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Tag: अनुबंध

सीमित देयता भागीदारी अधिनियम पेशेवर उद्यमियों के लिए एक उपहार होगा

सीमित देयता भागीदारी विधेयक-2008 ( Limited Liability Partnership Bill-23008) को राज्य सभा ने पारित कर दिया है, इस से इस के शीघ्र कानून बनने और लागू होने की
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जरूरी सलाह – वाहन बेचने पर खरीददार से पक्की रसीद जरूर लें।

जीप, कार, ट्रक, बस, बाईक या सायकिल वाहन कैसा ही क्यों न हो जब उसे बेचें उस के बेचे जाने और कब्जा संभलाने की रसीद खरीददार से जरूर
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सरकारी ठेकेदार ठेके के चलते नहीं हो सकते चुनाव में प्रत्याशी

कोई भी व्यक्ति जिसने अपने व्यवसाय या काम के सिलसिले में सरकार को माल सप्लाई करने या किसी काम का निष्पादन करने के लिए कोई कंट्रेक्ट किया हो
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कानूनी प्रक्रिया में बाधक अनुबंध

कानूनी प्रक्रिया में बाधक अनुबंधों को शून्य माना जाना किसी भी ऐसे राज्य की पहली शर्त होनी चाहिए जिस का शासन कानून के आधार पर चलता है। भारत
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कानूनी कार्यवाहियों में बाधक अनुबंध शून्य हैं।

कानूनी कार्यवाहियों में रोड़ा बनने वाले अनुबंध शून्य हैं।प्रत्येक अनुबंध ….(क) जिस के द्वारा उस के किसी पक्षकार को किसी भी कंट्रेक्ट के अंतर्गत और उस के संबंध में प्राप्त अधिकारों को प्रवर्तित
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व्यापार अवरोधक अनुबंध शून्य हैं

व्यापार में अवरोधक अनुबंध शून्य हैं … ऐसा प्रत्येक अनुबंध जो किसी भी व्यक्ति के किसी भी वैधानिक वृत्ति (प्रोफेशन), व्यापार या कारोबार करने पर रोक लगाता है,
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बिना प्रतिफल के शून्य अनुबंध, और उस के अपवाद

प्रतिफल के बिना अनुबंध शून्य है, जब तक कि वह रजिस्टर्ड और लिखित न हो, या वह किए जा चुके किसी कार्य के प्रतिकर का वादा, अथवा अवधि
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गैरकानूनी उद्देश्यों व प्रतिफल के कारण शून्य कंट्रेक्ट

पिछले आलेख कंट्रेक्ट के वैध-अवैध उद्देश्य और प्रतिफल पर ज्ञान जी की टिप्पणी थी… … मैं तो दो बार पढ़ गया। पर लगता है अब भी मन एकाग्र
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कंट्रेक्ट के वैध-अवैध उद्देश्य और प्रतिफल

आज हम जानेंगे कि कौन से उद्देश्य या प्रतिफल कानूनी हैं, जिन के कानूनी न होने के कारण कोई भी कंट्रेक्ट शून्य हो सकता है……. किसी भी अनुबंध
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कानून संबंधी और एक पक्षकार की तथ्य संबंधी भूल का कंट्रेक्ट पर प्रभाव

कानून सम्बन्धी भूल का प्रभाव कोई भी कंट्रेक्ट केवल इस कारण से शून्यकरणीय नहीं हो सकता कि वह भारत में प्रवृत्त किसी कानून से संबंधित भूल का परिणाम
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