फर्जी मुकदमे की धमकी देना अपराध है, अभियोजन चलाएँ.
आदित्य ने इन्दौर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरा एक दोस्त ने घर में एक किरायेदार रखा है। जब वह किराएदार से मकान खाली करने का कहता है तो किराएदार कहता है कि मैं हरिजन समाज का हूँ और तुम पर केस कर दूंगा और मान हानि का दावा कर दूँगा, झूठा केस लगा दूँगा। मेरा दोस्त बहुत परेशान है कि अब वह मकान कैसे खाली करवाए?
समाधान-
आप के मित्र किराएदार से मकान खाली कराना चाहते हैं तो उन के पास मकान खाली कराने का कोई वैध कारण होना चाहिए। यदि समस्या इन्दौर की है तो वह मध्यप्रदेश किराया नियंत्रण कानून में जो वैध कारण दर्शाए गए हैं उन्हीं के आधार पर मकान खाली करवा सकते हैं। यदि किराएदार मकान खाली करने को स्वेच्छा से तैयार नहीं है तो उस का एक ही उपाय है कि आप के मित्र मकान खाली कराने के लिए न्यायालय में दावा करें। यदि न्यायालय ने पाया कि आप के मित्र के पास मकान खाली कराने का कोई वैध आधार है तो न्यायालय मकान खाली करने की डिक्री पारित कर देगा। तब उस डिक्री का निष्पादन करवा कर ही मकान खाली कराया जा सकता है। आप के मित्र को चाहिए कि वे स्थानीय वकील से सलाह करें कि किन आधारों पर मकान खाली कराया जा सकता है यदि उन में से कोई आधार आप के मित्र के पास हुआ तो मकान खाली करने के लिए वाद प्रस्तुत किया जा सकता है।
अगली बात आप के मित्र को किराएदार द्वारा दी जाने वाली मिथ्या और फर्जी मुकदमों की है तो किराएदार अवश्य ऐसा कर सकता है। लेकिन ऐसी धमकी देना स्वयं में अपराध है जो भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है। आप के मित्र को चाहिए कि वे किराएदार की ऐसी धमकी को रिकार्ड कर लें और कम से कम दो-तीन लोगों के सामने किराएदार से मकान खाली करने की बात करें। इस से यदि किराएदार उस बात को उन के सामने दोहराएगा तो उन्हें इस मामले में साक्षी बनाया जा सकता है। जब इस बात के पक्के सबूत और गवाह हों कि किराएदार फर्जी और मिथ्या मुकदमों की धमकी दे रहा है तो न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर किराएदार के विरुद्ध फौजदारी मुकदमा दर्ज करवाएँ। इस मुकदमे के दर्ज हो जाने के बाद मकान को खाली करने के लिए कार्यवाही आरंभ की जा सकती है।
झूठा मुकदमा वास्तव में एक गंभीर समस्या है। मई के माह में मेरी पुत्री मेरी पांच वर्षीया नातिन के साथ बाजार से आ रही थी। रास्ते में पुत्री की सास और देवर ने रोक लिया और मारपीट करने लगे। भीड़ बढ़ जाने के बाद मेरी पुत्री के देवर और सास ने मेरी पुत्री के साथ बदतमीजी की और कपड़े तक फाड़ने का प्रयास किया। 100 नम्बर पर फोन करने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की और अन्य धाराओं के साथ 354 की धारा भी लग गई। जब मेरी पुत्री की सास और देवर को इस धारा की गंभीरता का पता चला तब उन्होंने पुलिस के स्टाफ को पैसे से प्रभावित करने का प्रयास किया और उसमें आंशिक रूप से सफल भी रहे। जब मेरी पुत्री ने बार-बार अपनी एफआईआर के बारे में पूछना शुरू किया तब एक दिन मजबूरन पुलिस को गिरफ्तारी के लिए टीम भेजनी पड़ी। क्योकि पुलिस पहले से ही प्रभावित थी सो गिरफ्तारी नहीं हो सकी और सोमवार के दिन इन लोगों ने न्यायालय में अपनी जमानत करवा ली। साथ ही साथ सास और देवर ने न्यायालय में एक अर्जी दी जिसमें उन्होंने न्यायालय को लिखा कि पुलिस उनकी एक एफआईआर दर्ज करने जिसमें मेरी पुत्री के साथ-साथ मुझे भी आरोपी बना दिया गया है। आरोप लगाया गया कि मैंने मेरी पुत्री की सास को डण्डे से मारने का प्रयास किया तथा साथ ही उसके सलवार-सूट को अनफोल्ड करने का प्रयास किया। जबकि वास्तविकता तो यह है कि मैं उस समय़ वहां उपस्थित ही नहीं था। मेरे पास इस बात के सारे सबूत हैं कि ये लोग झूठ बोल रहे हैं। जब भी न्यायालय में यह वाद प्रस्तुत होगा मैं इसे साबित कर सकता हूं। अब प्रश्न यह है कि पुलिस यदि इन लोगों की एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई तो क्या मैं इन लोगों पर झूठा मुकदमा दर्ज कराने का और तथाकथित झूठे गवाहों पर मुकदमा कर सकता हूं कि नहीं।
एक बार झूठा मुकदमा दर्ज हो जाए और गवाहों को बयान न्यायालय में हों और दोनों झूठे सिद्ध हो जाएँ तो आप रिपोर्ट कराने वाले और झूठे गवाहों के विरुद्ध न केवल अपराधिक मुकदमा कर सकते हैं अपितु मानहानि के लिए क्षतिपूर्ति का और दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का दावा भी कर सकते हैं।
तीसरा खंबा का पिछला आलेख है:–.बिना लिखित आदेश या नोटिस के बिना सेवा से पृथक किया है तो श्रम विभाग को शिकायत प्रस्तुत करें
गुड मॉनिंग श्री मान महोदय ,
इस केस को झूठा साबित के बाद, जो में मेरा समय बर्वाद और पैसा खर्च होआ है. उस के लिए में किरायेदार के खिलाप केस कर सकता हो. जो मेरा पैसा खर्च होआ है. और समय
इस के लिए क्या करना होगा मुकजे कृपा करके प्रावधान क्या होआ.