घरेलू हिंसा के मुकदमा हो जाने पर पति क्या करे?
|समस्या-
मेरी पत्नी ने मेरे ऊपर घरेलू हिंसा अधिनियम का केस करीब 18 महिना पहले किया था। मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं थी, क्योंकि मेरी पत्नी ने मुझे ही करीब 4 साल पहले मेरे ही घर से निकाल दिया था और इस केस के सम्मन उसने मेरे उसी घर के पते पर भिजवाए थे, जहाँ आज केवल वो रह रही है। उस पते पर मैं था ही नहीं इसलिए उस पते पर मेरे द्वारा सम्मन लिया ही नहीं जा सकता था। इस केस में मेरे अलावा मेरी माँ ,बहिन और जीजा जी को भी शामिल किया था। उन तीनों ने मुझे पहले ही बेदखल किया हुआ है इसलिए वो लोग अब केस में जाते नहीं हैं। मेरी परेशानी ये है कि इस केस में उसके वकील ने मेरे से 5000, रूपए महिना से आज तक का अंतरिम खर्चा और कुछ नगद पैसे मांगे हैं जिसका टोटल 1 ,70 ,000 है, जबकि मैं कोई नोकरी भी नहीं कर रहा हूँ और मेरे पास तो खुद खाने को भी पैसे नहीं हैं। क्योकि मैं जब घर से निकला था तो अपना सब कुछ रुपया पैसा आदि घर पर ही छोड़ आया था। जिस में से मेरी पत्नी ने 1,00000 , रूपए 2008 में ही अपने नाम बैंक में करवा लिए थे जिसकी मेरे पास रसीद भी है और मेरी पत्नी पढ़ी लिखी होने के कारण एक प्राइवेट फार्मेसी में नोकरी भी कर रही है। उसकी सेलरी करीब 10 ,000 रूपए महिना है जो उसके बैंक खाते में जमा होते हैं। लेकिन उसने अपनी नोकरी का जिक्र कोर्ट में नहीं किया है और न ही उन 1 लाख रुपयों का। अब आप मुझे बतायें की मैं इस समस्या से कैसे निकलूँ। क्यों कि मेरे पास रूपए बिलकुल नहीं है और मुझे अगर जेल जाना पड़ा तो कितने टाइम के लिए जाना होगा। कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें।
-कमल हिन्दुस्तानी, हिसार, हरियाणा
समाधान-
आप का सवाल अधूरा है। आप ने यह नहीं बताया कि आप को उक्त मुकदमे का समन मिला है या नहीं? यदि मिल गया है तो तय तिथि पर न्यायालय में उपस्थित होइए, वकील कीजिए और उसे अपने मुकदमे की जिम्मेदारी दीजिए। वह आप की ओर से उत्तर प्रस्तुत करेगा। आप ने जो तथ्य तथा परिस्थितियाँ इस प्रश्न में बताई हैं उन के आधार पर प्रतिरक्षा करना संभव है। इन तथ्यों को साबित करने वाले दस्तावेज प्रस्तुत कीजिए और अपने कथनों का शपथ पत्र प्रस्तुत कीजिए। न्यायालय को निर्णय लेने दीजिए कि आपकी पत्नी की मांग उचित है या नहीं? यदि किसी कारण से न्यायालय का निर्णय आप को उचित न लगे तो आप उस की अपील कर सकते हैं।
यदि आप को समन नहीं मिला है और मुकदमे की जानकारी हो गई है तो भी आप न्यायालय में उपस्थित हो कर आप की पत्नी के आवेदन में अपनी ओर से प्रतिरक्षा कर सकते हैं। लेकिन यदि आप ने न्यायालय से बचने का मन बना रखा हो तो यह बिलकुल गलत होगा। क्यों कि एक आवेदन का निपटारा तो केवल दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद ही हो सकता है। इसलिए न्यायालय तो आप को जाना होगा और अपने विरुद्ध मुकदमे में अपना पक्ष रखना होगा।
न्यायालय दोनों पक्षों की सुनवाई के उपरान्त ही उचित आदेश पारित करेगा। तब उस आदेश की पालना आप नहीं करेंगे तो आप के विरुद्ध मुकदमा चलाया जाएगा जिस में आप को 20000 रुपए तक के जुर्माने और एक वर्ष तक के कारावास के दंड से दंडित किया जा सकता है।
यदि आप की समस्या यह है कि आप के पास पैसा नहीं है और आप वकील नहीं कर सकते तो आप विधिक सहायता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन कर सकते हैं और कह सकते हैं कि आप निर्धन व्यक्ति हैं जिस की आय नहीं है अथवा अत्यल्प है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आप को वकील उपलब्ध करवा देगा।
Sir मेरी सदी २०११ में hui है मेरा १सों है ४ ईयर का मेरी वाइफ हमेशा मायके Jana छाती है मई प्रिवेट जॉब है और उसके माँ और बाप भाई मुझे bhala बुरा व् कहते जॉब मई उनके ख़ुशी में मई अपना घर नही रहता हु रेंट व् पेय मरता उ मेरी इतनी इनकम नही है की एव्री monthly मैं unko मायके भेज और वो बोलती है की मैं आप का माँ बाप को dekh लुंगी आप अपने माँ बाप पे paisa का घमंड है please मुझे bakaye मैं क्या कर वो मुझे dhamki व् देती है आई तुम्हे lockar में डाला फुनगी और केस व् karungi plasee मुझे बताये मेरी age ३० ईयर क्या वो mere माँ बाप और बही मच actions में सजती है क्या और unse बचने का क्या upaye है अगर वो ेरे माँ orbbap पे मच करती है to
सर मेरे उपर ४५२ का केस दर्ज हे अोर
मेरा चयन सरकारी फारमासि्स्ट मे हुआ हे
अोर जल्दी पोस्टिंग आने वाली हे
क्या मुझे इससे रुकावट आएगी अोर इसमे निकलने के लिए मुझे क्या करना होगा
@भाई कमल हिन्दुस्तानी जी, आपको वकील साहब ने आपको बहुत अच्छी सलाह दी है. लेकिन आप के पास पैसा नहीं होने की स्थिति में आप “विधिक सहायता के लिए “जिला विधिक सेवा प्राधिकरण” से वकील लेने से पहले आप मेरा उपरोक्त लिंक जरुर देखें- http://rksirfiraa.blogspot.in/2011/06/blog-post.html “मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर एक प्रश्नचिन्ह है” इसको पढकर आपको इनके वकीलों की कार्यशैली का पता चल जायेगा. यह गरीब से रिश्वत मंगाते है और उसे मानसिक रूप से परेशान भी करते हैं और इनकी शिकायत करने पर उच्च अधिकारी आपको ही परेशान करेंगे. एक आध अपवाद मामले में इनको सिर्फ “पैनल” से निकाल दिया जाता है. इससे ज्यादा कोई कार्यवाही नहीं होती है और लेकिन तब तक आपका केस इतना खराब कर चुके होते है कि कोई दूसरा वकील फिर उस केस को लेने के लिए जल्दी से तैयार नहीं होता है या इतनी फ़ीस मांगता है. जो एक गरीब के बस में नहीं होती है. अगर आप कहीं से कर्ज लेकर भी अपना वकील कर ले, तब ज्यादा उचित होगा. “जिला विधिक सेवा प्राधिकरण” से वकील लेने में मानसिक यंत्रणा, पैसों और समय की बर्बादी के सिवाय कुछ हासिल नहीं होता है. यह मेरा अनुभव है बाकी आपकी जैसी मर्जी हो.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.क्या दिल्ली हाईकोर्ट के जज पूरी तरह से ईमानदार है ?
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी, दरअसल सर जी मुझे आजतक सम्मान नहीं मिला ,लेकिन मैं 498a के केस में गया था उशी कोर्ट में वो केस भी है लेकिन पिछली तारीख पर उसके वकील ने दोनों फाइल एक साथ लगवा दी और मुझे हाजरी लगाने को कहा जिसपर में ज्वाइन हो गया उन्होंने पहले ही खर्चा तय कर रखा था यहाँ के वकील कहते है ये तो अन्तिरिम खर्चा है ये तो मुकदमा चालू होते ही देना पड़ता है नहीं तो जेल जाना पड़ेगा |ab आप ही बताये में क्या करू…धन्यबाद
kamal hindustani का पिछला आलेख है:–.सजने-संवरने में जिंदगी के तीन साल गंवा दिए !
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी, darasal सर जी मुझे आजतक सम्मान नहीं मिला ,लेकिन मैं 498a के केस में गया था उशी कोर्ट में वो केस भी है लेकिन पिछली तारीख पर उसके वकील ने दोनों फाइल एक साथ लगवा दी और मुझे हाजरी लगाने को कहा जिसपर में ज्वाइन हो गया उन्होंने पहले ही खर्चा तय कर रखा था यहाँ के वकील कहते है ये तो अन्तिरिम खर्चा है ये तो मुकदमा चालू होते ही देना पड़ता है नहीं तो जेल जाना पड़ेगा |ab आप ही बताये में क्या करू…धन्यबाद
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