कभी भी विपक्षी, उस के वकील या अदालत के नोटिस या समन को वापस न लौटाएँ।
|समस्या-
हैदराबाद, महाराष्ट्र से विशाल हजारे ने पूछा है-
मेरी पत्नी तलाक चाहती है। पर मैं नहीं दे सकता। क्यों कि उस की जिन्दगी बरबाद नहीं करना चाहता। उस ने एक नोटिस भेजा था पर वह वापस लौट गया।
समाधान-
यदि आप अपनी पत्नी को साथ रखना चाहते हैं तो उस में समस्या क्या है। आप की किसी बात या बातों से आप की पत्नी नाराज है। आप उस के नाराज होने के कारणों को दूर कीजिए। फिर वह क्यों आप से तलाक लेना चाहेगी। आप उसे मनाने का प्रयत्न कीजिए। यदि दिल से प्रयत्न करेंगे तो अवश्य कामयाब होंगे। आप को विचार करना चाहिए कि वे क्या बातें हैं जिन की वजह से वह आप के साथ नहीं रहना चाहती है। उन्हें दूर करें। यदि वह नासमझी कर रही है तो उसे समझाने का प्रयत्न करें। यदि खुद न समझा सकते हों तो किसी ऐसे व्यक्ति के माध्यम से समझाने का प्रयत्न करें जिस पर वह विश्वास करती हो या कर सकती हो। अपनी कमियों को भी दूर कीजिए। उसे विश्वास दिलाइये कि अब आप का व्यवहार ठीक रहेगा।
आप की पत्नी ने आप को नोटिस भिजवाया था। आप को उस नोटिस के लेने से पता लगता कि आप की पत्नी क्या चाहती है। हो सकता है वह नोटिस आप की पत्नी या उस के वकील का न हो कर अदालत का हो। यदि डाक वाले या नोटिस लाने वाले ने यह रिपोर्ट की हो कि आप ने नोटिस लेने से मना कर दिया तो। अदालत समझेगी कि आप उस के प्रार्थना पत्र का प्रतिवाद नहीं करना चाहते। यदि आप की पत्नी ने तलाक के लिए ही कोई आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया हो तो फिर न्यायालय आप के विरुद्ध एक तरफा कार्यवाही कर के केवल आप की पत्नी के बयानों और उस के द्वारा पेश किए गए गवाहों व सबूतों को देख कर उसे तलाक की डिक्री प्रदान कर देगी तो आप क्या करेंगे? कभी भी विपक्षी का, उस के वकील का और न्यायालय के नोटिस को वापस नहीं लौटाना चाहिए। उसे ले कर जानना चाहिए कि मामला क्या है और फिर अपना पक्ष रखना चाहिए।
आप को चाहिए कि आप अपनी पत्नी से संपर्क साधें और पता करें कि वह नोटिस किस बात का था। यदि वह न्यायालय का नोटिस था तो न्यायालय की तारीख पेशी का उसी से पता कर के या किसी अन्य तरीके से पता कर के उस न्यायालय में पेशी पर हाजिर हो कर कार्यवाही की प्रतिलिपियाँ प्राप्त करें और आवेदन में प्रतिवाद प्रस्तुत करें। विवाह विच्छेद से संबंधित हर कार्यवाही में अदालत दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयत्न अनिवार्य रूप से करती है। उस में भाग लें और कोशिश करें कि आप दोनों के बीच का विवाद समाप्त हो जाए। आप दोनों की गृहस्थी फिर से बस जाए।
श्री मान महोदय ,
१. या फिर डाइवोर्स डिग्री मिल जाने के बाद अलिमोंय का केस कर सकती है. या नही
२. और अगर करती है. हो दूसरे बीपछ का लॉयर अलिमोंय देने देगा. या नही
३. जब एक बार डिसिशन हो गया तू क्या अलिमोंय के लिए ऑथॉरिज़े है.
४. अगर अप्पेल्लेंट डाइवोर्स के डिग्री के लिए एप्लीकेशन दिया है.
श्री मान महोदय ,
१. तलाक की डिग्री मिल जाय गई या फिर डिग्री के साथ गुजारा भत्ता भी का भी आर्डर हो सकता है.
२. जज के द्वारा जब तक की दोनों पक्छ को नही सुना जायेगा तब तक कोई डिसिशन नही होगा
आपके बातों से मैं पूर्णतः सहमत हूँ. ………
जानकारी के अनुसार सहरसा (बिहार) की एक घटना है. एक महिला के पति व जेठ (भैसुर) में एक का नाम पुलेश्वर व एक का नाम फुलेश्वर था (सिर्फ “प” और “फ” का अंतर). उस महिला के पति ने उसे छोड़ दिया था. महिला ने गुजारा भत्ता (मेंटेनेन्स) के लिए अपने पति पर केस किया. पर टाइपिंग के गलती से केस के कागज़ पर पति के नाम के जगह पर जेठ (भैंसुर) का नाम लिखा गया (यानी “प” और “फ” का गलती हो गया). फिर बार-बार नोटिस उसके जेठ (भैंसुर) को ही गया. पर वे महाशय यह कहकर कि मैं शादी किया हूँ कि मैं जाऊँगा, कभी भी कोर्ट में तारीख पर उपस्थित नहीं हुए. अंत में उसपर वारंट हुआ और तब पुलिस उसे पकड़कर ले गयी. वह तीन माह जेल में रहा. ………………..
यदि वह कोर्ट के तारीख पर उपस्थित होकर बता देता कि शादी वह नहीं उसका भाई किया था तब उसे जेल जाने की नौबत नहीं आती. ………………. कभी भी कोर्ट के नोटिस को अनदेखा नहीं करना चाहिए. यदि लोग अपराध नहीं भी किये हैं और कोई केस कर दिया हो या अन्य कारण से ही कोर्ट से उनके नाम से नोटिस आता है तो उन्हें कोर्ट में उपस्थित होकर सही बात बताना चाहिए. ………..