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मुकदमें का एक्सपार्टी होना क्या है?

समस्या-

मैने अपनी दुकान किराया पे दी थी। किराएदार पर मैंने दुकान खाली करने का दावा किया है। जज ने मुकदमा एक्स पार्टी कर दिया है। इस एक्स-पार्टी में क्या होता है? क्या वो एक्स पार्टी होने पर वापस जुड़ सकता है? और किस आधार पे जुड़ सकता है?+

– अतुल राज, दलदली रोड, कदम कुआं, पटना-८००००३+

समाधान-

जब भी आप कोई गैर-अपराधिक मुकदमा करते हैं तो  प्रतिवादी/ प्रतिपक्षी/ प्रतिपक्षियों को समन या नोटिस भेजे जाते हैं। यदि समन या नोटिस सभी प्रतिपक्षीगण या उन में से किसी एक को मिल जाए और वह न्यायालय में उपस्थित न हो या उपस्थित होने के बाद किसी अन्य पेशी पर उपस्थित न हो तो न्यायालय एक आदेश पारित करता है कि इस मुकदमे की सुनवाई एक-तरफा (एक्स पार्टी) की जाएगी, जिस का अर्थ होता है कि उपस्थित पक्षकारों की साक्ष्य ली जाएगी और उसी के आधार पर निर्णय पारित कर दिया जाएगा।

लेकिन जिस पक्षकार के विरुद्ध एक्स-पार्टी आदेश हुआ है वह आदेश से 30 दिनों में उचित और पर्याप्त कारण बताते हुए हाजिर हो कर एक्स पार्टी आदेश को निरस्त करने के लिए प्रार्थना पत्र देता है तो यह आदेश अपास्त किया जा कर उसे उसी स्तर से कार्यवाही में भाग लेने का अवसर दिया जा सकता है। 30 दिन बाद भी यदि देरी का उचित कारण हो तो भी एक्स-पार्टी आदेश को निरस्त कराया जा सकता है।

कोई मुकदमा एक्स-पार्टी होकर मुकदमा आगे बढ़ जाने पर कुछ कार्यवाही हो जाने पर भी यदि प्रतिवादी या प्रतिपक्षी जिस स्तर पर भी न्यायालय में उपस्थित हो जाए उसी स्तर पर मुकदमे की कार्यवाही में भाग ले सकता है। हाँ, वह एक्स-पार्टी आदेश को अपास्त कराए बिना उस की अनुपस्थिति में हो गई कार्यवाहियों को दुबारा किए जाने के लिए नहीं कह सकता।