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हिन्दू विवाह में झगड़े तलाक का कारण नहीं हो सकते।

समस्या-

रविकान्त ने अलीगढ़, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मै एक केन्द्रीय कमर्चारी हू और मेरी पत्नी एक राज्य कमर्चारी है। हमारी शादी को ८ साल हो गया है और हमारे २ लड़के पहला ५ साल दूसरा ३ साल भी है। आपसी झगड़े की बजह से साथ रहना मुश्किल हो गया है।  *क्या तलाक हो सकता है, मुझे क्या हर्जाना देना होगा?  बच्चे किसके पास रहेंगे? *मेरी पत्नी मुझ पर क्या-क्या इल्जाम लगा सकती है?

समाधान-

पसी झगड़े के कारण साथ रहना मुश्किल हो गया है, तो यह दुतरफा समस्या है यह आपसी बातचीत, समझदारी और सहमति से सुलझने वाला मामला है। यदि आप दोनों द्विपक्षीय रूप से बात न कर सकते हों तो कम से कम किसी एक मित्र या संबंधी जिस पर दोनों विश्वास कर सकें उसे बीच में डाल कर आपसी समस्याएँ हल करें। किसी काउन्सलर की मदद भी ली जा सकती है। यदि समस्या हल न हो और अन्तिम विकल्प विवाह विच्छेद ही हो तो दोनों सारी शर्तें कि कितना हर्जाना देना होगा, बच्चे किस के पास रहेंगे और कौन किस को कितना खर्चा देगा आदि आदि आपस में तय कर के सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन लगाएँ और सात-आठ माह में इस आवेदन पर विवाह  विच्छेद हो सकता है।

हिन्दू विवाह अधिनियम में विवाह विच्छेद इतना आसान नहीं है कि आप पत्नी के लिए किसी हर्जाने, पर सहमत हो जाएँ तो हो जाए। वह कानून में वर्णित आधारों पर ही आवेदन कर्ता को प्राप्त हो सकता है। वह भी अपने आधार को प्रमाणित कर देने पर। आप ने अपनी समस्या में ऐसे कोई तथ्य नहीं रखे हैं जिस से कोई आधार विवाह विच्छेद हेतु बनता हो।

पति पत्नी के अलग होने पर बच्चों की अभिरक्षा का प्रश्न इस बात से तय होता है कि बच्चों का हित कहाँ अधिक सुरक्षित है। इस की जाँच दोनों पक्षों द्वारा न्यायालय के समक्ष रखे गए तथ्यों और सबूतों के आधार पर किया जा कर निर्णय होता है। आम तौर पर बच्चों की अभिरक्षा पत्नी को ही मिलती है और पति को उन के भरण पोषण के लिए हर माह नियमित राशि देनी होती है। यह राशियाँ इस बात से तय होती हैं कि दोनों की आमदनी कैसी है, सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है।

यदि आप वास्तव में तलाक लेने जैसे कदम उठाने जा रहे हैं तो आप को वकील से रूबरू मिल कर परामर्श करना चाहिए। उसी से आप को ठीक राह मिलेगी।