फर्जी मुकदमों का मुकाबला करें? और दोषी को दंडित कराएँ?
|समस्या-
तीन वर्ष पहले एक प्लाट खरीदने के लिये मैं ने अपने ससुर के कहने में आकर उनके एक परिचित विक्रेता को ढाई लाख रूपये अग्रिम दिये। 6 महीने तक प्लाट ना मिलने पर पता चला कि हमारे साथ धोखा हुआ है। परिचितों द्वारा दबाव बनाने पर जनवरी 2011 में विक्रेता ने हमें ढाई लाख रूपये के पचास पचास हजार रूपये के पांच चैक जून 2011 के दिये जो कि मेरे ससुर जी के नाम के थे, साथ में नोटेरी भी करा ली जिसमें मै गवाह हूं। जून 2011 में चैक का समय आने पर भी जब पैसा नही मिला तो मेरे ससुर ने चैक बैंक में डाले जो बाउंस हो गये। ससुर जी बताते हैं कि उन्हों ने अपने परिचित पर चैक बाउंस के पांच मुकदमे कर दिये हैं जो विचाराधीन हैं पर, उन्होने हमें मुकदमे लडने या दिखाने और बताने से भी इंकार कर दिया। चैक और ओरिजनल नेाटेरी ससुर जी के पास थी। अब हमें ये अंदेशा हो गया कि उनके मन में बेईमानी आ गयी है और हमारी स्थिति आसमान से गिरा खजूर में अटका वाली हो गयी है। इस के बाद में हमारे बीच में झगडा हुआ जिसमें हमने कोर्ट की शरण ली और ससुर जी के विरूद्ध कोर्ट के माध्यम से रिपोर्ट दर्ज करा दी, जिससे बचने के लिए उन्हों ने हमसे फैसला किया कि हमारे ढाई लाख रूपये के मुकाबले वो हमें एक लाख रूपया देंगे और उसके बाद हमारा उस रूपये से कोई वास्ता नही रहेगा। इसकी बाकायदा नोटेरी हुई कचहरी में दो गवाहों के सामने और उन्होने हमें एक लाख रूपये दे दिये । हमने आपसी सहमति बनाते हुए उक्त मुकदमें मे आगे कोई कार्यवाही नही की और उसमें एफ आर लग गयी। जिसकी कापी मिलते ही मेरे ससुर साहब ने हम पर दो तीन फर्जी मुकदमे मारपीट और मेरी साली के अपहरण के प्रयास का दर्ज करा दिए और उनकी मंशा अब उन दिये गये एक लाख रूपये को वापस लेने की है जिसके कारण वे मुझे परेशान करने के लिये फर्जी मुकदमें दर्ज करा रहे हैं। क्या मैं उस समझौते से मुकरते हुए अपने बाकी डेढ लाख रूपये के लिये केस कर सकता हूं? नोटरी की क्या अहमियत है? 100 रुपए के स्टांप पर जबकि उसी दिन दो नेाटरी हुई एक साथ, एक जगह जिसमें उनके पूरे परिवार के दस्तखत हैं।
इसी मसले से जुडा एक और सवाल है कि मेरे ससुर ने मेरे खिलाफ अखबारो में उल्टी सीधी खबरें छपवाई जैसे कि मेरे कोई लडका ना होने के कारण मैं उनकी छोटी लडकी से शादी करना चाहता हूँ। मैं ने नौकरी पाने के लिए अपने पिता का कत्ल किया शक है, मैने अपने भाई की जायदाद बेचकर उनके बच्चो को कुछ नहीं दिया, आदि अर्नगल बातें । ये सब मेरे विभाग में लिखित में दी गयी हैं और मुझे उनकी कापी मिली है और वे सब बिना सबूत के मिथ्या हैं और उनके पास इसका कोई जवाब नहीं है कि उन्होने ऐसा क्यों कहा। मैं ने उन पर मानहानि का दावा करने के लिये नोटिस भेजा जो उन्होने लिया पर जबाब नही दिया। मेरे पास पर्याप्त सबूत हैं कि उन्होने ये सब जान बूझकर मेरी समाज में इज्जत खराब करने के लिये किया है। मैं यदि मानहानि का मुकदमा करूँ तो उस में क्या हो सकता है? दूसरा मानहानि के दावो में दीवानी और फोजदारी का क्या प्रोसेस है?
इसी से जुडा एक और सवाल ………..मेरी शादी 2004 में हुई और मेरी एक छोटी साली की 2007 में। मेरे ससुर ने अपने विभाग में शादी के लिये अनुदान पाने के लिये 2008 में आवेदन किया। जिसमें दोनेा के शादी के फर्जी कार्ड और सभासदो की मोहर लगे कागज दिये। अनुदान का आवेदन निरस्त हो गया पर क्या जो फर्जी कूटरचना करके उन्होने धोखाधडी का प्रयास किया क्या इसके लिये उन पर कोई कार्य वाही हो सकती है?
इस सारे प्रकरण में मेरी धर्मपत्नी मेरे साथ है और अपने पिता से वही लड़ रही है। मैं ने विश्वास के कारण जो गलतियां की हैं उन्हें पढकर लोग संभल जायें और मुझे भी कानूनी प्रक्रिया में कुछ सहारा मिले। जिस से मेरे ससुर जो फर्जी मुकदमें कर रहे हैं उन में मै अपनी सच्चाई के साथ खडा रह कर मुकाबला कर सकूं और उन्हें उनके किये की सजा दिलवा सकूं। मेरे पास जो नेाटरी है उसमें उन्होने स्वीकार किया है कि किस तरीके से उन्होने मध्यस्थता करते हुए चैक अपने नाम कटवा लिये और अब उनके बदले मुझे एक लाख दे रहे हैं।
-राम प्रकाश, जगाधरी, उत्तरप्रदेश
समाधान-
आप ने जिस व्यक्ति को भूखंड खरीदने के लिेए ढाई लाख रुपए दिए उस से भूखंड खरीदने का या रुपए एडवांस प्राप्त करने का कोई एग्रीमेंट जरूर लिखा होगा और वह आप के पास होना चाहिए। यदि ऐसा एग्रीमेंट या उस की रसीद और यदि ढाई लाख रुपए चैक से दिए हैं तो उस का आप के बैंक खाते में इंद्राज अवश्य होगा। उक्त राशि में से एक लाख रुपया आप को वापस मिल चुका है लेकिन अभी डेढ़ लाख रुपया बकाया है। आप उस व्यक्ति तथा आप के ससुर के विरुद्ध एक मुकदमा उक्त डेढ़ लाख रुपए की वसूली के लिए दीवानी वाद दायर कर सकते हैं। इस तरह आप के ससुर ने और उस व्यक्ति ने मिल कर आप से धोखाधड़ी कर के जो रुपए ऐंठें हैं उस के लिए भी आप उक्त दोनों के विरुद्ध न्यायालय में धारा 420 भा.दं.संहिता के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।
नोटेरी के यहाँ जो भी दस्तावेज निष्पादित किया जाता है उस का सत्यापन मात्र होता है। नोटेरी का महत्व सिर्फ इतना ही होता है कि पक्षकारों के मध्य जो भी अनुबंध लिखा गया है वह दोनों के बीच एक सच्चा अनुबंध है। एक नोटेरी के समक्ष एक ही दिन एक ही समय कई दस्तावेज सत्यापित किए जा सकते हैं। उन सब दस्तावेजों में जो कुछ अंकित है उसी से पता लगाया जा सकता है कि मामला क्या है? और यदि अनुबंध के अनुसार किसी पक्षकार ने बर्ताव नहीं किया है तो क्या कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। यदि ऐसी कानूनी कार्यवाही संस्थित होती है तो न्यायालय में नोटेरी के समक्ष सत्यापित दस्तावेजों को नोटेरी और दस्तावेज के गवाहों के माध्यम से उन्हें प्रमाणित किया जा सकता है।
आप के ससुर जी ने अखबार में जो खबरें छपवाई हैं वे अपमान जनक हैं। उन के आधार पर मानहानि के संबंध में फौजदारी और दीवानी दोनों कार्यवाहियाँ संस्थित की जा सकती हैं। मानहानि के दीवानी वाद में आप हर्जाने के रूप में धन मांग सकते हैं जिसे न्यायालय आप को दिला सकता है।मानहानि का दीवानी दावा कर ने के लिए आप को न्यायालय में हर्जाने का दीवानी वाद संस्थित कर सकते हैं, वहीं फौजदारी प्रकरण चलाने के लिए आप न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं जिस में आप के बयान लेने के उपरांत आप के ससुर को समन भेज कर न्यायालय में बुलाया जाएगा और उन्हें जमानत करवानी पड़ेगी। उस के बाद विचारण आरंभ होगा जिस में आप के ससुर को कारावास और जुर्माने के दंड से दंडित किया जा सकता है।
आप के ससुर द्वारा उन के विभाग से अनुदान या ऋण प्राप्त करने के लिेए आवेदन के साथ जो फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, उस के लिए आवेदन निरस्त हो जाने के बाद भी विभाग उन के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकता है तथा उन के विरुद्ध फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए पुलिस में भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है। अनुशासनिक कार्यवाही और फौजदारी प्रकरण दोनों में आप के ससुर को दंड मिल सकता है।
आप के पास जो भी दस्तावेज और साक्षी हैं उन के आधार पर आप ससुर द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमें में अपना बचाव कर सकते हैं और उन के विरुद्ध कार्यवाही कर के उन्हें दंडित भी करवा सकते हैं और अपना रुपया भी वसूल कर सकते हैं।
धन्यवाद आपके इस नेक सलाह के लिये