हिन्दू विवाह, आर्य समाज तथा विशेष विवाह अधिनियम में होने वाले विवाह और उन का पंजीकरण,
| राकेश श्रीवास्तव ने तीसरा खंबा के समक्ष निम्न जिज्ञासाएँ रखी हैं …
1. विशेष विवाह अधिनियम के लिए जरूरी दस्तावेज क्या होते हैं। क्या यह जिला अदालत में पंजीकृत होता है?
2. क्या इसके प्रावधान हर राज्य में अलग-अलग हैं?
3. विशेष विवाह अधिनियम व आर्य समाज विवाह अधिनियम में कानूनी लिहाज से क्या फर्क है?
4. क्या प्रत्येक तरह के विवाह (खासतौर पर पारंपरिक तरीके से हिन्दु रीति से होने वाले) को पंजीकृत करना कानूनी रूप से आवश्यक है?
उत्तर – – –
आप ने बहुत ही उपयोगी प्रश्न पूछे हैं। विशेष विवाह अधिनियम ने भारत में पहली बार विवाह के पंजीकरण का मार्ग प्रशस्त किया। इस के साथ ही इस अधिनियम ने यह प्रावधान भी किया कि व्यक्तिगत धार्मिक विधियों के अतिरिक्त दो विभिन्न धर्मों के स्त्री-पुरुष विवाह पंजीयक के समक्ष उपस्थित हो कर विवाह कर सकते हैं। हिन्दू विवाह अधिनियम के अस्तित्व में आने पर उस में भी विवाह के पंजीकरण का प्रावधान किया गया कि यदि चाहें तो राज्य सरकारें हिन्दू विवाहों के पंजीकरण के लिए नियम बना सकती हैं और सभी हिन्दू विवाहों या कुछ विशिष्ठ प्रकार के हिन्दू विवाहों का पंजीकरण अनिवार्य भी कर सकती हैं। पंजीकरण के उपरांत पति-पत्नी को विवाह का प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाता है। विवाह प्रमाण पत्र विवाह के पंजीकरण का प्रमाण होता है। विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता तब होती है यदि आपको यह साबित करना हो कि आपका विवाह किसी के साथ कानूनन सम्पन्न हुआ है। यह अनेक प्रयोजनों के लिए आवश्यक होता है जैसे पासपोर्ट प्राप्त करना, अपना गोत्र परिवर्तन करना आदि।
भारत में विवाह दो विवाह अधिनियमों हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 में से किसी एक अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जा सकता है। विवाह के पात्र होने के लिए पुरूष की निम्नतम आयु 21 वर्ष और महिला की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। हिन्दू विवाह के पक्ष अविवाहित या तलाकशुदा होने चाहिए या यदि पहले विवाह हो गया है तो उस शादी के समय पहली पत्नी या पति जीवित नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त दोनों पक्षों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। उनकी स्थिति ऐसी न हो जो कानून निषेध योग्य हो। विशेष विवाह अधिनियम विवाह अधिकारी द्वारा विवाह सम्पन्न करने तथा पंजीकरण करने की व्यवस्था करता है। जब कि हिन्दू विवाह अधिनियम केवल हिन्दुओं के लिए लागू होता है, जबकि विशेष अधिनियम भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू होता है। हिन्दू विवाह अधिनियम पहले से सम्पन्न हुए विवाह के पंजीकरण की व्यवस्था करता है। इसमें पंजीयक द्वारा विवाह सम्पन्न करने की व्यवस्था नहीं है। विशेष विवाह अधिनियम में विवाह अधिकारी द्वारा विवाह सम्पन्न करने तथा पंजीकरण करने की व्यवस्था करता है।
हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए विव
More from my site
7 Comments
स्त्री का एक सरकारी विवाह प्रस्ताव इस प्रकार भी हो सकता है
http://rajey.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html#links
oversize book you’ve bear
I’d be inclined to come to terms with you here. Which is not something I typically do! I enjoy reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!
सामान्यजन की जानकारी बढाने वाली ज्ञानवर्द्धक जानकारी.
Wow! Great thnkgini! JK
राजस्थान को ये कदम बहुत सराहनीय है. विवाहों का अपंजीकरण तो पूरे भारत में ही दंडनीय कर दिया जाना चाहिये.
बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट.