मिथ्या मुकदमों से डरे बिना सचाई के साथ वाजिब कार्यवाही करें।
|अहमद ने इलाहाबाद उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी पत्नी केवल 15 दिन मेरे साथ रही और उस ने मेरे साथ कोई संबंध नहीं बनाने दिया। उस के बाद मायके चली गयी। मैं ने रिश्तेदारो को भेज कर मामले को सुलझाने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। क्या मैं मुस्लिम रीति से तलाक दूँ। वह दहेज का मुकदमा लगा कर मेरा वेतन बाँटने की धमकी दे रही है। मुझे क्या करना चाहिए। मैं बिना 498ए व धारा 125 के मुकदमों से बच कर कैसे अलग हो सकता हूँ?
समाधान-
हम अनेक बार कह चुके हैं कि 498ए भारतीय दंड संहिता, घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के डर से लोग उन्हें जो वाजिब कार्यवाही करना चाहिए वह भी नहीं करते हैं। नतीजा यह है कि मामला उलझता जाता है। कोई भी कानूनी कार्यवाही किसी के करने से होती है और किसी को कोई भी कार्यवाही करने से रोका नहीं जा सकता। वह आज होगी तो होगी भविष्य में होगी तो होगी। लोग इस कारण से वाजिब कार्यवाही करने से रुके रहते हैं। फिर वही तथ्य जब वे बचाव में प्रस्तुत करते हैं तो वे देरी के कारण उतने कामयाब नहीं होते।
हमारी राय में आप को इस्लामी रीति से तलाक की कार्यवाही करनी चाहिए। लेकिन यह अच्छी तरह समझ लें कि शरिया के हिसाब से तलाक कैसे होना चाहिए। भारत में एक साथ तीन बार तलाक कह देने से अब तलाक संभव नहीं है। शरिया कहता है कि पहले तलाक और तीसरे तलाक के बीच पर्याप्त समय होना चाहिए और दोनों पक्षों के चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से दोनों के बीच सुलह कराने का अवसर मिलना चाहिए।
इस विधि को अपनाने के लिए आप अपनी पत्नी को पत्नी द्वारा आप के साथ संबंध बनाने से इन्कार करने के कारण तलाक कह रहे हैं लेकिन सुलह चाहते हैं इसी नोटिस में आप अपनी ओर से प्रतिनिधि नियुक्त कर पत्नी से कहें कि वह अपनी ओर से प्रतिनिधि नियुक्त करे जो दोनों के मध्य सुलह कराने का प्रयत्न करें। आप यह काम उस काजी के माध्यम से भी कर सकते हैं जिस ने आप का निकाह पढ़ाया है।
यदि कोई सुलह हो जाती है तो ठीक है और नहीं होती है तो आप दूसरा और तीसरा तलाक कहते हुए अपनी पत्नी को तलाक दे दें। आप यह सब कर रहे हैं उस का सारा दस्तावेजी सबूत होना चाहिए तथा हर तलाक के वाजिब गवाह होने चाहिए।
इस बीच या तलाक के बाद यदि आप की पत्नी की ओर से 498ए भारतीय दंड संहिता, घरेलू हिंसा अधिनियम और धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता की कोई कार्यवाही होती है तो आप अपनी स्पष्टता से उन कार्यवाहियों में अपनी प्रतिरक्षा कर सकते हैं। आप को यह सब बिना किसी डर के करना चाहिए और इस बात का विश्वास करना चाहिए कि जब आप सच्चे हैं और आप के पास सब सबूत हैं तो आप का बाल भी बांका नहीं हो सकता।
प्लीज मेरी समसया का समादन जल्दी करिए मैं काफी परेशान हूँ मेरी उम्र १३ साल की है मेरे पापा मुस्लमान है और मेरी माँ ईसाई है दोनों का तलाक २००८ में हो गया था मेरी एक ९ साल की सिस्टर भी है मेरी माँ सरकारी नौकरी में है और पापा की कोई नौकरी नहीं है मेरी पापा पर काफी कर्ज है मेरी माँ पिछले चार साल से मुझको मेरी पापा के पास छोड़ कर गयी है मेरी पापा की दूसरी शादी हो चुकी है जिसको ५ साल हो गए है मेरी पापा की एक ४ साल की बेटी भी है और मेरी दूसरी माँ वकील है उनको मेरे लिए टाइम नहीं मिलता और मेरी दोनों माँ मुझे अपने साथ नहीं रकना chhati है मै क्या करू मेरे लिए खाना बनाने वाला कोई नहीं है अभी मुझे मेरी दादी खाना बना कर देती है उनकी भी तबियत ठीक नहीं रहती है वो ६६ साल की है मेरे क्या आदिकार है क्या मेरी अपनी माँ के पास जा सकता हू क्युकी मेरे फ्यूचर वहीं है मे क्या करू क्या मेरी सौतेली माँ की शिकायत कर सकता हू प्लीज मुझे batiye
SIR फैक्ट्री ME ट्रैनिंग KA कोई EK लॉ है ya अलग-alag factory me alag -अलग es training ka time पीरियड्स ek जैसा ya alag -alag hota hai aajkal factory workers se २से ३ years work करवाते hai our ट्रेनिंग का हवाला देकर निकाल देते HAI. KYA YE SAHI HAI SIR