स्त्री पुरुष संबंधों पर सार्वजनिक चर्चा अपराध हो सकती है ..
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किसी स्त्री-पुरुष के बीच के अन्तरंग संबंधों की घटनाओं या गतिविधियों पर भारतीय समाज में अक्सर चटखारे ले कर चर्चाएँ की जाती हैं। लेकिन लोग बिलकुल यह नहीं जानते कि ऐसी चर्चा करना या उस में सम्मिलित होना अपने आप में अपराध हो सकता है। कुछ दिनों से कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह टीवी एंकर अमृताराय के साथ अपने संबंधों को लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया में आलोचना का शिकार हैं। इन दोनों को तथा अमृताराय के पति को इरादतन आलोचना का शिकार बनाया जा रहा है। जब कि यह एक सामान्य मामला है जिस की सामाजिक रूप से चर्चा करने के बजाए उपेक्षा की जानी चाहिए।
मसलन किसी परिवार की विवाहित लड़की का उस के पति के साथ संबंध खराब हो जाता है, वे एक दूसरे से अलग रहने लगते हैं। मामला यहाँ तक आगे बढ़ जाता है कि दोनों सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करते हैं। तब यह निश्चित हो गया होता है कि यह वैवाहिक संबंध समाप्त हो गया है और वैसी स्थिति में दोनों ही व्यक्तियों को जो उस विवाह में हैं, इस बात का पूरा अधिकार है कि वे अपने लिए नए जीवन साथी की तलाश करें। इस तलाश में एक दूसरे से मिलना, जुलना, एक दूसरे को समझना आदि सभी कुछ सम्मिलित है। इस मिलने जुलने की जानकारी यदि सार्वजनिक होती है तो उसे वे खुद भी नहीं छुपाना चाहेंगे। क्यों कि इस में न तो कुछ अनैतिक है और न ही कुछ अवैध।
इस मामले में लोग यहाँ तक कयास लगा कर हमले कर रहे हैं कि दिग्विजय सिंह तथा अमृता के बीच भौतिक संबंध स्थापित हुए हैं जो एक विवाह के होते हुए नहीं होने चाहिए। एक तो इस तरह के भौतिक संबंधों का कुछ खुलासा नहीं हुआ है। यदि हों भी तो इस तरह के संबंधों पर जब तक अमृता के पति और दिग्विजय सिंह की पत्नी की ओर से कोई शिकायत नहीं आती तो उन पर किसी भी तीसरे व्यक्ति को शिकायत करने का कोई अधिकार और अवसर नहीं है। यदि कोई ऐसा करता है तो ऐसा करना उक्त तीनों व्यक्तियों में से किसी के लिए भी अपमानजनक हो सकती है जो कि स्वयं में एक अपराध है। इस तरह इस संबंध पर चर्चा करना स्वयं अपराध हो सकता है। भारतीय दंड संहिता की धारा निम्न प्रकार है-
497. जारकर्म–जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मति या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नहीं आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा । ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी ।
इस से यह स्पष्ट है कि इस संबंध में यदि स्त्री के पति की मौनानुकूलता या सम्मति न हो तभी यह एक अपराध हो सकता है। इस मामले में अमृता राय के पति ने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की है। वैसी स्थिति में इस मामले को चर्चा का विषय बनाना अपराधिक गतिविधि हो सकती है। बहुत से लोग केवल अपने सामंती और स्त्री समानता विरोधी विचारों की भड़ास निकालने के लिए अभद्र टिप्पणियाँ मीडिया और सोशल मीडिया में कर रहै हैं, वह अपराध है और ऐसा करने वाले कभी भी इस अपराध के लिए अभियोजित किए जा सकते हैं। यह स्त्री विरोधी विमर्श तुरन्त रोका जाना चाहिए।
yeh janakaari logon ko hona jaruri hai kyonki aksar kuchh logon ko fate men tang daalne ki aadat hoti hai.
अच्छी जानकारी दिये। धन्यवाद।
महेश कुमार वर्मा का पिछला आलेख है:–.मीना व उसकी माँ