पुलिस द्वारा जब्त मोटरसायकिल कैसे छुड़वाएँ?
समस्या-
भोपाल, मध्य प्रदेश से दीपक कुलश्रेष्ठ ने पूछा है –
मेरे पास एक मोटरसाईकिल है जो कि मैं ने मेरे मित्र से ली थी क्योंकि उसके पास ईएमआई भरने के रुपये नहीं थे। फिर मैं ने उससे वह मोटरसाईकिल खरीद ली और उसी के नाम के बैंक खाते में ईएमआई की रकम जमा करवाता रहा और सारी किश्तें चुका दीं परन्तु उसका पंजीकरण अपने नाम नहीं करवा सका। इसलिए मुझे उसका नंबर नहीं मिला तो मैं ने अपनी दूसरी मोटरसाईकिल का नंबर उस पर लगा लिया। अब पुलिस ने यह मोटरसाईकिल जप्त कर ली है तो मैं उसे अब कैसे छुडवाऊँ? कोई उपाय बताएँ।
समाधान-
आप ने बहुत मूर्खताएँ की हैं। जब आप के दोस्त ने मोटरसाइकिल खरीदी होगी तो उस का पंजीकरण उस के नाम रहा होगा। आप को उसी पंजीकरण से उस वाहन को चलाना चाहिए था। केवल उस वाहन के संबंध में पावर ऑफ अटार्नी अपने नाम ले लेनी चाहिए थी। ईएमआई पूरी होते ही उस का पंजीकरण दोस्त से अपने नाम परिवर्तन करवा लेना चाहिए था।
कोई वाहन चोरी चला जाए तो पंजीकरण नंबर की प्लेट तो कोई भी वाहन से हटा सकता है और दूसरी लगा कर उसे चला सकता है। पंजीकरण नंबर किसी वाहन की पहचान नहीं होता है वह केवल स्वामित्व का प्रमाण होता है तथा इस नंबर से यह प्रदर्शित होता है कि वह किस प्रान्त के किस पंजीकरण कार्यालय में पंजीकृत है। एक तरह से आपने नंबर प्लेट बदल कर गैर कानूनी तरीके से वाहन का स्वामित्व बदला है। आप के विरुद्ध किसी व्यक्ति की कोई शिकायत नहीं है। केवल वाहन का स्वामित्व बदला हुआ पाया जाने या मोटर यान अधिनियम के प्रावधानों की पालना न करने के कारण आप का वाहन जब्त हुआ होगा।
आप को पुलिस से पता करना चाहिए कि उक्त वाहन को किस कानून के किन उपबंधों के अन्तर्गत जब्त किया गया है। उसी से निर्धारित होगा कि वह आप को कैसे मिल सकता है।
वाहन की पहचान उस पर लिखे इंजन नम्बर और चेसिस नंबर होते हैं। यह प्रत्येक वाहन के पंजीकरण में भी लिखे होते हैं। आप की मोटरसाइकिल के इंजन नम्बर और चेसिस नं. आप के मित्र के नाम से पंजीकृत हैं। आप को अपने मित्र से उस का पंजीकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए तथा उस का एक विक्रय पत्र तथा पावर ऑफ अटार्नी अपने नाम प्राप्त करनी चाहिए। फिर पावर ऑफ अटार्नी के आधार पर आप को न्यायालय में उक्त वाहन को अपने में कब्जे में देने के लिए आवेदन करना चाहिए। रजिस्ट्रेशन और बीमा प्रमाण पत्र न्यायालय को दिखा कर तथा उन की प्रतिलिपि वहाँ प्रस्तुत कर के वाहन को अपने कब्जे में लेने का न्यायालय से आदेश प्राप्त कर उस के अनुसार वाहन को आप अपने कब्जे में ले सकते हैं। वाहन आप के कब्जे में आने के बाद तुरन्त उस का पंजीकरण अपने नाम हस्तान्तरित करवाएँ। इस सारे मामले में आप को किसी स्थानीय वकील और वाहन पंजीकरण अधिकारी के कार्यालय में वाहन रजिस्टर्ड कराने और स्थानान्तरण करवाने वाले किसी अच्छे एजेंट की मदद लेनी चाहिए।
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भाई दीपक जी, आपने वास्तव में वाहन की नम्बर प्लेट को बदलकर बेवकूफी की है। क्योंकि आपका चालान आपकी बाइक की नम्बर प्लेट के अनुसार ही काटा गया होगा। चालान पर कारणों का उल्लेख भी होगा अथवा ये आप थाने से पता कर सकतेहैं। अमूमन ड्राइविंग लाइसेंस का न होना या गाड़ी का रजिस्ट्रेशन पेपर न होने पर ही ऐसा होता है। इंश्योरैंस का होना भी जरूरी है। गाड़ी के साथ सभी वैध दस्तावेज होने जरूरी हैं। फिलहाल गाड़ी आपके नाम ट्रांसफर नहीं हो सकती हैं क्योंकि गाड़ी निश्चित रूप से फाइनेन्स कराई गई है। ऐसे में खरीददार के अलावा एक दूसरा पक्ष भी हो जाता है जिसका जिक्र आर.सी. में रहता है। बगैर उसके एनओसी दिए आपके नाम आरटीओ से गाड़ी ट्रांसफर नहीं हो सकती है। ऐसी स्थिति में नम्बर प्लेट बदलने का दोष आपके दोस्त पर आएगा क्योंकि गाड़ी फिलहाल उसी के नाम है और उसने गाड़ी के बावत कोई एफआईआर उस तिथि तक नहीं कराई है। अब रही बात समस्या के समाधान की। तो दीपक जी चालान कटने या गाड़ी जब्त करने के बाद उसके मालिक के पास पन्द्रह दिनों का वक्त होता है कि वो थाने पर सभी आवश्यक दस्तावेज दिखाकर अपने गाड़ी को छुड़वा लें रिलीज करा लें। आप थाने पर जाकर भार साधक अधिकारी यानि एसओ से अनुरोध करें और अपने किए की छमा मांग लें ताकि मामला कोट्र्र-कचहरी तक न पहुँचे अन्यथा न केवल आपको बल्कि आपके मित्र को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
– रवि श्रीवास्तव, इलाहाबाद।
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