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स्वयं को अपने वास्तविक पिता की पुत्री कैसे प्रमाणित करें?

rp_law-suit.jpgसमस्या-

रेनू ने जालोर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरा नाम रेनू है। मेरे पिताजी का स्वर्गवास मेरी 5 दिन की आयु में हो गया था। मैं उनकी इकलौती संतान हूँ। मेरी माँ मन्जू देवी मेरे साथ 7 वर्ष तक साथ रही बाद में उन्होंने मुझे ननिहाल छोड़कर नाता विवाह कर लिया। मेरी पढ़ाई कक्षा दूसरी तक मेरे पैतृक शहर ब्यावर में हुई थी। मेरे बड़े पिताजी मदनलाल जी ने मेरे स्कूल में दाखिला करवाते समय मेरे पिताजी ओम प्रकाश जी के स्थान पर खुद का नाम मदन लाल लिखवा दिया था। कक्षा 3 से 10 तक पढ़ाई मेरे ननिहाल सोजत सिटी में हुई। मेरे नानाजी ने कक्षा 10 बोर्ड के फॉर्म में मेरे वास्तविक पिताजी ओम प्रकाश जी का नाम लिखवाने के लिए मेरी माँ मन्जू देवी से उस समय शपथ पत्र भी लिखवाया। परन्तु स्कूल हेडमास्टर ने मेरे बड़े पिताजी मदन लाल जी से पिताजी के नाम परिवर्तन के लिए शपथ पत्र लिखवाने के लिए कहा, तब मेरे बड़े पिताजी मदनलाल जी ने शपथ देने से इनकार कर लिया। इस तरह मेरे वास्तविक पिताजी का नाम ओम प्रकाश मेरे शैक्षणिक दस्तावेजो में कहीं इन्द्राज नहीं हुआ। मैं कक्षा 11 व् 12 मेरे पैतृक शहर ब्यावर में मेरे दादाजी व् दादाजी के पास पढ़ी। मेरी शादी 1997 मेरे दादाजी और दादीजी ने मेरे पैतृक मकान ब्यावर में ही करवाई। मेरे विवाह कार्ड मेरे पिताजी का नाम ओम प्रकाश जी लिखवाया। मुझे 5 दिसम्बर 2009 को जानकारी मिली कि मेरे बड़े पिताजी ने मेरी पैतृक जायदाद बेचने का सौदा कर रहे है। उपरोक्त जायदाद के मालिक मेरे पिताजी के दादाजी हैं। कभी कानूनन बँटवारा भी नही हुआ है। मैं ने मेरे बड़े पिताजी स्व. मदनलाल जी की पत्नी यानि मेरी बड़ी माँ से व्यक्तिगत सम्पर्क कर उन से मेरे पिताजी के हिस्से की रकम की मांग रखी। तो उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया। तब मैं ने उक्त जायदाद पर मेरे अधिकार की आम सूचना 16 दिसम्बर 2009 को समाचार पत्र में प्रकाशित करवाई। 21 दिसम्बर 2009 को सिविल न्यायालय में बेचान पर रोक और परिवार की सदस्या होने की वजह से जायदाद को प्रथम खरीदने का अवसर मुझे मिले इस का वाद दायर किया। जिस के समन का जवाब मेरे बड़े पिताजी के परिवार ने 22 दिसम्बर 2009 को कोर्ट में दिया कि वो मुझे नहीं जानते हैं और मेरी पुश्तैनी जायदाद को मेरे परिवार वालों ने 30 दिसम्बर 2009 को ब्यावर के पास मसूदा जाकर रजिस्टर्ड बेचान कर लिया। मैं ने कोर्ट में मेरे स्व पिताजी ओम प्रकाशजी की हिस्से की अधिकारी बताते हुए वाद दायर किया। मेरे परिवार ने मेरे शैक्षणिक दस्तावेजो में मेरे बड़े पिताजी मदनलाल जी पुत्री लिखा है बताकर मुझे ओम प्रकाश जी की पुत्री होने का सबूत मांग रहे है। मेरे दादाजी दादीजी का स्वर्गवास हो चुका है। बाकी पूरा परिवार मेरे से विरोध में है। सम्पति पर कोर्ट आगे बेचान व् यथास्थिति का स्टे लग चुका है। स्टे की अपील भी ख़ारिज हो चुकी है। मैं ने स्टे के बाद कोर्ट में जायदाद की रजिस्ट्री की पूरी राशि की कोर्ट फीस जमा करवाकर हक शफा (परिवार की सदस्या होने के नाते पूरी जायदाद को खरीदने का) का वाद दायर किया। मेरी समस्या यह है कि मैं मुझे मेरे वास्तविक पिताजी ओम प्रकाश जी की पुत्री कोर्ट में कैसे साबित करूँ। मेरे नानाजी और मेरी वास्तविक माँ मन्जू देवी जीवित है और उनसे मेरे सम्बन्ध अच्छे है। मेरे स्व पिताजी का पूरा परिवार मेरे विरुद्ध है।

समाधान

में लगता है कि आप ने जो हक शफा का वाद प्रस्तुत किया है उस की आवश्यकता नहीं थी। फिर भी यदि आपने वाद किया है तो उसे अन्तिम स्तर तक लड़ना चाहिए।

प को अपने आप को अपने पिता ओम प्रकाश जी की पुत्री साबित करने के लिए अपनी माता जी को ला कर न्यायालय में बयान कराना होगा। एक बार माता जी से मिल लेंगी तो हो सकता है आप का जन्म प्रमाण पत्र या फिर जिस अस्पताल में आप का जन्म हुआ हो उस का रिकार्ड भी मिल जाए। आप उस रिकार्ड के आधार पर अपने को ओम प्रकाश जी की पुत्री साबित कर सकती हैं।

प ने अपनी समस्या में यह उल्लेख किया है कि आप ने अपने पिता का नाम अपने शैक्षणिक रिकार्ड में दर्ज कराने के लिए अपनी माता जी का शपथ पत्र प्राप्त किया था। यदि वह वजूद में हो तो वह भी एक अच्छा दस्तावेजी साक्ष्य हो सकता है। जिन प्रधानाध्यापक जी ने मदन लाल जी का शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा था उन का बयान भी इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकता है।

स के अलावा परिवार के मित्रों या रिश्तेदारों में कोई व्यक्ति हो सकता है जो आप के ओम प्रकाश जी की पुत्री होने की हकीकत से परिचित हो। आप ऐसे व्यक्ति का बयान करवा सकती हैं। यदि आप का जन्म अस्पताल में हुआ है और अस्पताल का रिकार्ड नहीं मिलता है तो आप के जन्म समय की डाक्टर या नर्स का बयान भी महत्वपूर्ण है। यदि आप का जन्म अस्पताल में न हो कर घऱ पर हुआ हो जिस दाई ने आप की माताजी का प्रसव कराया है उस का बयान अति महत्वपूर्ण है। जन्म के समय होने वाले औपचारिक समारोह जैसे सूरज पूजन आदि में उपस्थित महिलाओं, पुरुषों, नाइन और ढोली आदि का बयान भी महत्वपूर्ण हैं।

न सब साक्ष्यों पर डीएनए का साक्ष्य सब से बड़ा है। आप की वास्तविक माताजी उपलब्ध हैं आप उन का तथा अपना डीएनए टेस्ट करवा सकती हैं तथा आप की माताजी व डीएनए टेस्ट करने वाले विशेषज्ञ का बयान डीएनए रिपोर्ट प्रस्तुत कर उसे प्रदर्शित करवाने के साथ करवा सकती हैं। यह साक्ष्य सारे साक्ष्य पर भारी पड़ेगा।

म ने आप के लिए साक्ष्य के इतन स्रोत बता दिए हैं इन में से कोई दो-तीन स्रोतों से भी आप साक्ष्य ले आएंगी तो आप का मकसद पूरा हो जाएगा।