ने बस पैसो के लिए यह शादी की थी ,बिना वजह घर में मार पीट करते थे सब ।आज लगभग तीन साल से मेरी बहन मेरे घर पर रह रही है उनका एक बेटा भी है । अब वो अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती इसलिए तलाक का मुकदमा किया है । उनका तलक कब तक हो सकता है । और वो अपने बच्चे को हमेशा के लिए अपने पास ही रखना चाहती है ,साथ ही यह भी चाहती हैं की उससे उसके पिता का कोई वास्ता ना हो ,क्योंकि उनका पति विकृत मानसिकता का व्यक्ति है ,और उनका पति बच्चे को नुक्सान पंहुचा कर मुझे तथा मेरे पिता को को कानूनी मामलो में फसाने का प्रयास करता रहता है ,हमें क्या करना चाहिए ।