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पता लगने पर एकतरफा फैसले को रद्द कराया जा सकता है।

समस्या-

जूही ने पीलीभीत, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-


मेरा विवाह सन 2013 मे अमेठी उत्तरप्रदेश के मुसाफिरखाना निवासी इरशाद अली से हुआ। विवाह के बाद मुझे सास ने बहुत प्रताड़ित किया। मुझे बार् बार मायके ज़बरदस्ती भेज देती है। मेरे दोनों बेटे सिज़ेरियन से मेरे मायके में हुए। दोनों बार न कोई मेरे ससुराल से बच्चो को देखने आया न ही कोई खर्च दिया।  परिवार परामर्श केंद्र पीलीभीत में मेरा समझौता हुआ, लेकिन मेरे पति मुझे लेकर नहीं गये, बल्कि पुलिस में मेरे भाइयों के खिलाफ मारपीट की झूठी रिपोर्ट लिखा दी।  सितम्बर 2016 को उन्हीं ने मेरे खिलाफ विदाई का मुकदमा दायर कर दिया। लेकिन आज तक कोई सम्मन या नोटिस हमें नहीं मिला। पति से बात की तो कह रहे थे कि हमने नोटिस पर गलत पता लिखवाया है। मेरे पति ने गलत पता क्यों लिखवाया? जानकारी के भाव मे हम किसी पेशी पर नही पहुँच सके तो अब क्या कोर्ट मेरे खिलाफ फैसला दे देगा?


समाधान-

गता है आप की आप के पति से बातचीत फोन पर हो जाती है। यदि ऐसा है तो आप फोन पर अस्थाई रूप से हर काल को रिकार्ड करने की व्यवस्था कर लें। जब भी पति या ससुराल से कोई फोन आए तो वह रिकार्ड हो जाए फिर उन काल्स को आप स्थाई रूप से रिकार्ड में रख सकती हैं। ये सबूत के बतौर काम आएंगे।

आप का झगड़ा आप के पति से नहीं लगता। लेकिन आप की सास आप को बिलकुल नहीं देखना चाहती और आप के पति कुछ नहीं बोलते। यह स्थिति ठीक नहीं है। एक स्त्री चाहे वह किसी जाति व धर्म या मुल्क की हो यदि उस की अपनी स्वयं की पर्याप्त आय नहीं है जिस से वह अपनी और अपने बच्चों की देखभाल पालन पोषण कर सके तो सब कुछ पति और रिश्तेदारों पर निर्भर हो जाता है तब जिन्दगी या तो नर्क हो जाती है या फिर स्वर्ग हो जाती है। बेहतर है कि स्त्रियाँ पैरों पर खड़ी हों और किसी दूसरे के भरोसे जिन्दगी जीना बन्द करें।

परिवार परामर्श केन्द्र के समझौते का कोई बड़ा महत्व नहीं है। आप के पति ने विदाई का मुकदमा किया है और आप का गलत पता दिया है तो यह इरादा रहा हो सकता है कि किसी तरह अदालत से एक तरफा फैसला ले लिया जाए। पर उस तरह के फैसले से कोई लाभ आपके पति को नहीं मिलेगा। जब भी आप को उस फैसले की कोई जानकारी मिले आप उस फैसले को देने वाली अदालत में दर्ख्वास्त दे कर उस फैसले को रद्द करवा कर दुबारा सुनवाई करवा सकती हैं।

बिन मांगी सलाह है कि ऐसे में इस शादी में बने रहने का कोई अर्थ नहीं है। तब भी जब कि पति का थोड़ा बहुत झुकाव आप की तरफ हो। क्यों कि जो अपनी माँ या किसी के कहने पर अपनी ही पत्नी के साथ इस तरह का व्यवहार करे उसे पति बने रहने काअधिकार नहीं है। आप उस के व्यवहार के आधार पर कोर्ट से विवाह विच्छेद की मांग कर सकती हैं और आप को मिल सकता है। आप धारा 125 दं.प्र.संहिता में अपने लिए व अपने बच्चों के लिए भरण पोषण की मांग भी कर सकती हैं जो आप के पति को देना ही पड़ेगा, न देने पर अदालत उन्हें जेल में भिजवा सकती है। यदि आप विवाह विच्छेद भी करा लें तब भी आपको को दूसरा विवाह करने तक यह भरण पोषण राशि मिलती रह सकती है।

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