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धमकी देने वाले को कार्यवाही करने दें और प्रतिरक्षा की तैयारी रखें।

lawसमस्या-
महेन्द्र कुमार ने नागौर, राजस्थान से पूछा है-

मेरे बड़े भाई को मिर्गी की बीमारी है जिसके कारण उनका दिमागी संतुलन कभी ठीक तो कभी खराब रहता है। जिस के कारण वह कभी कभी तोड़-फोड़ जैसा काम कर देता है, मुख्य बात ये है कि करीब 20 दिनों पहले मेरे बड़े भाई को मेरे पड़ोसी के फार्म (खेत) में  मेरे पड़ौसी के बेटे ने किसी बात को लेकर उकसा (छेड़) दिया जिस से मेरे भाई को गुस्सा आ गया, मेरे भाई ने मेरे पड़ोसी के खेत में बना एक कच्चा कमरा (रूम) ओर घास-पुस जला दिया। मेरी फैमिली ने उस खेत जो भी नुकसान हुआ है उसे पूरा करवा दिया। रूम नया बनवा दिया और उपर से घासफूस के पैसे भी दे दिए हैं नुकसान की भरपाई आपसी समझ से हुई थी कोई कागज़ी करवाई नहीं हुई, अब बात ये की अब मेरे पड़ोसी धमकी दे रहे हैं कि उस में कई अन्य कीमती समान थे उन के पैसे दो नहीं तो हम आप पर केस करेंगे, जबकि रूम में कोई तरह का कीमती समान नहीं था।  हम खुद आग बुझाने मे हेल्प कर रहे थे। मैं ने खुद ने फायर ब्रिगेड नागौर को फोन कर बुलाया था और आग बुझाने में हेल्प की थी लेकिन अब उनके कहे अनुसार मूआवजा देने के बाद भी कोर्ट केस की धमकी मेरे पड़ोसी ओर उनके रिश्तेदार लगातार दे रहे हैं ……..कृपया हमें बताए हमें क्या करना चाहिए?

समाधान-

प का भाई कानून की निगाह में विकृत चित्त व्यक्ति है। इस मामले में आप के पड़ौसी कोई भी कार्यवाही करने की स्थिति में नहीं हैं। बेकार की धमकी दे रहे हैं। आप पहले ही जितना हो सकता था मदद कर चुके हैं।

लेकिन किसी भी कानूनी कार्यवाही करने से किसी को रोका नहीं जा सकता। किसी भी कार्यवाही को न्यायालय में प्रतिवाद प्रस्तुत कर के ही परास्त किया जा सकता है। इस कारण आप उन्हें प्रेम से कह दें कि आप जितना नुकसान हुआ है उस से अधिक की भरपाई कर चुके हैं और अब नहीं कर सकते वे चाहे जो करें, आप नहीं झुकेंगे।

कोई भी कार्यवाही होने पर कभी यह स्वीकार न करें कि जो कुछ नुकसान हुआ था वह आप के भाई के कारण हुआ था। क्यों कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उसी ने यह सब नुकसान किया था। आप तो यह सब केवल उन के कहने से ही मान रहे हैं। किसी भी कार्यवाही में सब कुछ उस व्यक्ति को साबित करना होता है जो उसे न्यायालय के सामने कहता है। इस कारण से यह सब तथ्य आप के पड़ौसी को न्यायालय के समक्ष साबित करने दें जो लगभग असंभव जैसा है।

प के भाई के विरुद्ध होने वाली कार्यवाही में आप को सब से पहले अपने भाई को विकृत चित्त सिद्ध करना पड़ेगा। इस के लिए आप के भाई के इलाज के पर्चे व अन्य सबूत जो भी हों उन्हें सम्भाल कर रखें। यदि नियमित रूप से इलाज नहीं करवाया जाता हो तो अब उसे किसी मनोरोग विशेषज्ञ को दिखा कर इलाज शुरु करवा दें और इलाज के पर्चे व अन्य सबूतों को संभाल कर रखें। जिस से यदि आप के विरुद्ध कोई कार्यवाही हो तो आप उस में अपनी प्रतिरक्षा ठीक से कर सकें।

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