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सेवा संविदा में निश्चित की गई उम्र पर सेवा समाप्ति सेवा निवृत्ति है, छँटनी नहीं

द्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 2 (ओओ) में परिभाषित “छँटनी” को किसी भी कारण से नियोजक द्वारा की गई कर्मकार की सेवा समाप्ति कहा गया है, लेकिन साथ ही उस के कुछ अपवाद भी बताए गए हैं। स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति उस का पहला अपवाद था।  छँटनी का दूसरा अपवाद निम्न प्रकार है-

 (b) Retirement of the workman on reaching the age of Superannuation if the contract of employment between the employer and the workman concerned contains a stipulation in that behalf.

(ख) यदि कर्मकार और नियोजक के मध्य हुई सेवा संविदा में उपबंध हो तो एक निश्चित उम्र पूर्ण कर लेने के कारण हुई सेवा निवृत्ति।

क्त अपवाद से स्पष्ट है कि यदि कर्मकार और नियोजक के बीच जो भी सेवा संविदा है उस में कर्मकार के एक निश्चित आयु का हो जाने पर उस की सेवा निवृत्ति की शर्त का होना आवश्यक है। यह भी आवश्यक है कि इस शर्त में उम्र निश्चित की गई हो।

र्मकार और नियोजक के बीच की सेवा संविदा वह संविदा है जिसे कर्मकार द्वारा स्वीकार किया गया हो।  बम्बई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एक मामले में यह निर्णय दिया कि एक तो कथित सेवा संविदा एक तो सेवा संविदा ही नहीं है। दूसरे उस कथित संविदा में सेवा निवृत्ति की कोई उम्र निश्चित ही नहीं की गई है।

दि किसी सेवा संविदा में सेवा निवृत्ति की कोई उम्र निश्चित नहीं की गई हो तो उस संस्थान पर प्रभावी प्रमाणित स्थाई आदेशों में निश्चित की गई सेवा निवृत्ति की उम्र को सेवा निवृत्ति माना जाएगा, क्योंकि स्थाई आदेशों को वैधानिक मान्यता प्राप्त होती है। यदि किसी संस्थान में स्थाई आदेश प्रमाणित न हों तो उस संस्थान में प्रभावी मॉडल स्थाई आदेशों में निश्चित की गई सेवानिवृत्ति की उम्र को उस संस्थान कर्मकारों की सेवा निवृत्ति की उम्र माना जाएगा।

 लेकिन यदि कोई सेवा संविदा न हो और कोई स्थाई आदेश भी प्रभावी न हों तो किसी निश्चित उम्र पर कर्मकार की सेवा समाप्ति को सेवा निवृत्ति नहीं माना जा सकता। उसे छँटनी ही माना जाएगा और उस के लिए छँटनी के लिए आवश्यक प्रक्रिया का अनुसरण नियोजक को करना ही होगा।

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