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आरोप पत्र दाखिल होने पर भी उच्च न्यायालय प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द कर सकता है।

समस्या-

नासिक, महाराष्ट्र से मनीष अग्रवाल पूछते हैं –

मैं ने कुछ लोगों के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने उस मामले में अन्वेषण के उपरान्त आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है। लेकिन अभियुक्तों ने उच्च न्यायालय में प्रथम सूचना रिपोर्ट को निरस्त करने के लिए आवेदन किया है जिस में महाराष्ट्र सरकार और मुझे उत्तरवादी बनाया गया है और उपस्थित होने तथा अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए सूचना भेजी है। क्या आरोप पत्र प्रस्तुत होने के उपरान्त भी उच्च न्यायालय प्रथम सूचना रिपोर्ट को निरस्त कर सकता है? उच्च न्यायालय में मुझे अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कोई वकील करना होगा या मैं स्वयं अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकता हूँ?

समाधान-

Havel handcuffह सही है कि आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बाद भी प्रथम सूचना रिपोर्ट को उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किया जा सकता है। आप इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा G.V. Rao vs L.H.V.Prasad & Ors  के मामले में 6 मार्च 2000 को दिया गया निर्णय पढ़ सकते हैं।

किसी भी मामले में कोई भी व्यक्ति अपना पक्ष स्वयं न्यायालय के समक्ष रख सकता है। लेकिन न्यायालयों में अनेक विधिक बिन्दुओं पर भी विचार किया जाता है। वैसी स्थिति में पक्षकार का ज्ञान न होने अथवा सीमित होने पर परेशानी अनुभव हो सकती है और वह यह समझ सकता है कि उस के साथ न्याय नहीं हुआ है इस कारण से स्वयं न्यायालय भी पक्षकारों को सलाह देते हैं कि संभव हो तो वे किसी वकील द्वारा अपना पक्ष रखें। यदि उन की स्थिति किसी वकील की सहायता प्राप्त करने की नहीं हो तो न्यायालय स्वयं भी उन के लिए किसी न्याय मित्र को नियुक्त कर सकता है।  इस कारण से सक्षम होने पर वकील अवश्य करना चाहिए। लेकिन यदि पक्षकार स्वयं ही अपना पक्ष रखता है तो न्यायालय भी इस बात को ध्यान में रखता है कि उस पक्षकार को किसी वकील की सहायता प्राप्त नहीं है और वैसी स्थिति में सामान्यतः वह पक्षकार के पक्ष पर अधिक ध्यान देता है।

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