DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

सुस्त न्यायिक व्यवस्था का इलाज तो राजनीति से ही संभव है।

rp_divorce.jpgसमस्या-

प्रभाकर ने ग्वालियर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मारी शादी हिन्दू विधि से ११ साल पहले हुई थी। २ बच्चे हैं। शादी के बाद कभी भी नहीं बनी पर कोशिश थी कि शायद कुछ ठीक हो जाएगा। मैं किस प्रकार से जल्द तलाक़ ले सकता हूँ, सही कारण तो पत्नी द्वारा मानसिक प्रतारणा है, पर शायद सिद्ध करने में जिंदगी निकल जाएगी। क्या मैं अपना विवाहेतर शारीरिक संबंध सिद्ध करके डिक्री ले सकता हूँ? या मेरा धर्म परिवर्तन करके ये शादी खत्म की जा सकती है? पत्नी ने पहले तलाक़ की धमकी दी थी पर अब तलाक़ देने के लिए सहमत नहीं है। कृपया कुछ और उपाय हो तो सुझाएँ, बच्चो का हक़ भी पत्नी रखे तो चलेगा, मैं बच्चो का भरण पोषण लाइफ टाइम तक करने के लिए तैयार हूँ। शायद मैं कुछ तथ्य न दे कर भावनात्मक बात कर रहा हूँ पर कृपया अन्यथा न लीजिए।

समाधान-

भी तो आप को खुद लग रहा है कि आप शायद भावनात्मक बात कर रहे हैं। इस से स्पष्ट है कि आप के पास पत्नी से विवाह विच्छेद का कोई वैध कारण आप को दिखाई नहीं पड़ रहा है। यदि आप समझते हैं जो कुछ पत्नी कर रही है वह क्रूरता पूर्ण व्यवहार है तो आप उस के आधार पर न्यायिक पृथक्करण या विवाह विच्छेद का आवेदन कर सकते हैं। जहाँ तक सिद्ध करने में जीवन निकल जाने का भय है तो इस का अर्थ यह है कि आप के यहाँ न्याय पालिका बहुत सुस्त है और सभी मामलों में निर्णय देरी से होते हैं। आप को उस पर विश्वास नहीं रहा है।  यद सब इस कारण होता है कि न्यायालय के क्षेत्राधिकार के क्षेत्र से इतने मुकदमे प्रस्तुत होते हैं कि उस के लिए एक न्यायालय पर्याप्त नहीं है। उस क्षेत्र के लिए और न्यायालय स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। नए न्यायालय स्थापित करने का काम सरकार का है। कम न्यायालय और अधिक मुकदमे होने से पेशियाँ देरी से होती हैं। प्रतिदिन अधिक मुकदमे न्यायालय की कार्यसूची में लगते हैं जिन में से आधे से अधिक में केवल पेशी ही मिलनी होती है। इस का लाभ वे न्यायार्थी उठाते हैं जो अपने मुकदमों को लंबा करना चाहते हैं। यदि ऐसा है तो कोई भी आधार आप तलाक का हो लेकिन समय उतना ही लगेगा। सुस्त न्यायिक व्यवस्था से वकीलों के भरोसे नहीं लड़ा जा सकता। उसे दुरुस्त करने के लिए राजनीति ही करनी पड़ेगी। ऐसी सरकारें लानी होंगी जो न्यायाक दायित्वों के प्रति सजग हों और जनता को न्याय उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त संख्या में न्यायालय स्थापित करे।

केवल विवाह समाप्त करने के लिए किया गया धर्म परिवर्तन वैध नहीं। फिर उस से पत्नी को विवाह विच्छेद का अधिकार प्राप्त होता है आप को नहीं। हमें लगता है आप के बीच तालमेल की समस्या है। बेहतर तो यह है कि इस समस्या से निपटने के लिए किसी काउंसलर की मदद प्राप्त करनी चाहिए।

Print Friendly, PDF & Email
One Comment