सीमित देयता भागीदारी अधिनियम पेशेवर उद्यमियों के लिए एक उपहार होगा
|सीमित देयता भागीदारी विधेयक-2008 ( Limited Liability Partnership Bill-23008) को राज्य सभा ने पारित कर दिया है, इस से इस के शीघ्र कानून बनने और लागू होने की संभावना बन गयी है। अधिनियम की शक्ल ले लेने पर यह सेवा, ज्ञान और तकनीकी क्षेत्र के उद्यमियों के लिए भारत सरकार का एक अच्छा तोहफा साबित होगा। इस विधेयक के में सीमित देयता साझेदारी के गठन और विनियमन और उस से जुड़े तथा संबंधित मामलों के लिए प्रावधान किये गए हैं।
सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) का जिस तरह से इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है, प्रोफेशनल विशेषज्ञों की उद्यमशीलता को एकत्र कर, संगठित करने की पहल को सक्षम बनाने के लिए एक नया कॉरपोरेट ढाँचा प्रदान करेगा। देश में इस तरह के ढांचे की आवश्यकता बहुत समय से महसूस की जा रही थी जिस में सेवा, ज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र के प्रोफेशनल्स आपस में सीमित देयता वाली भागीदारी के माध्यम से उद्यम स्थापित कर सकें और उन्हें चला सकें।
सेवा क्षेत्र की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका है और सेवाओं की श्रेणी में बढ़-चढ़ कर विविधता देखने में आ रही है। सेवा क्षेत्र के लिए यह नया रूप को बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) का लाभ यह होगा कि अब सीमित देयता का उद्यम आरंभ करने के लिए कंपनी अधिनियम की तरह विस्तृत और पेचीद कानूनी प्रक्रिया में नहीं उलझना पड़ेगा। जिस से यह छोटे उद्यमियों के लिए आसान होगा। मसलन कुछ चिकित्सक, वकील, तकनीशियन आपस में मिल कर सीमित देयता वाली भागीदारी आरंभ कर सकेंगे।
एलएलपी कानून की जरूरत एक बहुत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। विभिन्न समितियों और विशेषज्ञ समूहों ने समय-समय पर, देश में एलएलपी कानून बनाए जाने की सिफारिश की थी। पिछले दशक में ही आबिद हुसैन समिति (1997) ने लघु उद्योगों के संदर्भ में इस कानून की सिफारिश की थी। निजी कंपनियों और भागीदारी पर गठित नरेश चंद्र समिति (2003) और नई कंपनी लॉ पर गठित डॉ. ईरानी समिति (2005) ने भी एलएलपी के गठन और नियमन के लिए एक अलग कानून के लिए सिफारिशें की थी। अब कारपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस विधेयक को संसद में प्रस्तुत कर राज्य सभा में पारित करवा कर इस दिशा में पहल की है।
सरकार ने इससे पहले राज्य सभा में 15 दिसम्बर, 2006 को सीमित देयता भागीदारी विधेयक-2006 पेश किया था। लेकिन इसे बाद में विभाग से संबंधित स्थायी संसदीय समिति को जाँच और रिपोर्ट के लिए भेजा दिया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में 27 नवम्बर, 2007 को संसद के दोनों सदनों को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। वर्तमान विधेयक-2008 स्थायी समिति की सिफारिशों और अन्य प्रासंगिक तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है
इस कानून की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार होंगी:……
(i) सीमित देयता साझेदारी (एलएलपी) अनुबंध के आधार पर साझेदारी के आंतरिक ढाँचे के लचीलेपन के अंतर्गत, सीमित देयता के कारपोरेट व्यवसाय के लिए एक विकल्प प्रदान करेगी।
(ii) यह विधेयक (एलएलपी) को केवल प्रोफेशनल्स के कुछ वर्गों के लिए ही सीमित नहीं रखेगा, अपितु अधिनियम की औपचारिकताओं को पूरा कर सकने वाले सभी उद्यमी इसका उपयोग कर सकेंगे।
(iii) एलएलपी का विधिक स्वरूप अपने भागीदारों से बिलकुल अलग होगा, और वह एक पृथक विधिक व्यक्ति होगी। जिस की देयता उस की अपनी संपूर्ण संपत्ति की सीमा तक होगी और भागीदारों का दायित्व एलएलपी में उन के अनुबंध में स्वीकृत सीमा तक ही होगा। कोई भी भागीदार व्यक्तिगत रूप से अथवा किसी दूसरे भागीदार के अनधिकृत कृत्य के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।
(iv) एलएलपी एक कॉर्पोरेट निकाय होगी और उसका विधिक व्यक्तित्व उस के भागीदारों से पृथक होगा। इस का अपना एक शाश्वत उत्तराधिकार होगा। भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 एलएलपी पर लागू नहीं होगा। एलएलपी एक कॉर्पोरेट निकाय होने के कारण यह भी प्रावधान किया गया है कि कंपनी अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों को केन्द्रीय सरकार अधिसूचना या संशोधन के माध्यम से भविष्य में किसी भी समय लागू कर सकेगी।
(v) एलएलपी पर अपने मामलों के वार्षिक खाते सही और निष्पक्ष बनाए रखने का दायित्व होगा। एलएलपी के टैक्सों का विनिश्चय वित्त अधिनियम द्वारा किया जाएगा।
(vi) कॉर्पोरेट जगत की तरह ही विलीनीकरण और समामेलन आदि कार्यों के लिए इस विधेयक में प्रावधान किए गए हैं।
(vi) एलएलपी के विघटन और समापन के लिए भी इस विधेयक में प्रावधान किए गए हैं, जिनका इस कानून के अन्तर्गत बनाए गए नियमो में विस्तार किया जाएगा।
हमेशा की तरह उपयोगी जानकारी धन्यवाद.
प्रायवेट लिमिटेड कम्पनी के डायरेक्टर पर भी तो सीमित जवाबदारी के प्रावधान लागू होते हैं । उसमें और इस नई व्यवस्था में क्या अन्तर है – सम्भव हो तो बताइएगा ।
बेहतरीन तहरीर है…पढ़कर काफ़ी जानकारी मिली…
बहुत बढीया जानकारी दीये हैं।
आपकी दी हूई ज्ञान बहुत काम की होती है।
bahut-bahut aabhar is ke liye! dhanybaad..
बहुत उपयोगी जानकारी दी आपने ! धन्यवाद !
बहुत आभार इस जानकारी के लिए.