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विवाह के लिए वर्जित सपिण्ड नातेदारी क्या है

समस्या-

शिव मिश्रा ने गुड़गाँव हरियाणा से पूछा है-

क्या मैं मां की चचेरी बहन से शादी कर सकता हूँ

समाधान-

हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 की उपधारा (iv) में यह प्रावधान किया गया है कि “जब तक दोनों पक्षकारों में से हर एक को शासित करने वाली रूढ़ि या प्रथा से उन दोनों के बीच विवाह की अनुमति न हो तो सपिण्ड नातेदारी वाले व्यक्ति आपस में विवाह नहीं कर सकते।

इसी अधिनियम की धारा 3 (च) (i) सपिण्ड नातेदारी को परिभाषित किया गया कि, “जब निर्देश किसी व्यक्ति के प्रति हो तो, माता के माध्यम से उसके ऊपर की ओर की परंपरा में तीसरी पीढ़ी तक जिसमें तीसरी पीढ़ी सम्मिलित है और पिता के माध्यम से उसके ऊपर की ओर की परंपरा में पाँचवीं पीढ़ी तक जिसमें पाँचवी पीढ़ी सम्मिलित है जाती है, हर एक दशा में वंश परंपरा सम्पृक्त व्यक्ति से, जिसे पहली पीढ़ी गिना जाएगा ऊपर की ओर चलेगी।

हम इस व्यवस्था को  निम्न चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं-

इस चित्र में आप और लड़की सब्जेक्ट हैं। आप से माँ की ओर चलें तो माँ पहली पीढ़ी और नाना दूसरी पीढ़ी हैं। उसी तरह मौसी की बेटी की ओर से चलें तो आपकी मौसी पहली पीढ़ी हैं उनके पिता अर्थात लड़की के नाना दूसरी पीढ़ी है। आपके नाना और लड़की के नाना दोनों सगे भाई हैं और उनके माता-पिता एक ही हैं। ऐसी स्थिति में आप दोनों के संबंध सपिण्ड नातेदारी में हैं। आपके परिवार या नातेदारियों में सपिण्ड विवाह की कोई परंपरा नहीं है तब आप दोनों के बीच विवाह वर्जित नातेदारी में होने के कारण अवैध होगा।  

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