बेटी के साथ न्याय हो इस के लिए तलाक का विचार मन से निकाल देना चाहिए
|समस्या-
दीपक ने राजगढ़ मध्यप्रदेश से पूछा है-
मेरे विवाह को 5 साल हो चुके हैं मेरे एक 3 साल कि बेटी है। परन्तु मेरे ग्रामीण पृष्ठभूमि का होने से मेरी सगाई जब मैं 5 साल का था तब ही तय कर दी गयी थी। मेरी शादी घर वालों ने मेरी मर्जी के खिलाफ 20 साल कि उम्र में कर दी थी। मेरे घर वालों और मेरी पत्नी के घर वालों ने मुझ पर मानसिक और भावनात्मक दबाव बना कर हमारी शादी कर दी थी। परन्तु मेरी पत्नी बिलकुल अनपढ़ है इस वजह से हम दोनों के बीच कभी नहीं बन पाई। अब मेरी पत्नी मेरे घर वालों से उसकी लड़ाई कि वजह से उस के मायके में रह रही है। पर अब मैं उससे तलाक चाहता हूँ। मैं उसे अपने घर नहीं लाना चाहता हूँ। इसके लिए मैं गुजारा भत्ता भी देने को तैयार हूँ। पर मैं उसके साथ पूरा जीवन नहीं बिता सकता ये मेरा आखिरी फैसला है, कृपया उचित सलाह दें।
समाधान-
जब आप का विवाह हुआ तब आप अठारह वर्ष से अधिक की आयु के हो चुके थे और निर्णय ले सकते थे। उस समय आप के दबाव में आने की बात कुछ जमती नहीं है। कहीं न कहीं सहमति तो आप के अंदर भी थी वर्ना आप अपने घरवालों से मना कर सकते थे। अब आप पांच साल पत्नी के साथ रह चुके हो। उस के साथ यौन संबध भी बनाए हैं एक बेटी भी है। फिर आप ने कहा है कि वह आप के परिजनों से झगड़े के कारण अपने मायके में रह रही है, अर्थात आप के साथ उस का कोई झगड़ा नहीं है। उस के बारे में एक ही बात आप ने कही है कि वह अनपढ़ है। उस का झगड़ा आप के परिजनों से है, आप इस झगड़े में अपने परिजनों के साथ हैं अपनी पत्नी की ओर नहीं हैं और इसी कारण उसे छोडना चाहते हैं। पर तलाक के लिए यह कारण न तो सामाजिक रूप, लो न मानवीय दृष्टिकोण से सही है औऱ न ही यह कानूनी आधार हो सकता है। इस तरह आप के पास पत्नी से तलाक लेने का कोई कारण नहीं है।
जहाँ तक वह अनपढ़ है, वह भी तब जब उस का संभवतः 18 वर्ष की उम्र के पहले विवाह हो गया था, पांच वर्ष वह आप के साथ रही है। इतने सालों में कोशिश करते तो आप उसे साक्षर तो बना ही सकते थे।
मेरा मानना है कि आप को अपनी पत्नी के साथ रहना तय करना चाहिए। अपने परिवार में उस की पैरवी करनी चाहिए। यदि संयुक्त परिवार में रहना कठिन हो रहा हो तो अपनी पत्नी के साथ अलग रहना चाहिए। आखिर आप का अब अपना खुद का परिवार है जिस में एक तीन साल की बेटी है। तलाक होने पर उस का क्या होगा? यदि तलाक हुआ और बेटी की कस्टड़ी की बात चली तो आप की पत्नी की जीत होगी। बेटी उस के पास रहने पर वैसे ही अनपढ़ रह सकती है जैसे उस की माँ रह गयी है। क्या आप की बेटी के साथ यह अन्याय होना चाहिए? यदि आप न्याय के पक्ष में हैं और अन्याय के विरुद्ध तो आप को इस तलाक की बात को अपने मन से पूरी तरह निकाल देना चाहिए और बेटी को न्याय दिलाना चाहिए। इस के लिए यह जरूरी है कि आप पत्नी के साथ कैसे भी निबाहें। आप पढ़े लिखे हैं, वह अनपढ़ इस कारण भी निबाह की जिम्मेदारी भी आप की है।
मेरी शादी २०१५ में हिन्दू रिवाज से हुई थी मेरी पत्नी मेरे साथ नहीं रहना चाहती क्यों की उसका अफयेर किसी दूसरे लड़के में साथ चल रहा है और मेरे मम्मी पापा उसे कई बार लेने जा चुके और वो आने से इंकार करती है मैं महिला परामर्श केंद्र में आवेदन लगाया था तो उसके पिता जी आकर कह गए की लड़की नहीं आना चाहती है फिर मैं जिला कोर्ट में धरा ९ लगाया हूँ जिसकी पेशी २४/१०/२०१६ को मिली है और अभी उन्होंने ०५/१० /२०१६ को हमारे ऊपर धारा ४९८अ ३४ लगाई था तो हम लोगो की जमानत हो गई है और एक माह पहले मेरे ससुर मुझसे स्टाम पेपर पर तलाक करने को कह रह थे क्या उसे कोर्ट मानती है आगे मैं क्या कारु इसका फैशला क्या होगा क्या कोर्ट कॉल वाइस रिकॉर्डिंग को मानती है