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एक मात्र उत्तराधिकारी के नाम वसीयत की कोई आवश्यकता नहीं …

वसीयत कब करेंसमस्या-

बी. पी. गोयल ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-

मेरी सासू माँ का देहांत फरवरी २०१२ में हो गया है, मेरे ससुरजी मेरे पास ही रहते हैं। है मेरे पत्नी उन की एकलौती संतान है। मेरे ससुरजी अपने अचल संपत्ति को वसीयत करना चाहते हैं यह अचल सम्पति मीरे सासूमाँ के नाम पर है। मेरे सासुमाँ का देहांत हो गया है, उन्हें आगे क्या करना चाहिए कि वह अचल संपत्ति मेरे ससुरजी अपनी पुत्री के नाम वसीयत कर सकें?

समाधान-

जिस अचल संपत्ति को वसीयत करने की बात कही जा रही है वह आप की सासू माँ की संपत्ति थी। आप की सासू माँ के देहान्त के साथ ही उस अचल संपत्ति में उन के उत्तराधिकारियों का स्वामित्व स्थापित हो चुका है। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 के अनुसार आप की सासू माँ के दो ही उत्तराधिकारी थे, एक आप की पत्नी और दूसरे आप के ससुर जी। इस तरह अब उस संपत्ति के दो संयुक्त स्वामी हो चुके हैं। संपत्ति का आधा स्वामित्व आप की पत्नी का है और शेष आधा स्वामित्व आप के ससुर जी का है। आप के ससुर जी उन के जीवनकाल में उस संपत्ति के आधे के स्वामी बने रहेंगे।

प के ससुर जी के देहान्त के उपरान्त बिना किसी वसीयत के भी उक्त संपत्ति आप की पत्नी को उत्तराधिकार में प्राप्त होगी। इस तरह वसीयत कराने या न कराने से कोई अन्तर नहीं पड़ेगा। फिर भी आप तसल्ली के लिए चाहें तो ससुरजी उन के हिस्से की आधी संपत्ति की वसीयत कर के पंजीकृत करवा सकते हैं। इसी वसीयत में लिखा जा सकता है कि उक्त संपत्ति की स्वामी उन की पत्नी थी जिस के देहान्त के उपरान्त यह संपत्ति उन्हें और उन की पुत्री को उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है और वे उन के स्वामित्व की आधी संपत्ति भी अपनी पुत्री को वसीयत करते हैं।

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