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Category: न्यायिक सुधार

जनता को न्याय प्रदान करने में किसी राजनैतिक दल की कोई रुचि नहीं

भारत को आजादी मिले 63 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन न्याय की स्थिति बेहतर से बदतर ही हुई है। लगता है सरकारों को न्याय व्यवस्था से कोई सरोकार
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अमरीका की तुलना में भारत में न्याय की संभावना मात्र 10 प्रतिशत

विगत आलेख क्या हम न्यायपूर्ण समाज की स्थापना से पलायन का मार्ग नहीं तलाश रहे हैं ? पर तीन महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएँ आईँ।संगीता पुरी जी ने कहा कि ‘सजा
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क्या हम न्यायपूर्ण समाज की स्थापना से पलायन का मार्ग नहीं तलाश रहे हैं ?

हम भारत में जरूरत की केवल 20 प्रतिशत अदालतों से देश में न्यायालयों की कमी ने अनेक समस्याएँ खड़ी की हैं और लगातार हो रही हैं। अदालतों की
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समलैंगिक विवाह फिर कानून के गलियारे में

कानून के गलियारे में समलैंगिक विवाह एक बार फिर से चर्चा का विषय बन रहे हैं।  कैलिफोर्निया (अमरीका) की एक अदालत ने दो सप्ताह पूर्व इन विवाहों को
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औद्योगिक विवाद अधिनियम की वर्तमान व्यवस्था में सूराख की कोशिश

कल की पोस्ट पर मैं ने बताया था कि औद्योगिक विवाद अधिनियम में किए जाने वाले संशोधनों के परिणाम क्या होंगे? इसी पोस्ट में मैं ने इस संशोधन
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औद्योगिक विवाद अधिनियम में किए जाने वाले संशोधनों के परिणाम क्या होंगे?

औद्योगिक विवाद अधिनियम में फिर से एक संशोधन प्रस्तावित है। बिल को संसद में प्रस्तुत किया जा चुका है और इसे राज्य सभा ने पारित भी कर दिया
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न्यायिक सुधार – ऊँट के मुहँ में जीरे के समान भी नहीं

बार एंड बैंच, एक भारतीय अंग्रेजी  वेबसाइट है जो भारत में विधि और न्यायिक पत्रकारिता के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने में जुटी है। इसी ने कल
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सरकार की घोषित राष्ट्रीय मुकदमा नीति का स्वागत है

केन्द्र सरकार की ओर से आज राष्ट्रीय मुकदमा नीति जारी करते हुए कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि इस नीति में प्रस्तावित निगरानी और समीक्षा का
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मोइली साहब! मौजूदा से चार गुनी नहीं, तो दुगनी ही दे दीजिए

अब मोइली साहब ने कह तो दिया है कि छह माह में फैसला मिलना ही चाहिए। लेकिन जरा ये तो बताएँ कि ये होगा कैसे? हमारे यहाँ की
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दैनिक भास्कर में 21 मार्च के रसरंग की कवर स्टोरी "देर है तो अंधेर है" अब नेट पर उपलब्ध, अवश्य पढ़ें….

दैनिक भास्कर के स्थाई रविवासरीय परिशिष्ठ रसरंग में कवर स्टोरी के रूप में विजयशंकर चतुर्वेदी ने भारतीय न्याय व्यवस्था की एक विस्तृत समीक्षा की थी। यह आलेख अब
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