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Tag: न्यायिक सुधार

प्रधानमंत्री ने कहा- न्यायप्रणाली का मुख्य ध्यान हर एक प्रतीक्षारत न्यायार्थी का प्रत्येक आँसू पोंछने पर केन्द्रित हो

62वें स्वतंत्रता दिवस के अगले दिन प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि न्यायप्रणाली का मुख्य ध्यान प्रतीक्षारत हर एक न्यायार्थी का प्रत्येक आँसू पोंछने पर केन्द्रित होना
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राजस्थान में अधीनस्थ न्यायालयों की हालत पर सरकार और बार कौंसिल की उदासीनता

अभिभाषक परिषद द्वारा आयोजित एक समारोह में भीलवाड़ा राजस्थान के जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरसुखराम पूनिया ने मुकदमों की सांख्यिकी प्रस्तुत करने हुए बताया कि जिले में 32
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न्याय जगत के लिए एक खुश-खबर,, लेकिन जनता के लिए केवल सपना है

देश  के लिए एक अच्छी खबर है कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के रिक्त पदों पर जल्दी ही नियुक्तियाँ होने वाली हैं और तब न्यायार्थियों को शीघ्र न्याय
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अदालत क्या करे? 1500 से अधिक मुकदमे अन्तिम बहस में

बाल श्रम उन्मूलन पर हुई परिचर्चा के दिन ही श्रम न्यायालय, कोटा की जज साहिबा से बात हुई थी।  वे बता रही थीं कि अदालत में साढ़े चार
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सरकारों की कुम्भकर्णी निद्रा तोड़ने के लिए शीघ् न्याय को राजनैतिक मुद्दा बनाना होगा

पिछले आलेख मुख्य न्यायाधीश ने कहा-अधीनस्थ न्यायालयों की संख्या में पाँच गुना वृद्धि आवश्यक में तिरुनेलवेल्ली में हुए एक कार्यक्रम में जो कुछ कहा गया था उस की
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मुख्य न्यायाधीश ने कहा-अधीनस्थ न्यायालयों की संख्या में पाँच गुना वृद्धि आवश्यक

अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश  और मध्यस्थता व संराधन परियोजना के प्रधान श्री एस.बी. सिन्हा ने पिछले शनिवार को  कहा कि देश की अदालतों में मुकदमों का अम्बार
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मोइली साहब! हमारी न्याय-व्यवस्था का ढाँचा चरमरा कर गिरने की कगार पर है

नए विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने कार्यभार संभालने के उपरांत बहुत ही आशाजनक बातें भारतीय न्याय-व्यवस्था के बारे में कही हैं। उन का कहना है कि  भारतीय न्याय-व्यवस्था
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भारत की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या और बढ़ी

भारत में न्यायार्थियों को शीघ्र न्याय दिलाने और अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम करने के लिए अदालतों की संख्या बढ़ाने के अतिरिक्त अन्य कोई उपाय शेष
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क्या आप अपने लिए एक काम करेंगे?

भारत के मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन ने बहुत बार कहा है कि देश में अदालतों की संख्या बहुत कम है इस कमी को तेजी से समाप्त किया
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वकील भी इंन्सान ही होते हैं

 वकील इन्सान नहीं होते. वकील अगर यह जानता है कि मुवक्किल गुनहगार है तो वह मुवक्किल को अपने गुनाह को समझने और मिलने वाली सजा को स्वीकार करने
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