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सेवा के लिए संविदा भंग करने पर उपभोक्ता विवाद

मैंने एक वेबसाईट के माध्यम से लखनऊ मे रुकने हेतु एक होटल में में दो वयस्क व्यक्तियों के लिये कमरा आरक्षित करवाया था। इसके कर्मचारी द्वारा आरक्षण निश्चित करने हेतु अग्रिम धनराशि भी जमा करवा दी थी। उस समय ठहरने वाले व्यक्तियों (मेरी भतीजी 26 वर्ष व स्वयं मैं 40 वर्ष) के बारे मे कोई भी जानकारी वेबसाईट अथवा होटल द्वारा नहीं पूछी गई। ट्रेन के विलम्ब से पहुंचने की आशंका से मैने होटल स्टाफ़ को सूचित भी किया कि मेरा कमरा आरक्षित ही रखा जाय, किसी और को न दे दिया जाय्, और यह रिशेप्सन द्वारा निश्चित भी किया गया। ट्रेन 7 घन्टे देरी से पहुंची, तथा होटल पहुंचने पर स्टाफ़ द्वारा दोनों के फ़ोटो पहचान पत्र मांगे गये, जो कि (पैन कार्ड) दिखाये गये, उपरान्त इसके उक्त होटल स्टाफ़ ने दोनों व्यक्तियों के एक ही पते पर बने हुये पहचान पत्र प्रस्तुत करने को कहा, जो कि हम दोनों के ही पास उस समय नहीं थे। इस पर उक्त स्टाफ़ ने कमरा देने से मना कर दिया तथा दो कमरों की अलग अलग व्यवस्था करने को भी मना कर दिया। अतः रात्रि के 3:30 बजे हमे दूसरा होटल लेने को विवश होना पडा, जिसने सिर्फ़ पैन कार्ड देख कर हमें कमरा दे दिया। लौट कर आने पर वेबसाईट से सम्पर्क करने पर उन्होने कहा कि आप किसी लड़की को ले कर गये थे, इसलिये उसने मना कर दिया। क्या इन परिस्थितियों मे मै उपभोक्ता न्यायालय मे वाद दायर कर सकता हूं?

-मुन्नालाल, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश

प के द्वारा होटल में कमरा बुक करवाने का प्रस्ताव रखने पर होटल ने अग्रिम राशि ले कर कमरा बुक कर दिया था। इस तरह आप के और होटल के बीच एक वैध सेवा संविदा हो चुकी थी। जिस के लिए वह अग्रिम धन भी प्राप्त कर चुका था। इस के बाद भी होटल पहुँचने पर आप को होटल द्वारा कमरा नहीं देना सेवा संविदा भंग है जिस के लिए आप अपना रुपया और क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी हैं।

प द्वारा धन अग्रिम दे दिए जाने के कारण आप होटल के उपभोक्ता भी हैं। इस कारण से आप जिला उपभोक्ता विवाद परितोष मंच के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं। आप वहाँ आप को सेवाएँ न मिलने से हुई परेशानी के लिए क्षतिपूर्ति की मांग भी कर सकते हैं। लेकिन इस मामले में वाद कारण लखनऊ में उत्पन्न हुआ है तथा सेवा प्रदाता भी लखनऊ में ही व्यापार करता है, आप को अपना परिवाद लखनऊ के जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ेगा।