DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

हिन्दू विवाह केवल न्यायालय की विवाह विच्छेद डिक्री से ही विघटित हो सकता है।

rp_divorce-decree5.jpgसमस्या-

जी.आर. चौधरी ने जोधपुर, राजस्थान से राजस्थान राज्य की समस्या भेजी है कि-

मेरा विवाह आज से 12 वर्ष पूर्व हिन्दू रीति रिवाज से हुआ था और हम पति और पत्नी दोनों ही हिन्दू धर्म से तालुकात रखते हैं। विवाह के बाद से ही मेरी पत्नी अपने पीहर में ही रह रही है और अब काफी समय के बाद मेरी पत्नी एवं उसके पीहर वालों द्वारा यह कहा जा रहा है कि मेरी पत्नी हम दोनों की आपसी सहमति से स्टाम्प पेपर पर शपथ पत्र के माध्यम से हिन्दू रीति रिवाजों के तहत समाज के पंचों के समक्ष लिखित में देकर तलाक देना चाहती है। उसके द्वारा दिये गये शपथ पत्र के आधार पर मुझे भी समाज के पंचों के समक्ष लिखकर पत्नी को देना है। मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत हुयी शादी में पंच/ पंचायत के समक्ष पत्नी द्वारा स्टाम्प पेपर पर लिखित में दिया गया तलाक मान्य है अथवा नहीं? क्या इस प्रकार के तलाक को भविष्य में सादे पेपर पर अंगूठा करवाने अथवा डरा धमकाकर लिखवाने का आरोप लगाकर मेरी पत्नी द्वारा न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है अथवा नहीं? न्यायालय समाज के पंच पटेलों के समक्ष लिखे गये तलाकनामे को कोर्ट में पंजीकृत करवाया जा सकता है अथवा नहीं। इसके साथ ही यदि महिला परामर्श केन्द्र पर आपसी सहमति से हुये इस प्रकार के तलाक को कोर्ट द्वारा जायज ठहराया जा सकता है अथवा नहीं?

समाधान-

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के प्रभावी होने तक हिन्दू विवाह में तलाक या विवाह विच्छेद जैसी कोई चीज नहीं थी। एक बार हुआ विवाह कभी विच्छेद नहीं हो सकता था। विवाह विच्छेद का प्रावधान पहली बार उक्त अधिनियम के माध्यम से हिन्दू विवाह में आया। इस अधिनियम में भी विवाह विच्छेद को अत्यधिक कठोर बनाया गया। एक हिन्दू विवाह केवल और केवल न्यायालय की विवाह विच्छेद की डिक्री के द्वारा ही समाप्त हो सकता है। इस कारण पंचों या पंचायत या महिला परामर्श केन्द्र के समक्ष तस्दीक किए गए तलाकनामे का या विवाह विच्छेद के शपथ पत्रों या समझौते से विवाह को विघटित नहीं माना जा सकता। ऐसी किसी भी कार्यवाही के बाद भी कानून की दृष्टि में दोनों पति पत्नी बने रहेंगे

स तरह का कोई समझौता पंचों की उपस्थिति में, पंचायत में अथवा पुलिस परामर्श केन्द्र में होता है तो उस पर निश्चित रूप से गवाहों के हस्ताक्षर भी होंगे। इस तरह यह समझौता केवल यह प्रकट करेगा कि दोनों पति पत्नी साथ रहने में सक्षम नहीं थे और उन में अलग रहने और विवाह को समाप्त करने का समझौता हुआ है। इस समझौ ते को संलग्न करते हुए दोनों पति पत्नी हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के अन्तर्गत न्यायालय के समक्ष सहमति से विवाह विच्छेद के लिए आवेदन कर सकते हैं तथा इस आवेदन पर दोनों आवेदक पक्षकारों के बयान ले कर आवश्यक अवधि आवेदन करने की तिथि के छह माह के पश्चात न्यायालय आवेदन को स्वीकार करते हुए विवाह विच्छेद की डिक्री पारित कर विवाह को विघटित कर सकता है।

दि पत्नी की मंशा में कोई बद्यान्ति आ जाए तो पंचों, पंचायत या पुलिस परामर्श केन्द्र के समक्ष हुए समझौते को दबाव से हस्ताक्षर कराया गया कहा जा सकता है। लेकिन उस पर जिन गवाहों के हस्ताक्षर हैं उन की गवाही से यह साबित किया जा सकता है कि यह दबाव से नहीं किया गया था अपितु स्वयं पत्नी पक्ष की पहल पर हस्ताक्षरित किया गया था।

One Comment