कुछ समय पहले कानपुर के वसीक अहमद ने पूछा था कि़ मैं विदेश जाना चाहता था, इस के लिए मैं ने एक एजेंट से संपर्क किया। उस ने मुझे वीजा की फोटो प्रति दी और अपने खाते में एक लाख रुपया हस्तान्तरित करवा लिया। उस के बाद उस ने मुझे न तो विदेश भेजा और न ही मेरा पैसा वापस लौटाया। और ना ही पासपोर्ट दिया। एजेंट मुम्बई का है। मैं ने कानपुर न्यायालय में उस के विरुद्ध मुकदमा किया लेकिन अदालत ने बोला कि केस मुम्बई में ही चलेगा। कृपया बताएँ कि मेरा केस कानपुर में कैसे हो सकता है?
मैं ने वसीक अहमद से उन के मामले के कुछ और विवरण भेजने को कहा लेकिन उन्होने विवरण नहीं भिजवाया। वसीक अहमद ने विदेश जाने के लिए किसी ऐजेंट की मदद ली। हो सकता है वे किसी नियोजन के लिए विदेश जाना चाहते हों और एजेंट ने उन्हें काम दिलाने के साथ पासपोर्ट वीजा की व्यवस्था करने को भी कहा हो। फिर वीजा की फोटो प्रति भेज कर उन से एक लाख रुपए ले कर चलता बना हो। ऐसी धोखाधड़ी आज कल आम हो चली है। लोग विदेश जा कर पैसा कमा कर लाना चाहते हैं ताकि उन की आर्थिक स्थिति जल्दी से सुधर सके। लेकिन बहुत से लोग लोगों की इस इच्छा का लाभ उठा कर धोखाधड़ी करने लगे हैं जिस के कारण भोले भाले लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं।
वीजा और पासपोर्ट केवल व्यक्तिगत रूप से ही बनवाया जा सकता है और इन्हें बनवाने के लिए सारी जानकारी संबंधित वेबसाइटस् पर उपलब्ध रहती है। यदि कोई एजेंट यह दावा करता है कि वह पासपोर्ट और वीजा बनवा कर दे देगा तो वह झूठ बोल रहा है कोई भी एजेंट पासपोर्ट या वीजा प्राप्त करने में केवल आप का मार्गदर्शन कर सकता है इस से अधिक मदद नहीं कर सकता। इस लिए यदि कोई इस तरह का दावा करता है कि उस ने आप का वीजा बनवा दिया है तो वह आप को निश्चित रूप से धोखा दे रहा है। आप को उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए। मसलन यदि वसीक अहमद को पासपोर्ट बनवाना था तो उन्हें
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय लखनऊ से संपर्क करना चाहिए था। वे चाहते तो इस कार्यालय की वेब साइट की तत्काल योजना के अंतर्गत सीधे ऑनलाइन फार्म भर कर पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकते थे और पासपोर्ट कार्यालय बुलाए जाने पर आवश्यक दस्तावेज वहाँ दे कर पासपोर्ट बनवा सकते थे। इसी तरह वीजा बनवाने के लिए जिस देश का वीजा बनवाना हो उस देश के दूतावास अथवा वीजा कार्यालय पर उपस्थित हो कर वीजा के लिए आवेदन करना चाहिए और आवश्यक पूर्तियाँ कर आवश्यक दस्तावेज पूरा कर के वीजा प्राप्त कर सकते थे।
वे यदि किसी अन्य देश में नौकरी के लिए जाना चाहते थे तो उन्हें नौकरी के लिए आवेदन करना चाहिए था और नियोजन प्राप्त हो जाने पर उस देश का वीजा बनवाना चाहिए था। यदि उन्हें किसी नियोजक द्वारा नौकरी के लिए नियोजित कर लिया जाता तो वीजा बनवाने में उन का नियोजक स्वयं सहयोग कर सकता था या खुद भी उन का वीजा बनवा कर उन्हें भिजवा सकता था।
अब रहा प्रश्न यह कि क्या वसीक अहमद उस धोखा दे कर एक लाख रुपए की ठगी करने वाले के विरुद्ध मुकदमा कानपुर में कर सकते थे या नहीं? और नहीं कर सकते थे तो क्यों? इस प्रश्न का उत्तर अगले अंक में …