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बँटवारा संयुक्त संपत्ति का ही संभव है।

Willसमस्या-
आनन्द ने भोपाल, मध्य प्रदेश से पूछा है-

मेरी माँ के नाम एक मकान रजिस्टर्ड है, जिसका पारिवारिक समझौते के तहत कुछ साल पहले बँटवारानामा लिखा गया था तथा उसे नोटेरी से प्रमाणित करा लिया गया था लेकिन उसे रजिस्टर्ड नहीं कराया गया था।  अब उनकी मृत्यु के बाद एक वसीयत सामने आई है जो कि रजिस्टर्ड है। इस वसीयत के अनुसार उन्होंने अपनी सम्पत्ति अपने बच्चों के नाम कर दी है  तथा बच्चों की म्रत्यु के बाद उनके बच्चों को हक़दार बताया है तथा बहुओं को कुछ भी देने से मना किया है तथा यह भी कहा है कि पूर्व में किये सभी समझौते ख़त्म किये जाते हैं तो कृपया यह बताने कि कृपा करें कि क्या बहुएँ अपने हक़ के लिए क़ानूनी तरीका अपना सकती हैं? क्या पूर्व में किये गए समझौते वसीयत के बाद क़ानूनी रूप से समाप्त हो जाएंगे? और क्या वसीयत के मुताबिक सम्पत्ति हस्तान्तरण का क्या तरीका है या पुनः उस की रजिस्ट्री करानी होगी ताकि उसका उपयोग सभी वारिस बेचने, किराये पर देने बाबत कर सकें|

समाधान-

किसी भी बँटवारे का पंजीकृत होना आवश्यक है। यदि बँटवारा पंजीकृत नहीं है तो उस बँटवारे का कानून के समक्ष कोई मूल्य नहीं है। दूसरी बात है कि बँटवारा सदैव संयुक्त संपत्ति का होता है किसी की व्यक्तिगत संपत्ति का नहीं। यदि संपत्ति आप की माँ के नाम थी तो उस का बँटवारा नहीं हो सकता था। यदि वह संपत्ति जीते जी अपनी संतानों, पुत्रवधुओं और पौत्रों के नाम की गई होती तो वह एक तरह का संपत्ति हस्तान्तरण होता जो पंजीकृत विलेख के बिना संभव नहीं है। इस प्रकार नोटेरी से प्रमाणित बँटवारे का कोई महत्व नहीं है।

किसी भी सास की संपत्ति में कानून के अनुसार किसी भी पुत्रवधु को कोई अधिकार नहीं है। इस कारण किसी भी अधिकार के अंतर्गत कोई पुत्रवधु अपनी सास की संपत्ति में दावा करने में अक्षम है सिवाय उस स्थिति में जब कि पुत्रवधु विधवा हो और उस ने सास की मृत्यु के दिन तक पुनर्विवाह नहीं किया हो। तब वह अपने मृत पति के हिस्से की उसी प्रकार अधिकारी होगी जैसे कि उस के पति की मृत्यु पर उस की संपत्ति की अधिकारी होती।

सीयत करने वाले व्यक्ति की वसीयत उस की मृत्यु के तुरन्त बाद प्रभावी हो जाती है। उस वसीयत के अनुसार उसी समय उस के वसीयती उसे वसीयत की गई संपत्ति के स्वामी हो जाते हैं। आप के मामले में वसीयत पंजीकृत है तथा जिस जिस व्यक्ति को वसीयत में संपत्ति प्राप्त हुई है वे सभी उप पंजीयक कार्यालय से वसीयत की प्रमाणित प्रति प्राप्त कर सकते हैं और उस के आधार पर अपने अधिकार का प्रकटीकरण व उपयोग कर सकते हैं।