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टेलीकॉम कंपनी के विरुद्ध चीटिंग और कपट की शिकायत कहाँ करें?

TELECOM COMPANYसमस्या-
मुम्बई, महाराष्ट्र से भूपेन्द्र सिंह ने पूछा है –

मैं रिलायंस कम्पनी का 3जी इंटरनेट का पोस्टपेड उपभोक्ता हूँ। पहले मैं 10GB का प्लान इस्तेमाल करता था और जुलाई महीने में मैंने अपना प्लान बदल कर 1GB का करने का रिक्वेस्ट दिया था जो कि मेरे अगस्त बिलिंग साइकिल से प्रभावी होना था।  इस प्लान मासिक किराया 250 रुपये है। लेकिन इसे परन्तु रिलायंस कंपनी ने मेरा रिक्वेस्ट प्रोसेस नहीं किया जिसकी वजह से मेरा 10GB वाला ही प्लान एक्टिव रह गया जिसका मासिक रेंट 950 रूपया है। अब चूँकि मैंने अपना प्लान बदला था और मैंने बहुत ही इन्टरनेट का लिमिटेड इस्तेमाल किया जो कि तकरीबन 1.5 GB था, परन्तु कंपनी के द्वारा मेरा प्लान नहीं बदले जाने के कारण मुझे 10 GB के आधार पर ही बिल भेज दिया गया। जब मैं ने कंपनी से अपने बिल का विस्तृत विवरण माँगा तो कंपनी ने मुझे ईमेल के जरिये मेरा बिल मुझे भेज जिस में एक ही दिन में एक ही डाटा यूजेज को कई बार दिखाया गया है। 1.5 GB यूजेज को 5 GB दिखाया गया है। जब कि मैंने अपने इस्तेमाल को चेक किया तो यह मात्र 1.5 GB ही है। जब मैंने इसकी शिकायत कंपनी को ईमेल के द्वारा और कस्टमर केयर पर फ़ोन करके दी तो कंपनी ने अपनी गलती मानने के बजाय उलटा मुझे ही ज्यादा इस्तेमाल करने का दोषी ठहराया और बिल प्लान को सही ठहराया। अब मैं अपने आप को ठगा हुआ और अपमानित महसूस कर रहा हूँ। मैं रिलायंस कंपनी के खिलाफ फ्रॉड और चीटिंग का केस करना चाहता हूँ। कृपया मेरा मार्गदर्शन करें कि मुझे क्या करना चाहिए और कैसे और कहाँ मैं कंपनी के खिलाफ क्या करवाई कर सकता हूँ?

समाधान-

स मामले में रिलायंस ने आप के साथ पहले तो यह उपभोक्ता सेवा में त्रुटि की कि आप के अनुरोध पर भी उन्हों ने समय पर आप के प्लान को संशोधित नहीं किया। इस कारण से उपभोक्ता की सेवा में कमी का उपभोक्ता विवाद बनता है जिस की आप उपभोक्ता समस्या निवारण फोरम के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं।

स के बाद आप का कहना है कि उन्हों ने आप के यूसेज को फर्जी तरीके से बढ़ा कर दिखाया। इस तरह उन्हों ने आप को फर्जी बिल दिया और चीटिंग की। यह दोनों कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 468, 420 एवं 424 के अन्तर्गत अपराध हैं। ये तीनों अपराध संज्ञेय व अजमानतीय हैं और इन अपराधों में पुलिस कार्यवाही कर सकती है अपराधी को गिरफ्तार भी कर सकती है। यदि आप अपने दस्तावेजों तथा इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड से यह साबित कर सकते हों कि कंपनी ने जो बिल और यूसेज दिखाया है वह फर्जी है तो आप अपने क्षेत्र के पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं। यदि पुलिस जाँच के बाद पाती है कि अपराध घटित हुआ है तो वह प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर के अन्वेषण आरंभ कर सकती है और अपराध प्रमाणित पाए जाने पर अपराधियों को गिरफ्तार कर के उन के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर सकती है।

दि पुलिस आप की शिकायत को लेने से इन्कार करे या उस पर एफआईआर दर्ज करने से इन्कार करे तो यह शिकायत आप उस पुलिस थाना पर अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं जहाँ आप अपने बयान और दस्तावेजी साक्ष्य से यह सिद्ध कर सकते हैं कि अपराध घटित हुआ है तो न्यायालय उस पर प्रसंज्ञान ले सकता है अथवा मामले को अन्वेषण के लिए संबंधित पुलिस थाना को प्रेषित कर सकता है।

ज कल कुछ ब्रांडों के विरुद्ध कुछ संस्थाएँ भी कार्यवाही करने का काम करती हैं इन में से एक कम्प्लेण्ट बॉक्स डॉट इन है। आप चाहें तो यहाँ भी ऑन लाइन शिकायत डाल सकते हैं।

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