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स्त्री उत्तराधिकारी होने पर पुरुष की संपत्ति का दाय उत्तराधिकार अधिनियम-1956 की धारा 8 के अनुसार होगा।

समस्या-

संजय टाक ने सदर बाजार बाजना, जिला रतलाम (मध्यप्रदेश) से पूछा है-

हमारे पिताजी की मृत्यु 1989 में हो गई थी, पिताजी के नाम एक प्लाट 10000 वर्ग फुट का ग्राम पंचायत में दर्ज है। पिताजी को यह प्लाट 1956 के पूर्व दादाजी से मिला था। हम 4 भाई और दो बहनें है, दो भाई के 2 -2 पुत्र हैं और दो भाई के 2-2 लडकियाँ हैं। नामान्तरण कैसे होगा,पंचायत में अभी भी पिताजी का नाम चल रहा है।

समाधान-

आप के पिता को संबंधित जमीन उन के पिता से उत्तराधिकार में 1956 के पूर्व मिली थी। इस तरह वह जमीन एक सहदायिक संपत्ति थी। इस कारण इस का दाय धारा-6 उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार होगा जैसी यह धारा 1989 में आप के पिता की मृत्यु के उपरान्त थी। उक्त धारा में 2005 में संशोधन हुआ है और पुत्रियों को भी वही अधिकार प्राप्त हो गए हैं जो कि जन्म से पुत्रों को इस संपत्ति में थे। किन्तु आप के पिता का देहान्त इस संशोधन के प्रभावी होने के बहुत पहले हो जाने से इस पर यह संशोधन प्रभावी नहीं होगा।


धारा-6 हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम जैसी वह 2005 के पूर्व थी और 20 दिसंबर 2004 तक प्रभावी थी। इस धारा-6 में यह उपबंध था कि ऐसी संपत्ति का या ऐसी संपत्ति में हिन्दू पुरुष के हिस्से का दाय उत्तरजीविता से तय होगा। अर्थात हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार नहीं होगा। लेकिन उस धारा-6 में यह प्रावधान था कि यदि मृतक पुरुष के उत्तराधिकारियों में कोई स्त्री संबंधी जीवित है जो अनुसूची के आईटम नं. 1 में सम्मिलित की गयी है तो फिर उस संपत्ति का दाय धारा 8 के अनुसार होगा।


इस तरह आप के पिता की संपत्ति का दाय हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार होगा। आप 4 भाइयों और 2 बहनों को समान रूप से 1/6 हि्स्सा प्राप्त होगा। आप में से जो भी जीवित नहीं हैं उन के उत्तराधिकारियों को उस के हिस्से में धारा-8 के अनुसार हिस्सा प्राप्त होगा। सभी के हिस्से की संपत्तियाँ इस विभाजन के बाद स्वअर्जित भू्मि की तरह होंगी न कि पुश्तैनी सामुदायिक संपत्ति की तरह।

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